कोठारी अस्पताल में तड़पता रहा मरीज और आराम फरमाते रहे ड्यूटी डॉक्टर..
मरीज की मौत के बाद परिजनों ने किया खुलासा..
जानिए क्या है पूरा मामला..
जबलपुर जिले में कोरोना उपचार के नाम पर निजी अस्पतालों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है यही कारण है कि आए दिन कोई न कोई मरीज और उसका परिजन अपने साथ हुई बदसलूकी और धोखाधड़ी के लिए न्याय की गुहार लगाता दिख ही जाता है। हालांकि जिला प्रशासन ने इन पर लगाम रखने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है लेकिन उसके बावजूद भी अस्पतालों की मनमानी कहीं ना कहीं पूरी कमेटी को सवाल के घेरे में लाकर खड़ी कर देती है
अस्पतालों में हो रही लूट खसोट का ताजा मामला जबलपुर जिले के राइट टाउन स्थित एक निजी अस्पताल कोठारी हॉस्पिटल में देखने को मिला। यहां पर भर्ती एक मरीज के परिजन ने कोठारी अस्पताल प्रबंधन पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए यह जानकारी दी है कि यहां मरीजों को देखने के लिए ना ही कोई डॉक्टर उपलब्ध है और ना ही कोई वार्ड बॉय फिर भी मरीजों को जबरदस्ती भर्ती करके उनकी जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।और इसी लाापरवाही के चलते उनके मरीज को जान गवानी पड़ी।
शहडोल से आए मरीज के परिजनों ने खोली अस्पताल प्रबंधन की पोल
जबलपुर के कोठारी हॉस्पिटल में शहडोल से आए एक मरीज की पुत्री प्रियंका भदौलिया ने अस्पताल प्रबंधन की कलई खोलते हुए एक के बाद एक कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। विकास की कलम से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि शहडोल से मेरे पिता राम लाल भदोलिया को सांस की परेशानी की वजह से कोठारी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया।22 मई की रात में उन्हें (मरीज) सांस लेने में परेशानी होने लगी। उसकी वजह थी कि ऑक्सीजन ठीक तरीके से नहीं लगाया गया था। तब वह वार्ड बॉय को देखने गई तो हॉस्पिटल में कोई भी स्टाफ मौजूद नहीं था। फिर वह डॉक्टर के पास गई डॉक्टर सो रहे थे फिर डॉक्टर नींद में उठकर बोले कि उस मरीज का इलाज यहां नहीं हो सकता है,हमारी नींद खराब मत करो उसकी हालत खराब है आप उसे मेडिकल लेकर जाए और उनसे बदतमीजी से बात करते हुए उन्हें मेडिकल रेफर करने की बात कहने लगे।
सुबह तक मरीज सांस की वजह से तड़पता रहा कोई भी डॉक्टर या वार्ड बॉय उन्हे देखने नहीं आया ।
मरीज के परिजन ने बनाया वीडियो और सोते हुए डॉक्टर की खींची तस्वीर
अपने मरीज की ठीक तरह से देखभाल ना होने से नाराज मरीज के परिजन ने रात में ही अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के सबूत इकट्ठे करने शुरू कर दिए उन्होंने बकायदा मरीज को गलत तरीके से लगाया गया ऑक्सीजन मास्क और ड्यूटी पर सो रहे डॉक्टर की तस्वीर खींच ली। उनका कहना था कि जब अस्पताल प्रबंधन फीस के नाम पर मोटी रकम वसूल ता है तो फिर मरीज को रात्रि कालीन सेवाएं क्यों नहीं दी जाती।
मरीज के परिजन के विरोध करने पर अस्पताल ने दिखाया मरीज को बाहर का रास्ता
मरीज के परिजन ने अस्पताल प्रबंधन से अस्पताल में स्टाफ के द्वारा की जा रही लापरवाही की शिकायत की तथा रात में सोते हुए ड्यूटी डॉक्टर की तस्वीर को भी साझा किया इस बात पर अस्पताल प्रबंधन इतना नाराज हो गया कि आनन-फानन में उन्होंने मरीज का उपचार जारी रखने से साफ मना कर दिया और अपने अस्पताल की पोल खोल ना जाए इस डर से मरीज के परिजन परिजन से हाई रिस्क का फॉर्म भरवा ते हुए उसे अन्य किसी अस्पताल में रेफर करने की कहानी गढ़नी शुरू कर दी।
दूसरे अस्पताल शिफ्ट करने पर हुई मरीज की मौत..
अब कौन लेगा मौत की जिम्मेदारी...
दूसरे शहर से आए मरीज और उसके परिजन के पास अस्पताल प्रबंधन की मनमानी झेलने और अपने मरीज को आनन-फानन में किसी और अस्पताल में भर्ती करने के अलावा कोई चारा नहीं था जैसे तैसे जुगाड़ जमाते हुए मरीज के परिजनों ने अपने मरीज को रेलवे हॉस्पिटल में दाखिल कराया जहां पहुंचने के बाद मरीज की मौत हो गई। मरीज तो मर गया लेकिन अपने पीछे कई जरूरी सवाल छोड़ गया...
गंभीर अवस्था में उपचार रत मरीज को अचानक ही अपने अस्पताल से निकाल देना और उसके बाद होने वाले मरीज की मौत का जिम्मेदार कौन है....
अस्पताल प्रबंधन ने दीया स्टाफ के कम होने का हवाला
मरीज के परिजन ने की नोडल अधिकारी से शिकायत
अस्पताल प्रबंधन की करतूत और उनके साथ हुए अन्याय की शिकायत मरीज के परिजनों ने कलेक्टर द्वारा गठित किए गए नोडल अधिकारी डॉक्टर संजय छत्तानी से की है। प्रारंभिक तौर पर तत्काल ही मरीज के परिजनों द्वारा डॉक्टर छत्तानी को फोन के माध्यम से सारी सूचना प्रदान की गई लेकिन बाद में नोडल अधिकारी के कहने पर लिखित शिकायत देते हुए पीड़ित परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने दिलाया जांच का भरोसा
उपरोक्त मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ रत्नेश कुरारिया से बातचीत पर जानकारी मिली की पीड़ित परिजनों की शिकायत पर नोडल अधिकारी द्वारा यह पूरा मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है उपरोक्त विषय पर जांच टीम बनाकर मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और यदि अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया जाता है तो उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।
कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने भी की घटना की निंदा
क्या इस बार मिलेगा पीड़ित परिजन को न्याय या सिर्फ आश्वासन से चलाना पड़ेगा काम
गौरतलब हो कि जबलपुर में निजी अस्पतालों की मनमानी के दर्जनभर से अधिक प्रकरण जांच में लिए गए हैं लंबी चलने वाली जांच में अक्सर यह देखा गया है की जांच पूरी होते-होते तक अस्पताल प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी जाती है और इन सब के बीच शिकायतकर्ता खुद को ठगा सा महसूस करता है जिला प्रशासन को चाहिए कि इस आपदा काल में मरीजों के परिजनों के साथ हुए अन्याय को लेकर वह ज्यादा संवेदनशील बने साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर कड़ी कार्यवाही करते हुए एक नजीर पेश करें ताकि आने वाले समय में अस्पताल प्रबंधन मरीज के साथ या उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार करने से पहले 10 बार जरूर सोचें