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% का खेल..जारी है.. भोपाल से आये NHM के अधिकारी.. टटोल रहे भृस्टाचार के सबूत..

 % का खेल..जारी है..
भोपाल से आये NHM के अधिकारी..
टटोल रहे भृस्टाचार के सबूत..



जबलपुर मध्यप्रदेश

मामला मध्य प्रदेश के संस्कारधानी कहे जाने वाले जिला जबलपुर से है। जहां स्वास्थ्य विभाग में हुए गड़बड़ झाले की तह टटोलने के लिए राजधानी भोपाल से आए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के जांच अधिकारियों ने महकमें के कुछ सेटिंग बाज लोगों की नींदे उड़ा रखी है। खास बात तो यह है कि साहब ने सुई से लेकर हवाई जहाज तक के क्रय विक्रय के सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने का फरमान भी जारी कर दिया है। और अब ऐसे में कमीशन की चासनी चाट कर पेट भरने वाले सेटिंग बाज कर्मचारियों और महकमे के बड़े अधिकारियों के दरबार में बैठकर विरदावली गाने वाले राग दरबारियों की जान हलक में आ चुकी है।


पूरे खेल को समझने पढ़िए सिल-सिलेवार खुलासों की रिपोर्ट


यहाँ जानिए क्या है पूरा मामला..??


जबलपुर के जिला अस्पताल विक्टोरिया में आपदा को अवसर में बदलते हुए कोविड-19 के दौरान कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जमकर घपलेबाजी की थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल विक्टोरिया में विभिन्न फर्म संचालकों से सामग्री आपूर्ति के उपरांत बिल,वाउचर पास कराने की एवज में जिला कम्युनिटी मोबीलाइजर के खिलाफ रिश्वत माँगने के आरोप लगे थे। इसके अलावा डीपीएम पर घोटाले के आरोप लगे थे। दोनों के खिलाफ जाँच के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा तीन सदस्यीय जाँच कमेटी बनाई गई थी।


जानिए कैसे जुगाड़ से दबाया गया था मामला...


देर से ही सही...पर जागे तो जनाब..


उपरोक्त भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर कई सामाजिक संगठन एवं कर्मचारी संगठनों ने जिला कलेक्टर से लेकर मंत्रियों तक इस बात की जानकारी पहुंचाई थी। जिसके बाद भोपाल में बैठे विभाग के आला अधिकारियों ने माना कि कहीं ना कहीं कोई बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा रहा है। लिहाजा मामले को बारीकी से समझने और भ्रष्टाचार की तह तक पहुंचने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया।।कमेटी बनने के लगभग 2 माह बाद जाँच शुरू कर दी गई है। बता दें कि भोपाल से जिला अस्पताल पहुँची तीन सदस्यीय टीम ने मामले को लेकर साक्ष्य जुटाए हैं। टीम जरूरी दस्तावेज लेकर भोपाल लौट गई है।



इनकी सरपरस्ती में जुटाए गए साक्ष्य..


आपको बतादें की पूरे मामले की विशेष जाँच के लिए उपसंचालक (लीगल) दिनेशचंद्र सिंघी की अध्यक्षता तथा उपसंचालक (आशा) शैलेष साकल्ले और राज्य वित्त प्रबंधक मनोज वर्मा की सदस्यता वाली टीम ने तीन दिनों तक जिला अस्पताल में मामले से संबंधित दस्तावेज जुटाए हैं। सूत्र बताते है कि इन तीन दिनों की अग्निपरीक्षा के दौरान चाटुकारों ने अपने तरकश में रखे तमाम तीर चलाने के प्रयास किये थे। लेकिन टीम के किसी भी सदस्य को डिगा नहीं पाए।


स्वास्थ्य कर्मचारियों ने एकजुट होकर किया था हल्ला बोल का आगाज...


जानिए क्या कहती है..जांच समिति..


विकास की कलम को बातचीत के दौरान जानकारी मिली है कि तीन दिवसीय सघन जांच में.. जांच टीम ने कोविड के दौरान हुई खरीददारी से जुड़े दस्तावेज एकत्रित किए हैं, जिनका ऑडिट कराया जाएगा। बातों ही बातों में यह जिक्र भी सामने आया है कि टीम को जांच के दौरान गुमराह करने के काफी प्रयास भी किए गए साथ ही जाँच के जरूरी सभी दस्तावेज भी अभी नहीं मिल सके हैं। जाँच समिति के सदस्यों का कहना है कि जाँच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही इसका परिणाम सामने आएगा। टीम ने डीसीएम और वेंडर के बीच हुई बातचीत के वायरल ऑडियो की सत्यता को लेकर भी जाँच की। ऑडियो की फॉरेंसिक जाँच भी कराई जा सकती है।


अगर हम डूबे सनम..सबको ले डूबेंगे..


इधर जांच टीम तो चली गयी लेकिन विक्टोरिया के गलियारों में "डिवाइड एंड रूल"Divide and rule का कारगर फार्मूला छोड़ गई है। जिसका असर भी दिखाई देने लगा है। सूत्र बताते है कि कोयले की दलाली में नीचे से लेकर ऊपर तक सभी के हाथ काले है। ऐसे में सिर्फ सेनेटाइजर से हाँथ धोने से काम नहीं चलेगा...बल्कि ऊंची पहचान वाले किसी नामी गिरामी हेंड वाश के इस्तेमाल से ही दाग मिट सकेंगे। यही कारण है कि लगातार हैंडवाश की तलाश जारी है। जो जबलपुर से भोपाल होते हुए दिल्ली तक जा रही है। इस पूरी खलबली के बीच सिर्फ एक ही डायलॉग गूंज रहा है..


हम तो डूबेंगे सनम..तुम्हें भी ले डूबेंगे..


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