वर्दी के साथ हमदर्दी भी..
ऐसी कहानी जो आपको भी सेल्यूट करने पर कर देगी मजबूर
निखिल सूर्यवंशी -अमरवाड़ा-
पुलिस का नाम सुनते ही हमारे जहन में एक अनचाहा सा ख़ौफ़ दौड़ जाता है। क्योंकि अक्सर अपराध और अपराधियों को काबू में रखने पुलिस को अपना सख्त रवैया दिखाना ही पड़ता है। वहीं कुछ अपवादों के चलते आम जन जहां तक हो सके पुलिसिया प्रपंचों से दूर ही रहने का प्रयास करता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी घटना से वाकिफ कराएंगे जिसे सुनकर न केवल आपका नज़रिया बदलेगा बल्कि आप भी इस तरह की पुलिसिंग को सेल्यूट किये बिना न रह सकेंगे।
मामला मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा तहसील से है। जहां अपने घर का रास्ता भटक गए तीन मासूमों को पुलिस थाने में इतना स्नेह और दुलार मिला कि उन्होंने थाने पहुंचे परिजनों के साथ जाने से इनकार कर दिया। बच्चे पुलिस अंकल के साथ थाने में ही रुकने की ज़िद करने लगे। और यह नजारा न केवल चौकाने वाला था बल्कि एक उत्कृष्ट पुलिसिंग की दास्तान खुद ब खुद बयान कर रहा था।
*पुलिस की वर्दी ही नहीं हमदर्दी भी है तीन मासूम बच्चों को इतना स्नेह और प्यार दिया कि वह अपने मां-बाप को भूलकर पुलिस को ही अपना सब कुछ मानने लगी अपने माता पिता के साथ जाने से कर दी तीनों मासूमों ने इनकार*
प्राप्त जनकारी के अनुसार अमरवाड़ा पुलिस को सूचना मिली थी कि तीन बच्चियां बाईपास रोड पर अकेले घूम रही है और रो रही है। जिसकी सूचना ग्राम रक्षा समिति अमरवाड़ा के थाना संयोजक सुजान सिंह उइके द्वारा थाना प्रभारी राजेंद्र मसकोले को दी गयी। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी ने तत्काल पुलिस भेजकर तीनों बच्चियों को थाने में बुलाया और उनसे स्नेह पूर्वक पूछताछ की । पुलिस की वर्दी देख तीनों मासूम काफी सहम से गये।तत्काल ही मौके की नजाकत को भांपते हुए। थाना प्रभारी पहले तो बच्चों से घुले मिले और फिर उनपर तोहफों की बरसात कर दी।
थाना प्रभारी के द्वारा बच्चों को नए कपड़े और जूते चप्पल और खाने का सामान दिया बच्चे इतने खुश हो गए कि सुबह जब उनसे पूछा गया कि आपका घर कहां है तो उन्होंने घर जाने से ही मना कर दिया और कहने लगे कि हमें थाने में ही रहना है ।
इस दौरान थाना प्रभारी ने पहले ही बच्चों की पक्तासजी के लिए एक टीम एक्टिव कर दी थी।थाना प्रभारी के द्वारा बच्चों की पतासाजी कर परिजनों को बुलाया गया और जानकारी जुटाई जिसमें उनके मां-बाप सिंगोड़ी के निकले जहां तत्काल सिंगोड़ी चौकी में सूचना देकर मां-बाप को अमरवाड़ा थाना बुलाया गया और उन्हें समझाइश देकर बच्चों को उनके मां-बाप और परिवार जन के साथ पहुंचा दिया गया।
और स्कूल चालू होते ही उन बच्चों का छात्रावास में एडमिशन करवा कर उनकी पढ़ाई करवाई जाएगी बच्चों का भी कहना है कि हम पढ़ लिख कर पुलिस बनना चाहते हैं ।और देश की सेवा करना चाहते है।
वहीं बच्चों के परिजन भी ये नज़ारा देख स्तब्ध रह गए।और हो भी क्यों न क्योंकि किसी ने भी आज से पहले ऐसा वाकया न कभी सुना और न देखा।
फिलहाल बच्चे अपने परिजनों के पास लौट गए है। और अपने पीछे अपनी मासूमियत और थाने में बिताए वो अनमोल पल छोड़ गए है जो आने वाले सालों में कई बार याद कर खुशियां बिखेरेंगे। वहीं परिजनों ने थाना प्रभारी राजेंद्र मर्सकोले और सुजान सिंह उईके को धन्यवाद दिया। इस घटना ने मध्यप्रदेश की उत्कृष्ट पुलिसिंग की मिशाल पेश की है।
हो सकता है एक छोटे से गाँव की यह घटना बड़े अखबारों या चैनलों में अपनी जगह न बना पाए। लेकिन गाव वालों के दिलों में यह अनंत काल के लिए अजर अमर हो गयी है।
विकास की कलम सेल्यूट करती है ऐसे वर्दीधारी पुलिस को जो इतने तनाव के बीच भी इतनी सहजता से मानवीय मूल्यों का निर्वहन कर लोगों के दिलों पर राज करते है।