उन्नत कपास खेती को लेकर
विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन...
किसानों ने सीखी तकनीक..
(हाशिम खान-छपारा-सिवनी)
नगर के भीमगढ़ रोड स्थित कृषि फॉर्म में एक दिवसीय उन्नत कपास खेती कैसे की जाए को लेकर एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन बुधवार को किया गया जिसमें विकासखंड के साथ-साथ संपूर्ण जिले से लगभग 400 से 500 किसानों ने इसमें हिस्सा लिया। ज्ञात हो कि छपारा नगर के किसान ठाकुर शिवकांत सिंह जिनके फार्म हाउस में इस शिविर का आयोजन किया गया था परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग करने की चाहत ने ही आज क्षेत्र में उन्नत खेती में अपनी अलग पहचान बनाई हैं और उनके परिवार के प्रयासो से इस शिविर का आयोजन कीट गया।
जिसमें कृषि क्षेत्र के वैज्ञानिकों से लेकर विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया जिसमें वरिष्ठ वैज्ञानिक किसान ज्ञानवाणी केंद्र डॉ शेखर सिंह बघेल, प्रमुख वैज्ञानिक एवं दिन एग्रीकल्चर कॉलेज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से डॉक्टर जी के कौतू , जबलपुर से कृषि संयुक्त संचालक के.एस.नेताम, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रदीप बिसेन, हॉर्टिकल्चर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एनके सिंह कीट शास्त्र वैज्ञानिक एपी भंडारकर मृदा विज्ञान के वैज्ञानिक डॉक्टर केके देशमुख सहायक प्राध्यापक कीट विज्ञान डॉ राजू कुमार पाँसे, सहायक संचालक कृषि सिवनी से प्रफुल्ल घोड़ेश्वर,इन सभी की उपस्थिति में यह एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न हुआ जिसमें क्षेत्र में कपास खेती को जिले एवं आसपास के किसानों को प्रोत्साहित करने एवं परंपरागत खेती से हटकर खेती करने की सलाह दी गई जिसे विस्तार पूर्वक समझाया गया कि कैसे परंपरागत खेती से हटकर कपास जो रेशे वाली फसल है और यह कपड़े तैयार करने का नैसर्गिक रेशा है जिसे सिंचित एवं असिंचित दोनों प्रकार के क्षेत्रों में लगाया जा सकता है और इससे पशु आहार से लेकर खाद्य तेल में भी इस्तेमाल किया जाता है।
इस प्रकार फसल एक उससे जुड़े फायदे अनेक। शिविर का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय एवं जिले के किसानों को कपास की खेती से जुड़ी जानकारी विस्तृत रूप से दी गई। सुबह 10 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत हुई जहां मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई इस कार्यक्रम पहुंचे वैज्ञानिको और सभी किसानों को प्रत्यक्ष रूप से खेत मे लगी हुई कपास की खेती को दिखया गया।देर शाम तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग आखिर तक उपस्थित रहे आने वाले समय में देखना है कि इस प्रशिक्षण शिविर से कितने किसान प्रोत्साहित होकर कपास की खेती को अपनाते हैं यह तो समय के गर्भ में है।
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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