आशा उषा कार्यकर्ताओं का जंगी प्रदर्शन
सीएमएचओ कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन
जबलपुर म.प्र
अपने साथ हो रहे दोयम दर्जे के व्यवहार और अपने न्यूनतम वेतनमान की मांग को लेकर जबलपुर जिले की सैकड़ों आशा उषा कार्यकर्ताओं ने सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है अपनी बात जिम्मेदारों तक रखने के उद्देश्य से सैकड़ों की संख्या में आशा उषा कार्यकर्ता जिला अस्पताल विक्टोरिया पहुंची और उन्होंने जमकर नारेबाजी की इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों को एक ज्ञापन के स्वरूप में जिला कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपा है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि
प्रदेश में आशा एवं सहयोगी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य विभाग के सभी अभियानों को जमीनी स्तर पर लागू करने का महत्वपूर्ण काम कर रही है। इस तरह आम जनता को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ जोडने वाली स्वास्थ्य विभाग के भरोसेमंद प्रतिनिधि के रूप में आशायें काम कर रही है।
कोविड-19 महामारी के संक्रमण से पूरी दुनिया सहमी हुयी थी, तब संक्रमण को रोकने के लिये आशा एवं सहयोगियों ने अपनी एवं अपने परिवार की जान को जोखिम में डाल कर काम किया एवं संक्रमण के दूसरी एवं खतरनाक लहर में जब लगातार मौतें हो रही है तब भी घर घर जाकर कोविड के लक्षण वाले लोंगों का पता लगा कर उनका प्राथमिक जांच कर, दवाइयां देकर अगर जरूरी हो तो उन्हें अस्पताल भेजने का काम आशा व सहयोगी कर रही है।
लेकिन अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 15 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के लिये काम कर रही आशा एवं सहयोगियों को लगभग 15 वर्ष का अनुभव एवं कई दौर के प्रशिक्षण के बाद भी प्रदेश में आशाओं को केवल 2000 रुपये मानदेय दे रही है। इसमें राज्य सरकार का कोई हिस्सा नहीं)।
अन्य राज्य सरकारें आशाओं को अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर काफी राहत दे रही है, आन्ध्र प्रदेश सरकार 10,000 रुपये का वेतन दे रही है, जिसमें 8000 रु.राज्य सरकार का हिस्सा है, लेकिन म.प्र. सरकार आशाओं को अपनी ओर से कुछ भी नहीं दे रही है।
गम्भीर आर्थिक तंगी एवं भारी तनाव के बीच अपनी जान को जोखिम में डालकर आम लोगों की जिन्दगी बचाने के काम में लगी आशा एवं सहयोगियों के प्रति सरकार की यह संवेदन हीनता बेहद अन्यायपूर्ण है।
फील्ड में खतरे के बीच काम कर रही आशा एवं सहयोगियों को शासन की ओर से मास्क, सैनिटराईजर, ग्लब्स आदि सुरक्षा उपकरण तक नहीं दिए जा रहे है। अलग अलग काम के लिये पृथक प्रोत्साहन राशि निर्धारित करने के बाद भी किये गये काम का प्रोत्साहन राशि का भी पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश में कोविड के खिलाफ अभियान में अब तक 6 कोरोना योद्धा आशाओं की मृत्यु हो चुकी हैं, लेकिन उनके परिवार को निर्धारित 50 लाख रुपये की बीमा राशि अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गयी हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं प्रदेश में आशाओं पर काम का बोझ लगातार बढाया जा रहा है। लेकिन वेतन (मानदेय) अभी भी 2000 रुपये ही हैं। इस गम्भीर स्थिति में आशा ऊषा आशा सहयोगी एकता यूनियन मध्य प्रदेश (सीटू) माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करती है कि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त वेतन देकर, जीने लायक वेतन दिये जाने सहित निम्न मांगों का निराकरण करते हुये प्रदेश की आशा एवं सहयोगियों के साथ न्याय किया जावे :-
(1) आशा एवं सहयोगियों को आन्ध्र प्रदेश की तरह एवं प्रदेश की आंगनवाड़ी कर्मियों की तरह, म.प्र.सरकार की ओर से 10,000 रुपये का अतिरिक्त मानदेय तुरन्त दिया जावे।
(2) अधिकांश जिलों में इस अल्प मानदेय का भी 3 से लेकर 6 माह तक का भुगतान न होने की शिकायत कोई सुनने वाला नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में अधिक समस्या है। तत्काल कदम उठाकर आशा एवं सहयोगियों के सभी बकाये राशियों का तुरत भुगतान कराया जावे।
(3) कोविड वैक्सीनेशन की ड्यूटी में कार्यरत सभी आशा एवं सहयोगियों को इसके लिये निर्धारित राशि तुरन्त दिया जावे। कोविड वैक्सीनेशन में आशायें जनवरी 2021 से काम कर रही है, लेकिन अभी तक कोई भुगतान नही किया गया है।
(4) कोरोना के खिलाफ अभियान के दौरान जान गंवाने वाले कोरोना योद्धा आशा कार्यकर्ताओं के परिवार को शासन द्वारा कोरोना योद्धाओं के लिये घोषित 50 लाख रुपये का बीमा राशि तत्काल प्रदान किया जावे। कोरोना योद्धाओं के लिये लागू 50 लाख रु. की बीमा को कोरोना संक्रमण के जारी रहने तक जारी रखा जावे।
(5) आशा एवं आशा सहयोगियों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जावे एवं आशाओं को 21000 रू एवं सहयोगियों को 30,000 रु. प्रतिमाह न्यूनतम वेतन दिया जावे।
(6) आशाओं सहित महामारी के खिलाफ अभियान में लगे सभी अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मास्क, सैनिटराईजर, हेन्ड ग्लव्स आदि सभी सुरक्षा एवं अन्य उपकरण उपलब्ध किया जावे।
(7) सेवा निवृत्ति पर पेंशन, ई.एस.आई., भविष्य निधि आदि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ दिया जावे।
(8) सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जावे तथा कोविड संक्रमितों की इलाज हेतु सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बेड वाँटलेटर, ऑक्सीजन, दवाएं आदि उपलब्ध कराने के साथ कर जररूरी संख्या में डाक्टर, नर्स, पेरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति किये जाये।
(9) आशा एवं सहयोगियों के लिये नियमित रूप से निशुल्क मेडिकल चेकअप, कोविड जांच एवं संक्रमण की स्थिति में पर्याप्त ईलाज उपलब्द कराया जावे।
जिला एवं प्रदेश भर की आशा उषा कार्यकर्ताओं ने यह उम्मीद जताई है कि माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय स्वास्थ्य मंत्री तत्काल कदम उठाते हुये आशा एवं आशा सहयोगियों को शीघ्र न्याय प्रदान करेंगे।