मांग बढ़ी तो मुनाफाखोरी के लिए बना डाला नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई राज्यों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी हो रही है। इसी बीच इस इंजेक्शन की कालाबाजारी का एक बड़ा मामला सामने आया है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे डाॅक्टर को गिरफ्तार किया है जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की अपनी कंपनी में बिना लाइसेंस के रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रहा था।
आरोपी डॉ. विनय त्रिपाठी के पास से 16 बॉक्स में 400 नकली वाॅयल भी मिले हैं। जांच में पता चला है कि वह बीते एक साल से कांगड़ा में सूरजपुर स्थित फॉर्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहा था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसटीएफ ने जहां मेडिकल संचालक सहित तीन को कालाबाजारी करते पकड़ा, वहीं क्राइम ब्रांच ने एक डाक्टर को नकली इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया है। उसके पास 16 बाक्स में करीब 400 इंजेक्शन बरामद हुए हैं। ये इंजेक्शन हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी के बताए जा रहे हैं। पुलिस व प्रशासन की टीम जांच कर रही है।
मुखबिर की सूचना पर मिली सफलता
एएसपी क्राइम ब्रांच के अनुसार गुरुवार को मुखबिर से सूचना मिली कि पीथमपुर की इपोक फार्मास्यूटीकल्स कंपनी का मालिक न्यू रानीबाग खंडवा रोड स्वयं की टाटा सफारी कार से नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन को विक्रय करने हेतू ग्राहकों एवं मरीजों की तलाश में है।
इस सूचना पर क्राइम ब्रांच की टीम ने न्यू रानीबाग कालोनी के गेट के बाहर उक्त कार एमपी 09 सीएम 5176 को घेराबंदी कर पकड़ा, जिसमें ड्रायवर सीठ पर बैंठे व्यक्ति ने अपना नाम विनयशंकर त्रिपाठी पिता स्व. बृजकुमार तिवारी (56) निवासी न्यू रानी बाग खण्डवा रोड़ बताया। वाहन की तलाशी लेते वक़्त उसकी कार से रेमडेसिवीर इंजेक्शन का एक बड़ा कार्टून बरामद हुआ, जिसको खोलकर देखते उसके अंदर 16 छोटे बाक्स मिले। प्रत्येक बाक्स में 25 इंजेक्शन रखे थे, जिनकी कुल संख्या 400 नग इंजेक्शन वायल मिले।
पूछताछ के दौरान आरोपी के पास में नहीं थे कोई भी वैध दस्तावेज
पुलिस टीम ने आरोपी विनयशंकर से इंजेक्शन के बारे में पूछताछ की तो वह कोई वैध दस्तावेज एवं क्रय-विक्रय का कोई बिल नहीं बता पाया। आरोपी ने उक्त नकली इंजेक्शन हिमाचल प्रदेश की किसी फैक्ट्री से ट्रासपोर्ट के माध्यम से बुलवाना बताया, जो स्वयं व्दारा विक्रय करने की फिराक में था। उक्त जप्तशुदा 400 नग रेमडेसिवीर इंजेक्शन वायल की कीमत करीब 20 लाख रुपए बताया है।
क्राइम ब्रांच ने आरोपी विनयशंकर त्रिपाठी के विरुद्ध धारा 420, 274, 275, 276 भादवि व औषधि एव प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1904 की धारा 18 (सी),18(डी), 27 एवं एपेडेमिक डिसिस एक्ट 1897 की धारा 3 का अपराध पंजीबद्ध किया गया। आरोपी से पूछताछ की जा रही है, जिसमें नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन उत्पाद करने वाली कंपनी एव अन्य आरोपीयों के नाम की जानकारी मिलने की संभावना है।
आरोपी ने सरकार से मांगी थी इंजेक्शन उत्पादन की अनुमति
जानकारी के मुताबिक, डॉ. विनय त्रिपाठी ने दिसंबर 2020 को कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार के माध्यम से जिला कांगड़ा के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के पास इंजेक्शन के उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी। अथॉरिटी ने कंपनी को इसके उत्पादन की अनुमति नहीं दी थी। तब विनय की कंपनी पैंटाजोल टेबलेट्स का ही उत्पादन कर रही थी।
कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से कंपनी बंद थी। अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले डॉ. विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था। स्टाफ को हर महीने सैलरी भी वही दे रहा था।
पिंटू ने बताया कि ‘दिसंबर 2020 को डॉ. विनय त्रिपाठी के कहने पर मैंने एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन हमारी कंपनी में बनाया जा रहा था, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें दो सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं।
वहीं एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना ने बताया कि कंपनी को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की अनुमति विभाग ने नहीं दी है। साथ ही नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद को मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं।