% का खेल-पार्ट-4
वाह रे मैनेजमेंट...
जांच का तो पता नहीं
और आ गया ताजपोशी का फरमान
कहते हैं कि आंखों देखी मक्खी खाई नहीं जाती...
लेकिन ये कहावत अब पुरानी हो चली है।
अब तो आलम यह है कि सेटिंग तगड़ी हो तो न सिर्फ आंखे मूंज ली जाती है बल्कि मक्खी को बर्दास्त करने पर भी मजबूर कर दिया जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार विकास की कलम कहावते क्यों बुझा रही है। तो जनाब किस्सा ही कुछ ऐसा है....
आपको बता दें कि ये बात हम नहीं कह रहे....बल्कि अजास्क कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष राजेंद्र तेकाम ने कुछ इसी तरह की वेदना विकास की कलम से साझा की है।
क्योंकि मप्र अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स के पदाधिकारियों का हाल आजकल कुछ ऐसा ही है।और अब वे मैनेजमेंट के इस सिस्टम से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे है।
दरअसल बीते दिनों अजास्क कर्मचारी संघ ने जिला कलेक्टर और संभागायुक्त के नाम एक ज्ञापन प्रेषित किया था। जिसमे उन्होंने निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हो रहे धोखाधड़ी के कांड को उजागर करने की बात सामने रखी थी। अजास्क कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष और संभागीय अध्यक्ष ने बाकायदा पूरे साक्ष्यों के साथ एक सनसनी खेज खुलासा करते हुए बेहद गंभीर विषय को जिम्मेदारों के सामने रखा था। जिसमे उन्होंने बताया कि किस तरह से बिना जीवन रक्षक लॉजिस्टिक के निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से जंग लड़ रहे है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से बाकायदा इन साजो सामान के लिए लाखों का बजट भी जबलपुर जिले को दिया गया था। इतना ही नहीं उन पैसों का भुकतान भी करवा लिया गया।और खरीदी भी दर्शा दी गयी।उन्होंने उपरोक्त प्रकरण में डीपीएम और क्रय लिपिक की सांठगांठ होने की आशंका जताई थी। साथ ही मांग की थी कि जबतक इस गंभीर मुद्दे की विशेष जांच न हो जाय तब तक उन्हें पद से प्रथक रखा जाय। ताकि वे अपने पद और प्रभुत्व का दुरुपयोग कर जांच को प्रभावित न कर सकें।
क्या..?? दिखावे की हुई कार्यवाही...
मप्र अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स के संभगिय अध्यक्ष राजेंद्र तेकाम ने जानकारी देते हुए कहा कि...अभी कुछ दिनों पूर्व ही सेनेटाइजर के बिल पास करने के एवज में दलाली का परसेंट फिक्स करते हुए हुई बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। जिसके चलते डीपीएम और क्रय लिपिक को पद से हटाते हुए जांच बैठाई गयी थी। और उसके तत्काल बाद ही कर्मचारी संघ ने एक और नया खुलासा कर दिया।
लेकिन इतने गंभीर मुद्दे के बावजूत भी भी पूर्व डीपीएम को उनके पद पर पुनः बहाल करते हुए ताजपोशी का फरमान जारी कर दिया गया।और इन सबके बीच अजास्क कर्मचारी संघ की शिकायत भरा पत्र अधिकारियों के कार्यालय में कहीं गुम होता सा नज़र आ रहा है।
न्यू बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने की प्रभारी मंत्री से मुलाकात
महिला स्वास्थ्य कर्मियों की बद से बदतर होती जा रही हालत को लेकर महिला स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम ने न्यू बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले एकत्र होते हुए जबलपुर अल्प प्रवास पर आए प्रभारी मंत्री अरविंद भदौरिया से मुलाकात कर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हो रहे दोयम दर्जे के व्यवहार और भ्रष्ट अधिकारियों की कारगुजारीयों की पोल पट्टी का लेखा जोखा साझा किया। महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रभारी मंत्री से मुलाकात कर उन्हें बताया कि बिना जीवन रक्षक किट के ग्रामीण अंचल की स्वास्थ्य कर्मी महिलाएं कोरोना संक्रमण की इस जंग से लड़ रही है। वहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारी उनके हक की जीवन रक्षक लॉजिस्टिक का पैसा हजम कर अपने शानदार AC दफ्तर में आराम फरमा रहे हैं।
प्रभारी मंत्री ने दीया जल्द कार्यवाही का आश्वासन
कहते हैं मंत्रालय तक है सेटिंग..
अब कौन करेगा इस भ्रष्टाचार की जांच..??
इस पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन से लेकर मंत्रालय तक सभी ने अपनी चुप्पी साध रखी है यही कारण है कि निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मी और आम जनता के बीच सरकारी सिस्टम को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं गर्म हो रही हैं। कोई कहता है कि गद्दी पर बैठे जिम्मेदारों के मंत्रालय तक टच है तो कोई कहता है की नीचे से ऊपर तक का परसेंट फिक्स होगा। खैर इतना सब कुछ होने के बावजूद भी दोषियों पर कार्यवाही ना होना... कहीं ना कहीं सिस्टम की लाचारी पर सवालिया निशान खड़े करता है। वही शिकायतकर्ता स्वास्थ्य कर्मियों को अब यह डर भी सता रहा है की दोषी पर कार्यवाही किए बिना उसकी पीठ थपथपा कर उसे गद्दी पर बैठा लिया गया है अब ऐसा ना हो कि वह अपने रसूख का इस्तेमाल कर चुनचुन कर स्वास्थ्य कर्मियों पर शिकायत करने की इस हिमाकत का मेहनताना देना शुरू न कर दे।