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आशा कार्यकर्ता हो या स्वास्थ्य कर्मचारी, अब मानदेय के लिए नहीं करनी पड़ेगी अधिकारियों की जी हजूरी..

आशा कार्यकर्ता हो या स्वास्थ्य कर्मचारी,
अब मानदेय के लिए नहीं करनी पड़ेगी अधिकारियों की जी हजूरी..




जबलपुर मध्यप्रदेश

कोरोना काल के दौरान तमाम स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुनियोजित तौर पर सुचारू करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता और आशा सहयोगियों की अपने मासिक मानदेय को लेकर लंबे समय से शिकायतें आ रही थी। जिसमें अव्यवस्थाओं के चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली यह निचले स्तर की कड़ी हमेशा से उपेक्षा का शिकार होती आ रही है। आलम तो यह होता है की महीनों बीत जाते हैं लेकिन इन्हें मासिक मानदेय (प्रोत्साहन राशि) के नाम पर केवल और केवल आश्वासन का आसरा दिलवाकर मुश्किलें झेलने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। और वहीं दूसरी तरफ इनसे रिपोर्टिंग लेने वाले अधिकारी बाकायदा महीने की एक फिक्स तारीख पर अपना मानदेय उठा लिया करते है। 

लेकिन अब ना तो निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों को अपने मासिक मानदेय के लिए जी-हजूरी करनी पड़ेगी और ना ही लंबा इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि जबलपुर जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने एक ऐसा आदेश पारित कर दिया है जिसके अनुसार बिना निचले स्तर के कर्मचारियों का मानदेय दिए ऊंचे मुकाम पर बैठे अधिकारी अपना वेतन भी नहीं निकलवा पाएंगे।

 आइए जानते हैं क्या है यह आदेश और इस आदेश के पीछे विभाग की क्या है मंशा...




जिला कार्यक्रम प्रबंधक जबलपुर ने जारी किया आदेश



राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत समस्त कर्मचारियो एवं आशा कार्यकर्ता व आशा सहयोगी के मानदेय भुगतान करने के संबंध में जिला कार्यक्रम प्रबंधक जबलपुर सुभाष शुक्ला ने  जिले स्तर के समस्त विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी, जिला लेखा प्रबंधक एन.एच.एम.,जिला कम्युनिटी मोबिलाईजर,जिला सहायक कार्यक्रम प्रबंधक ,समस्त विकासण्ड कार्यक्रम प्रबंधक एवं समस्त विकासखण्ड लेखा प्रबंधक के नाम एक पत्र जारी किया है। जिसमें स्पष्ठ रूप से उल्लेख किया गया है कि,राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत समस्त कर्मचारियों का वेतन/मानदेय एवं आशा कार्यकर्ता व आशा सहयोगी की प्रोत्साहन राशि अनिवार्य रूप से प्रत्येक माह की 5 तारीख तक दिये जाने के निर्देश राज्य स्तर से दिये गये है।इस पत्र के माध्यम से विशेष आदेश भी दिया गया है कि जिला कार्यालय एवं शहरी क्षेत्र/विकासखण्ड के कर्मचारी एवं आशा व आशा सहयोगी का भुगतान 5 तारीख तक किया जाये। इसके बाद ही जिला स्तर के जिला कार्यक्रम प्रबधंक, जिला लेखा प्रबंधक, जिला कम्युनिटी मोबिलाईजर, सहायक कार्यक्रम प्रबंधक, एल.डी.सी. एम.आई.एस. एवं विकासखण्ड स्तर पर विकासखण्ड कार्यक्रम प्रबधंक, विकासखण्ड लेखा प्रबंधक एवं विकासखण्ड कम्युनिटी मोबिलाईजर का भुगतान किया जावेगा।

अतः समय से कर्मचारियों की उपस्थिति प्राप्त करें एवं आशाओं के वाउचर साफ्टवेयर पर दर्ज किये जावे।



नए आदेश ने सुनिश्चित की... निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों की जीत..


आपको बता दें कि 24 घंटे मैदानी स्तर पर अपनी सेवाएं प्रदान करने वाले यह निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले लंबे समय से अपनी उपेक्षा का दंश झेल रहे है। हाल ही की बात की जाए तो बीते जून माह का मानदेय इन्हें 20 जुलाई को प्राप्त हुआ जबकि शासन के नियमों की बात की जाए तो 5 तारीख तक इनके मानदेय का विधिवत भुगतान हो जाना चाहिए था। समय पर भुगतान ना हो पाने के कारण कुछ आशा कार्यकर्ताओं और आशा सहयोगीयों को आर्थिक तौर पर काफी जिल्लत भी झेलनी पड़ी। सूत्र बताते हैं कि मानदेय का विलंब से मिलने वाला यह खेल आज का नहीं है बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत पिछले लंबे अरसे से खेला जा रहा है जिसमें अपनी मेहनत का मानदेय प्राप्त करने के लिए भी अधिकारियों की जी-हजूरी और सेटिंग बाजी का सहारा लेना पड़ता है। अधिकारियों की इन मनमानियां और अपने ही मेहनत के मानदेय के लिए चक्कर काटने से नाराज कुछ लोगों ने बाकायदा इस बात की शिकायत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डायरेक्टर छवि भारद्वाज से भी की थी।इन सबके बीच जिला कार्यक्रम प्रबंधक का यह आदेश निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए ना केवल एक आशा की किरण लेकर आया है बल्कि उनकी जीत भी सुनिश्चित कर रहा है।



आदेश को लेकर के... आशंकाओं की फुसफुसाहट जारी है 


जिला कार्यक्रम प्रबंधक के इस आदेश के पत्र के जारी होने के बाद से ही आशंकाओं की फुसफुसाहट और कुछ लोगों की तिलमिलाहट साफ साफ देखी जा रही है। अपने मुंह से कमीशन का नीवाला छीने जाने से परेशान लोगों की माने तो यह आदेश महज एक पब्लिसिटी स्टंट है जिसे निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए पारित किया जाना बताया जा रहा है। वहीं निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा कि आखिरकार साहब को उनकी इतनी चिंता क्यों सताने लगी। क्योंकि पिछले तजुर्बों की बात की जाए तो निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ पग पग पर धोखा ही हुआ है। और अब ऐसे में अचानक साहब का एक आदेश जिसमें केवल और केवल निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों के हित की बात की गई हो लोगों के हाज़में के परे हो गया है।

बातें कुछ भी हो लेकिन इस आदेश से एक बात तो साफ है कि यदि इसका सख्ती से पालन करवाया गया तो ना केवल कमीशन बाजों के खेमे में आतंक फैल जाएगा बल्कि अधिकारी और कर्मचारी के बीच का विश्वास और भी प्रबल हो जाएगा।


लेकिन यह सिस्टम है जनाब... यहां जो भी अधिकारी सिस्टम से चलने का प्रयास करता है विभाग का सिस्टम अक्सर उसके सिस्टम को ही बिगाड़ देता है। खैर अंजाम जो भी हो फिलहाल तो जिला कार्यक्रम प्रबंधक का यह आदेश ना केवल काबिले तारीफ है बल्कि विभाग की एक अच्छी पहल की ओर भी इशारा कर रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या वाकई में यह आदेश कागजों से उतर कर हकीकत का जामा पहन पाता है...

 या फिर इसे भी लाल गठरी में बांधकर कार्यालय के किसी अंधेरे कोने में काला पानी की सजा दे दी जाएगी।


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