% का खेल-पार्ट-1
परसेंटेज की चाहत ने छीनी..
डीपीएम और लिपिक की कुर्सी..
लेकिन पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त..
कोरोना भले ही पूरे देश के लोगों को कंगाल करने में जुटा हो . लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा तबका भी है जो कोरोना की आड़ में लाखों के वारे न्यारे कर, हकीकत में आपदा को अवसर में बदलने का कारनामा कर रहा है। और इस काम को अंजाम देने में निचले स्तर के भृत्य से लेकर गद्दी पर बैठे बड़े साहब तक का परसेंटेज फिक्स है। अगर आप परसेंट को समझ नहीं पा रहे है। तो हम आपको खुल कर बता देते है। परसेंटेज से आशय रिस्वत के उस अंश से है। जो गद्दी में बैठा अधिकारी अपनी कलम रगड़ कर बिल पास करने के एवज में लेता है। वैसे तो यह सिलसिला काफी पुराना है लेकिन जब कभी कोई निचले स्तर का कर्मचारी नाराज हो जाता है तो फिर बड़ी-बड़ी गद्दी में बैठे हुए साहब भी बेनकाब होने शुरू हो जाते हैं।
ऐसा ही कुछ नजारा मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग में देखने को मिला जहां सैनिटाइजर का बिल पास करने के एवज में अपना परसेंट फिक्स करने के चक्कर में डीपीएम और लिपिक के ऊपर विभागीय गाज गिरी है उन्हें तत्काल उनके पद से बर्खास्त करते हुए उन पर जांच बैठाई गई है।
क्या है पूरा मामला
इस मामले की शुरुआत आज से कुछ माह पूर्व वायरल हुए एक ऑडियो से हुई थी । प्राप्त जानकारी के अनुसार
इस ऑडियो में क्रय लिपिक प्रवीण सोनी किसी व्यापारी से उसके सैनिटाइजर के बिल का भुगतान करने के एवज में अन्य अधिकारियों के परसेंटेज को फिक्स किए जाने की बात कर रहे थे। जिसमें बकायदा क्रय लिपिक ने नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों को खुश किए जाने की बात व्यापारी से की थी। साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि यदि इन सबके बीच कोई भी अधिकारी नाराज हुआ तो नाही बिल पास होगा और ना ही भुगतान हो पाएगा।
खुद सीएमएचओ ने सौंपा था डीसीएम को यह प्रभार
इस परसेंटेज के पूरे खेल में जिन मुख्य महोदय के ऊपर यह पूरी गाज गिरी है हकीकत में उनके कार्यक्षेत्र में क्रय लिपिक का कार्य आता ही नहीं है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है की खुद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जिला कम्युनिटी मोबिलाइजर प्रवीण सोनी को यह अतिरिक्त प्रभार सौंपा था। लेकिन सैनिटाइजर की खरीदी में कमीशन खोरी की बातचीत वाला ऑडियो वायरल होते ही स्वास्थ्य विभाग से लेकर भोपाल तक में बैठे जिम्मेदारों की कुर्सियों के पाए खसकने लगे और फिर राज के पर्दे पूरे ना खुल जाए इसके चलते महज क्रय लिपिक को उनके पद से बर्खास्त कर दिखावी जांच का खेल खेलने का प्रयास किया गया है।
सीएमएचओ ने गठित की जांच टीम
क्योंकि मामला अब जबलपुर के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के टेबल तक पहुंच चुका था लिहाजा खानापूर्ति करना और फिर पत्रकारों के सवालों से बचने के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। सूत्र बताते हैं कि जैसे ही इस पूरे मामले की जानकारी कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची वैसे ही स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम और क्रय लिपिक को तत्काल सस्पेंड करने की बात पर मुहर लग गई। इसके बाद दोनों कर्मचारियों पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रत्नेश कुरारिया द्वारा एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है और उनसे इस पूरे मामले की जांच कराने की बात कही जा रही है। इस 3 सदस्य टीम में डॉ अमिता जैन ,डॉक्टर संजय मिश्रा और डॉक्टर धीरज दवंडे को शामिल किया गया है और इन्हीं तीन लोगों के कंधे पर अब सैनिटाइजर की कमीशन खोरी की सत्यता को उजागर करने का भार है।
वायरल ऑडियो से डीपीएम का क्या है लेना-देना
जिला चिकित्सालय के कार्यालय में दबे कुचे शब्दों में एक बात सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है और वह यह है की डीपीएम सुभाष शुक्ला को आखिर पद से क्यों हटाया गया। कार्यवाही को देख कर तो लगता है की सैनिटाइजर की कमीशन खोरी में डीपीएम के भी हाथ रंगे हुए हैं। लेकिन विकास की कलम को विश्वसनीय सूत्रों से कुछ अन्य जानकारियां भी हाथ लगी है। जिससे यह अंदेशा किया जा रहा है कि यह गाज सिर्फ वायरल ऑडियो के कारण नहीं गिरी है बल्कि विभागीय कार्यों में भी कमीशन खोरी और दलाली का मुद्दा अभी बाकी है।
कहीं जांच में आंच न आ जाये...
विभागीय जांच किस तरीके से होती है यह खेल अब साफ हो चुका है शिकायत कर्ताओं की माने तो खुद अधिकारी की जांच उसी के विभाग में रहने वाले लोग कर रहे हैं और अब ऐसे में हम प्याला हम निवाला रहने वाले लोग जांच में कितने सख्त और सच्चे होंगे इस बात पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। गौरतलब हो कि इससे पहले भी कई विभागीय जांच हो चुकी है जहां महज लीपापोती की कार्यवाही कर मामले को ठंडा किया गया है। लेकिन इस बार बात कुछ और है यदि इस बार जांच टीम ने लीपापोती की कोशिश की तो फिर उन्हें विकास की कलम की बौछार का सामना करना पड़ सकता है।
बहरहाल शिकायत नीचे से लेकर ऊपर तक सभी विभागों में घूम चुकी है और इस बात का अंदेशा भी जताया जा रहा है की लीपापोती करने वाले अब अपनी कलम नहीं फंसा एंगे। इन सब के बीच अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या वाकई में परसेंटेज का यह खेल बेनकाब हो पाता है या फिर जी हजूरी और यारी दोस्ती पूरी जांच पर पर्दा डाल देगी। क्योंकि जिस तरीके के साथ विकास की कलम के हाथ लगे हैं उससे यह बात तो स्पष्ट हो जाती है कि किस तरीके से ठेकेदारों और वरिष्ठ अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर लाखों करोड़ों के वारे न्यारे किए जा रहे हैं।