बाइक एंबुलेंस "रक्षिता" का शुभारंभ
नक्सल क्षेत्रों में तत्काल मिलेगी स्वास्थ्य सेवा
अक्सर नक्सली क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान कई बार सीआरपीएफ के जवान दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं इस दौरान उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ती है लेकिन जंगल के टेढ़े मेढ़े और तंग सकरी रास्ते में एंबुलेंस का समय रहते पहुंच पाना काफी मुश्किल हो जाता था इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक विशेष तरह के दो पहिया वाहन की इजात की गई है जो ना केवल तंग और सकरी गलियारों में बेहद आसानी से पहुंच सकेगा बल्कि घायलों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान कर सकेगा।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए सोमवार को बाइक एम्बुलेंस 'रक्षिता' लॉन्च की गई। यह बाइक एम्बुलेंस नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चिकित्सा आपातकाल या मुठभेड़ के दौरान घायल होने की स्थिति में सुरक्षा बल के जवानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित की गई है।
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घने जंगलों और तंग रास्तो में तत्काल स्वास्थ सेवा उपलब्ध करवाएगी "रक्षिता"
डीआरडीओ ने नक्सल क्षेत्रों में मुठभेड़ के दौरान घायल हुए सुरक्षा बलों के जवानों को तत्काल चिकित्सा जरूरत उपलब्ध कराने के लिए एम्बुलेंस बाइक विकसित की है। आज इस एम्बुलेंस बाइक का शुभारंभ डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) में किया गया। यह बाइक मुठभेड़ों के दौरान घायल होने की स्थिति में सीआरपीएफ के जवानों और पैरामेडिक्स को सहायता देगी। सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि ये बाइक छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा आदि क्षेत्रों में अधिक उपयोगी होगी, क्योंकि जंगल के अंदर बड़े वाहनों या एम्बुलेंस को ले जाना कठिन होता है।
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सीआरपीएफ की जरूरतों को ध्यान में रखते किया गया इन्वेंशन
डीआरडीओ सूत्रों का कहना है कि विशेष रूप से माओवादी क्षेत्रों के तंग इलाकों और संकरी सड़कों पर तेजी से पहुंचने के लिए सीआरपीएफ की जरूरतों को देखने के बाद इस बाइक का विकास किया गया है। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां चिकित्सा सुविधाएं समय पर न पहुंचने और चिकित्सा सहायता में देरी से मुठभेड़ों में घायल जवानों की स्थिति और गंभीर हो गई। इस एम्बुलेंस बाइक का विकास इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज ने किया जो बायोमेडिकल और क्लिनिकल रिसर्च के क्षेत्र में रेडिएशन, न्यूरोकाॅग्निटिव इमेजिंग और रिसर्च के संदर्भ में भी काम करता है। यह रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान और विकास विंग है जो डीआरडीओ के तहत कार्य करता है।
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