कोविशील्ड और कोवैक्सीन की पूरी जानकारी...
जानिए..कब..कैसे..और कहां तैयार की गई वैक्सीन...
देश भर में 16 जनवरी 2021 शनिवार से राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अबियाँ का शुभारंभ किया जा रहा है। इस महाअभियान का शंख नाद देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये करेंगे।प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में अभी केवल आपात स्थितियों में दो टीकों के सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। जिन्हें ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ के नाम से जाना जाता है।यह वैज्ञानिकों की लगभग नौ महीने की कड़ी मशक्कत का नतीजा हैं। आज के इस लेख में हम अपने पाठकों को इस वैक्सीन के निर्माण से जुड़ी बारीकियों के विषय मे बताने जा रहे है।आइए जानते है वैक्सीन के निर्माण की विकास यात्रा...
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पहले जानते है "कोवैक्सीन" के विषय मे
- -भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से विकसित भारत बायोटेक का स्वदेशी टीका।
- -सामान्य तापमान पर वैक्सीन का कम से कम एक हफ्ते तक भंडारण मुमकिन, मानव परीक्षण में इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।
- -तीन हफ्ते के अंतराल पर दो खुराक देने पर वैक्सीन में मौजूद वायरल प्रोटीन प्रतिरोधक तंत्र को संक्रमण से लड़ने में सक्षम बना देते हैं।
- -295 रुपये प्रति खुराक तय की कीमत कंपनी ने भारत सरकार के लिए, कुल 55 लाख खुराक में से 16.5 लाख मुफ्त में देने का फैसला किया है।
- -30 जून 2020 : भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने पहले स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के मानव परीक्षण की मंजूरी दी।
- -जुलाई 2020 : एम्स (दिल्ली-पटना) और पीजीआईएमएस (रोहतक) जैसे संस्थानों में कोवैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू हुआ।
- -23 अक्तूबर 2020 : भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के पहले-दूसरे दौर की आजमाइश में पूर्ण रूप से सुरक्षित मिलने का दावा किया।
- -16 नवंबर 2020 : कंपनी ने तीसरे दौर का परीक्षण शुरू किया, ब्राजील को वैक्सीन और तकनीक हस्तांतरण की पेशकश भी की।
- -07 दिसंबर 2020 : भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी।
- -03 जनवरी 2021 : डीजीसीआई ने आपात स्थितियों में सीमित प्रयोग की इजाजत दी।
- -13 जनवरी 2021 : 11 भारतीय शहरों में कोवैक्सीन की पहली खेप की आपूर्ति की गई।
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अब जानिए "कोविशील्ड" की कहानी
- -चिंपांजी को संक्रमित करने वाले एडिनोवायरस के प्रारूप पर अध्ययन के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनका ने किया तैयार।
- -पहला टीका, जिसके तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण पर वैज्ञानिक शोध प्रकाशित हुआ, ब्रिटेन, अर्जेंटीना और मेक्सिको में भी आपात प्रयोग की मिल चुकी है मंजूरी।
- -सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया निर्माण में जुटा, दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर कम से कम छह महीने तक रखना संभव, आजमाइश में 60 से 70 फीसदी प्रभावी मिला।
- -200 रुपये प्रति खुराक की दर से भारत सरकार को टीका उपलब्ध करा रहा सीरम इंस्टीट्यूट, निजी प्रतिष्ठानों के लिए एक खुराक की कीमत 1000 रुपये तय की गई।
विकास यात्रा पर नजर
-अप्रैल 2020 : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रिटेन में 18 से 55 साल के एक हजार स्वस्थ वयस्कों पर कोविशील्ड का असर आंकने की प्रक्रिया शुरू की थी।
-20 जुलाई 2020 : पहले दौर का परीक्षण संपन्न, वैज्ञानिकों ने कोविशील्ड के सुरक्षित और मजबूत प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में सक्षम होने की बात कही थी।
-03 अगस्त 2020 : डीजीसीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोविशील्ड का दूसरे और तीसरे दौर का क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने की इजाजत दी।
-06 सितंबर 2020 : परीक्षण में शामिल एक प्रतिभागी में समस्या उत्पन्न होने के बाद एस्ट्राजेनका ने वैश्विक स्तर पर ट्रायल रोका, अक्तूबर में फिर शुरू किया था।
-08 दिसंबर 2020 : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनका ने तीसरे चरण के परीक्षण के नतीजे पेश किए, दो खुराक देने पर 70% प्रभावी मिली वैक्सीन।
-14 दिसंबर 2020 : सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी।
-03 जनवरी 2021 : डीजीसीआई ने आपात स्थितियों में सीमित प्रयोग की अनुमति दी।
-13 जनवरी 2021 : सीरम इंस्टीट्यूट ने 54.72 लाख खुराक की पहली खेप 13 शहरों में भेजी।
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ड्राई-रन में सफलता
-02 जनवरी 2021 : 74 जिलों में टीकाकरण का पहला राष्ट्रव्यापी ड्राई-रन किया गया।
-08 जनवरी 2021 : दूसरे ड्राई-रन को 737 जिलों में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
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