आबकारी की दबिश से,
दवा बाजार में हड़कंप..
दवा व्यापारी और आबकारी आमने सामने...
वैसे तो आबकारी विभाग की दबिश अक्सर शराब कारोबारियों के होश उड़ाती है लेकिन इस बार आबकारी विभाग की चहल कदमी से दवा बाजार के होश फाख्ता हो गए। दरअसल यहां स्प्रिट के कारोबार को लेकर मुखबिर की निशानदेही पर कार्यवाही की गई थी। लेकिन सबकुछ ऐसे हुआ कि किसी को कानों कान ख़बर भी न लगी। और सभी के मन मे ये सवाल रह रह के उठता रहा कि दवा बाजार में आबकारी का क्या काम...??
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कहां का है मामला क्या हुई कार्यवाही....
मामला मध्यप्रदेश के संस्कारधानी कहे जाने वाले जिला जबलपुर से हैं जहां बुधवार की शाम सिविक सेंटर स्थित दवा बाजार में आबकारी विभाग की अचानक दबिश ने सब को चौका कर रख दिया। दरअसल यहां कुछ दुकानों द्वारा फुटकर तौर पर ग्राहक को स्प्रिट बेची जा रही थी। दबिश के दौरान पाया गया कि उपरोक्त संस्थानों में आइसोप्रोपिल और डायल्यूट इथेनॉल बिना किसी जाँच पड़ताल के बेची जा रहा थी। जिस पर आबकारी विभाग ने कार्यवाही की है।
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आबकारी विभाग ने भेजा पंटर जिसने खरीदी स्प्रिट
आपको बता दें कि मुरैना में जहरीली शराब कांड के बाद से ही स्प्रिट sprite को लेकर आपकारी विभाग काफी सख्त नजर आ रहा है। सूचना मिली थी कि दवा बाजार में बिना किसी पूछ परख के आम आदमी को भी बड़ी मात्रा में स्प्रिट sprite बेची जा रही है। इस बात के सत्यापन के लिए आपकारी विभाग ने अपने पंटर को ग्राहक बनाकर स्प्रिट खरीदने भेजा। जिस पर दुकानदार ने बिना किसी पूछताछ कर दो केन स्प्रिट बेच दी। जिसके बाद रंगे हाथ पकड़े जाने पर कार्यवाही हुई।
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किन किन संस्थानों में हुई आबकारी की दविश
आपको बता दें कि दवा बाजार सिविक सेंटर में वीके सर्जिकल, अरिहंत सर्जिकल और अरिहंत ट्रेडर्स इन तीन संस्थानों में आबकारी विभाग की छापा मार कार्यवाही की गई। जहां जहां वी के सर्जिकल से दो केन आइसोप्रोपिल स्प्रिट,
अरिहंत सर्जिकल से 11 केन स्प्रिट और अरिहंत ट्रेडर्स से 25 केन डायल्यूट इथेनॉल बरामद कर दस्तावेज की जांच की गई।
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आखिर क्या कहता है नियम...
दिव्या अवस्थी(एसडीएम) |
नियम कानूनों की माने तो इस तरह के स्प्रिट का इस्तेमाल हॉस्पिटल में ही किया जा सकता है। साथ ही इसका विक्रय भी सीधे अस्पताल को ही किया जाता है। इसे फुटकर बेचना गैरकानूनी है। क्योंकि यह मानव शरीर के लिए घातक सामग्री की श्रेणी में आता है। वहीं आबकारी विभाग को जारी निर्देशों की माने तो इस तरह के उत्पाद के विक्रय के लिए डी-4 लायसेंस का भी होना अनिवार्य है। हालांकि इस बात से दवा व्यापारी संघ सहमत नहीं है। उनका कहना है कि उन्हें इस नियम के विषय मे कोई भी जानकारी नहीं है।
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आमने सामने आए आबकारी विभाग और दवा व्यापारी...
आपको बता दें कि आबकारी विभाग की इस कार्यवाही को लेकर दवा व्यापारी संघ और आबकारी विभाग के अधिकारियों के बीच जमकर कहासुनी हुई। दवा व्यापारी संघ की माने तो यह एक मेडिकल sprite स्प्रिट है। जिसका उपयोग डॉक्टर, अस्पताल प्रबंधन बीमारी के उपचार के दौरान करते हैं। और वह लंबे समय से अपने संस्थान के माध्यम से इसे बेचते आ रहे हैं और आज तक इसे लेकर कभी भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वहीं नियमों का हवाला देते हुए आबकारी विभाग का कहना था कि उपरोक्त स्प्रिटsprite को बेचने के लिए उन्हें डी-4 लाइसेंस की आवश्यकता है और यह लाइसेंस ना पाए जाने पर आबकारी विभाग यह कार्यवाही कर रहा है। इस दौरान व्यापारी संघ और आबकारी विभाग के अधिकारी एक दूसरे को कागज ही दिखाते रह गए। बाद में एसडीएम दिव्या अवस्थी के हस्तक्षेप के बाद कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया।
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स्प्रिट की जब्ती पर अड़ा आबकारी विभाग लेकिन दवा व्यापारी संघ ने नहीं होने दी जब्ती
वही आबकारी विभाग ने अपनी कार्यवाही के दौरान पचासी लीटर से अधिक मात्रा में स्प्रिट sprite का पंचनामा बनाया। इसके बाद जब आबकारी अमला उपरोक्त स्प्रिट sprite की जब्ती बनाने लगा। तभी व्यापारी संघ के लोग ने जब्ती की कार्यवाही को अनर्गल बताते हुए विरोध करना शुरु कर दिया। लंबी चली बहस के बाद एसडीएम दिव्या अवस्थी के हस्तक्षेप के बाद जब्ती तो नहीं हुई लेकिन सुपुर्द नामा बनाकर उपरोक्त संस्थान में ही स्प्रिट को सुपुर्द किया गया।
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कार्यवाही के दौरान घंटो हुआ ड्रग इंस्पेक्टर का इंतजार.. लेकिन नहीं हुई आमद
आपको बता दें कि संबंधित कार्यवाही के दौरान 2 घंटे से भी अधिक समय तक ड्रग इंस्पेक्टर को लगातार संपर्क किया गया। इस दौरान सूचना पाते ही विभाग का अमला ओर एसडीएम महोदया दिव्या अवस्थी भी मौके पर पहुंच गई लेकिन संबंधित विभाग के ड्रग इंसपेक्टर का न पहुंच पाना कई तरह के सवालों को जन्म देता है। इस दौरान खुद एसडीएम मेडम ने कई बार ड्रग इंस्पेक्टर को फोन मिलाया लेकिन कोई भी उत्तर नहीं मिला।
बहरहाल कार्यवाही तो हुई है। लेकिन बड़े ही असमंजस के बीच। दौनों ही अपनी जगह सही है और दस्तावेजी कागजों से लेस है। लेकिन सवाल यह उठता है कि किसे सही माना जाय। बातचीत के दौरान दवा व्यापारी संघ ने माना कि उपरोक्त स्प्रिट को फुटकर नहीं बचा जा सकता लेकिन इस आधार पर तमाम स्प्रिट जब्त करना गलत है। वहीं आबकारी विभाग अपने डी-4 लायसेंस का हवाला दे रहा है। अब देखना यह होगा कि आखिर यह कार्यवाही क्या रंग लाती है।
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