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सीएम शिवराज की नाक के नीचे पनप रही धर्मांतरण की साजिश अब क्या करेंगे.. मामा..?? विश्व हिंदू महासंघ ने किया खुलासा...

सीएम शिवराज की नाक के नीचे
पनप रही धर्मांतरण की साजिश
अब क्या करेंगे.. मामा..??

विश्व हिंदू महासंघ ने किया खुलासा....




शिवराज के राज में मध्‍य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 (Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020) के लिए अधिसूचना जारी कर दिया है. सरकार के इस कदम से कथित लव जिहाद (Love Jihad) के खिलाफ राज्य में अब सख्त कानून लागू हो गया है। दिसंबर 2020 में शिवराज सिंह कैबिनेट (Shivraj Singh Cabinet) ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 को मंजूरी दी थी. इस विधेयक में शादी या धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण (Conversion) अपराध माना जाएगा जिसके लिए अधिकतम 10 वर्ष की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाद यह कानून लागू करने वाला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) देश का दूसरा राज्य है। लेकिन इस फैसले के बाद अगर आप यह सोच रहे हैं की धर्मांतरण की साजिश करने वालों पर लगाम लगाई जा सकती है तो आप कुछ हद तक गलत भी साबित हो सकते हैं क्योंकि प्रदेश के मुखिया के नाक के नीचे धर्मांतरण का कुचक्र अभी भी जारी है और यह कोई और नहीं बल्कि शिवराज सरकार के अधिकारी ही संचालित कर रहे हैं। बात थोड़ी अटपटी सी लग सकती है लेकिन सोलह आने सच है आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी.....


शिवराज के अधिकारी ही रचा रहे धर्मांतरण की साजिश




आपको बता दें कि यह पूरा मामला मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जिला जबलपुर से प्रकाश में आया है जहां पर शिवराज के अधिकारी ही सरकारी खर्च की आड़ में धर्मांतरण के कुचक्र को फैलाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। और इस पूरे मामले में उस समय तूल पकड़ लिया जब विश्व हिंदू महासंघ के कार्यकर्ताओं ने इस पूरे गोरखधंधे को उजागर किया । प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के ट्रेनिंग प्रोग्राम को लेकर एक बार फिर से सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं विश्व हिंदू महासंघ के कार्यकर्ताओं ने खुलासा करते हुए बताया कि जानबूझकर मिशनरी कंपाउंड में गुपचुप तरीके से आशा कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग कराई जा रही है उन्होंने आरोप लगाया है कि आशा कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग के लिए मिशनरी कंपाउंड का चुना जाना एक सोची-समझी साजिश है और जानबूझकर शहर के बाहर वीराने में आयोजित किया गया यह ट्रेनिंग कैंप आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग के साथ-साथ मिशनरी संदेश भी सिखा रहा है।


जबलपुर सीएमएचओ पर लगे मिशनरी से सांठगांठ के आरोप




आपको बता दें कि आशा कार्यकर्ताओं के ट्रेनिंग कैंप को लेकर जबलपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ रत्नेश कुरारिया अब सवालों के घेरे में आ चुके हैं दरअसल उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने मिशनरी संस्थाओं से सांठगांठ कर सैंट नॉरबर्ट चर्च के परिसर में संचालित प्रेम संचार भवन में आशा प्रशिक्षण किए जाने का आदेश पारित किया और वहां पर मिशनरी संस्था द्वारा स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से गरीब लोगों को धर्मांतरण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है इतना ही नहीं यहां से ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद यह आशा कार्यकर्ता अपने ग्रामीण क्षेत्रों में चंगाई सभा भी आयोजित कर रही हैं।


गांव के हर छोटे बड़े घरों तक पहुंच रखती हैं यह आशा कार्यकर्ता


जानकारों की माने तो आशा कार्यकर्ता एक ऐसी कड़ी होती है जोकि गांव के हर घर तक अपनी पहुंच रखती हैं। ऐसे में अगर किसी भी तरह से आशा कार्यकर्ताओं को टारगेट बनाकर विशेष धर्म के प्रति आकर्षित करवा लिया जाए तो वह उस संदेश को गांव के हर गली कूचे तक आसानी से पहुंचा सकती हैं। और इस बार इन्हीं आशा कार्यकर्ताओं को लक्ष्य बनाते हुए जानबूझकर मिशनरी कंपाउंड में सरकारी ट्रेनिंग दी जा रही है और फिर इसी ट्रेनिंग की आड़ में धर्म विशेष की महानता की गौरव गाथा भी इन आशा कार्यकर्ताओं को सिखाने की साजिश रची जा रही है।


शहर के बाहर वीराने में आयोजित ट्रेनिंग कैंप के क्या है मायने...




आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला स्तर पर आशा प्रमाणीकरण का प्रशिक्षण कराया जा रहा है इस प्रशिक्षण का आयोजन शहरी सीमा से दूर गौर पुल के पास जमतरा रोड पर बने सैंट नॉरबर्ट चर्च के प्रेम संचार कंपाउंड में किया गया है। जहां पर पनागर कुंडम पाटन सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ताओं को अनिवार्य प्रशिक्षण दिलाने का आयोजन किया गया है। आयोजन के लिए जिस क्षेत्र को चुना गया है वह शहरी सीमा से बाहर है इतना ही नहीं मुख्य मार्ग से 3 किलोमीटर अंदर बेहद सुनसान क्षेत्र में यह मिशनरी कंपाउंड स्थित है मुख्य मार्ग से आयोजन स्थल तक पहुंचने के लिए ना तो कोई ऑटो चलते हैं और ना ही कोई बस सेवा यहां पहुंचने के लिए व्यक्तिगत वाहन या पैदल पहुंच मार्ग का ही सहारा लेना पड़ता है अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के पास शहर के बीचोबीच ऐसा कोई भी स्थान नहीं था जहां पर ग्रामीण क्षेत्रों और दूर-दराज से आने वाली आशा कार्यकर्ता सुलभता से पहुंच सके। और यदि इतने वीराने में ही इस आयोजन को आयोजित करना था तो फिर मिशनरी कंपाउंड ही क्यों गांव के किसी सामुदायिक सभा भवन या फिर पंचायत स्तर पर आने वाले किसी भी स्कूली भवन को भी चुना जा सकता था।


सख्त पहरों के बीच गुपचुप चल रही थी आशा कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग


आशा कार्यकर्ता ट्रेनिंग कैंप का संचालन जिस मिशनरी कंपाउंड में किया जा रहा था वहां पर काफी सख्त पहरा लगाया गया था जहां आम आदमी और मीडिया प्रतिबंधित की गई थी यदि कोई भूले भटके वहां पहुंच भी जाता था तो उसे उच्च स्तरीय पूछताछ कमेटी का सामना करना पड़ता था क्या वाकई में आशा कार्यकर्ता ट्रेनिंग इतनी गोपनीय होती है कि उसे चारदीवारी के अंदर गुपचुप तरीके से संचालित किया जाए या फिर यह पहरा उस काली करतूत को छुपाने के लिए था जोकि आशा कार्यकर्ता ट्रेनिंग कैंप की आड़ में संचालित किया जा रहा था।


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चंगाई सभा की तस्वीर ने सबको चौंका दिया।




यह मिशनरी कैंप में आयोजित की जाने वाली आशा ट्रेनिंग का ही कमाल था ,की एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। विश्व हिंदू महासंघ के हाथ लगी यह तस्वीर मझौली के उप स्वास्थ्य केंद्र बरखेड़ा की बताई जा रही है जिसमें बकायदा चंगाई सभा आयोजित की गई है और इसमें एक महिला अपने दोनों हाथ उठाकर प्रभु यीशु का धन्यवाद करने वाली मुद्रा में कैद हुई है और वहां बैठे गांव के भोले भाले महिला पुरुष और बच्चे उस आशा कार्यकर्ता का अनुसरण करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर के सामने आने के बाद पूरे महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और अब आनन-फानन में इस पूरे मसले की जांच भी करवाई जा रही है।


आशा कार्यकर्ताओं को ही क्यों किया गया टारगेट


जानकार बताते हैं कि आशा कार्यकर्ता गांव देहात के गरीब तबके के परिवारों के सबसे नजदीक मानी जाती है यह वे परिवार होते हैं जिनके पास गुजर-बसर के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते और वह सरकारी योजनाओं पर आश्रित होते हैं। ऐसे में आशा कार्यकर्ता इन परिवारों को लाभान्वित करवाने में मुख्य भूमिका अदा करती हैं और यह गरीब परिवार आशा कार्यकर्ता के द्वारा बताए गए हर एक मार्ग पर आंखें मूंद के चलते हैं यही कारण है कि जानबूझकर आशा कार्यकर्ताओं को टारगेट करने का प्रयास किया गया है माना जा रहा है कि यदि एक आशा कार्यकर्ता भी गांव के 10 गरीब परिवारों तक मिशनरी गौरव गाथा का संदेश पहुंचा देती है तो धर्मांतरण की यह अलख पूरे प्रदेश में जंगल की आग की तरह फैल जाएगी।


विश्व हिंदू महासंघ के कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन




आशा कार्यकर्ता ट्रेनिंग कैंप में व्याप्त अनियमितता और मिशनरी कंपाउंड में संचालन को लेकर विश्व हिंदू महासंघ के कार्यकर्ताओं ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है विश्व हिंदू महासंघ के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे और कलेक्टर से मुलाकात कर सरकार की नाक के नीचे हो रही इस धर्मांतरण की साजिश का भंडाफोड़ किया विश्व हिंदू महासंघ के जबलपुर जिला अध्यक्ष विकास कुमार खरे ने जबलपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रत्नेश कुरारिया सहित अन्य दोषी अधिकारियों की जांच किए जाने और उन्हें पद से तत्काल हटाने की मांग कलेक्टर से की है विश्व हिंदू महासंघ के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि इन दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही ना की गई तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसका जिम्मेदार जिला प्रशासन होगा।


धर्म ध्वजा लहराने वाले हिंदूवादी संगठन क्यों बैठे हैं शांत...


शहर में धर्मांतरण को लेकर इतनी बड़ी साजिश हो जाती है और शहर के हिंदूवादी संगठन अपने मुंह में दही जमाए हुए शांत बैठे रहते हैं उनकी यह खामोशी भी कहीं ना कहीं एक सोची-समझी सांठगांठ की ओर इशारा कर रही है धर्मांतरण को लेकर लंबे समय से मिशनरी साजिश करता आ रहा है। और अब आलम यह है कि इस पूरे गोरखधंधे को अंजाम देने के लिए सरकारी खर्च और आयोजनों का सहारा भी लिया जा रहा है जहां कुछ बड़े अधिकारी और नामचीन लोग इस कारनामे को अंजाम देने के लिए अपनी मूक सहमति प्रदान कर रहे हैं और इन सब के बीच हिंदुत्व की अलख जगाने वाले हिंदूवादी संगठन का मूक दर्शक बना रहना। आने वाले समय में काफी घातक परिणाम ला सकता है।


हम अपने जागरूक पाठकों को यह बात स्पष्ट कर देना चाहते है कि इस ख़बर को विश्व हिंदू महासंघ के द्वारा दिये गए साक्ष्यों के आधार पर निर्माणित किया गया है। विकास की कलम इस ख़बर में प्रयोग किये गए किसी भी साक्ष्य की पुष्टि नहीं करती। यह जांच का विषय है। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार का भ्रम फैलाना नहीं है। बल्कि सच को उजागर करना है

 

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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार






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