कुपोषण की भेंट चढ़ गई मासूम लक्ष्मी..
अपने पीछे छोड़ गई..योजनाओ की हकीकत
शिवपुरी मप्र
जिले में कुपोषण ने बयां की योजनाओ की हकीकत
प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ी
एक कुपोषित बच्ची.. हुई मौत।
सुपोषित भारत की परिकल्पना को साकार करने का संकल्प रखने वाली मोदी सरकार ने देश के आम लोगों को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य सामग्री मुहैया कर पोषण की तमाम समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है। कुपोषण के खिलाफ छेड़ी गई इस जंग का मकसद छिपी हुई भूख यानी आम लोगों के आहार में पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है। देश में 38 फीसदी से ज्यादा बच्चे बौनापन के शिकार हो जाते हैं और इनमें से 58 फीसदी से अधिक बच्चे रक्तहीनता यानी खून की कमी से पीड़ित होते हैं. लिहाजा, सरकार ने कूपोषण से निजात पाने के लिए यह अभियान चलाया है।
लेकिन इनकी जमीनी हकीकत क्या है..इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। क्योंकि कागजों से उतरते उतरते ये योजनाएं इतनी धुंधली हो जाती है कि जरूरत मंद को दिखाई ही नहीं देती। और कुपोषण का दानव प्रतिदिन किसी न किसी मासूम को अपना ग्रास बना लेता है। ताजा मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी से सामने आया है। जिसने कुपोषण के खिलाफ गाल बजाती योजनाओ की पोल खोल के रख दी है।
मोदी सरकार के लाख जतन के बावजूद भी शिवपुरी जिले में कुपोषण पैर पसार रहा है। और यह अभिशाप सेे कम नहीं है।पोषण के दंश से जिले भर में कई आदिवासी परिवार जहां भूखों मरने की कगार पर हैं । वहीं उनके मासूम बच्चे कुपोषण की चपेट में आकर अल्प समय में ही काल के गाल में समा रहे हैं। एक ओर प्रशासन जहां योजनाओं के क्रियान्वयन को पूर्ण दर्शाता है तो वही दूसरी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्वर्णिम मध्यप्रदेश को भी कहीं ना कहीं यह कुपोषण मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है।
मोदी सरकार के लाख जतन के बावजूद भी शिवपुरी जिले में कुपोषण पैर पसार रहा है। और यह अभिशाप सेे कम नहीं है।पोषण के दंश से जिले भर में कई आदिवासी परिवार जहां भूखों मरने की कगार पर हैं । वहीं उनके मासूम बच्चे कुपोषण की चपेट में आकर अल्प समय में ही काल के गाल में समा रहे हैं। एक ओर प्रशासन जहां योजनाओं के क्रियान्वयन को पूर्ण दर्शाता है तो वही दूसरी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्वर्णिम मध्यप्रदेश को भी कहीं ना कहीं यह कुपोषण मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है।
यह तस्वीर जो आप देख रहे हैं जिसमे अपनी मां की गोद में बेठी 1 वर्षीय लक्ष्मी पिता का नाम चंद्रभान आदिवासी पता कोलारस अनुविभाग रिझारी गांव की है।
प्राप्त जानकारी के अनुुुसार शनिवार की शाम लक्ष्मी की मां गीता आदिवासी उसे लेकर कोलारस के समुदायक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी। जहां डॉक्टर ने उसकी गंभीर हालत को देखकर शिवुपरी रैफर कर दिया। शिवपुरी में उसे पीआईसीयू में भर्ती किया गया, बताया गया है कि लक्ष्मी का पिता शिवपुरी में इलाज से संतुष्ट नही था। इस कारण वह बच्ची को वापस अपने घर ले आया। और घर पर ही कुपोषित बच्ची ने दम तोड़ दिया।
क्या कहते है आंकड़े...
भारत में कुपोषण अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है. कोविड महामारी ने भी देश में कुपोषण की स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 27.2 के स्कोर के साथ 107 देशों की लिस्ट में 94वें नंबर पर है, जिसे बेहद गंभीर माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और प्रसिद्ध स्वास्थ्य मैगजीन लांसेट के मुताबिक देश में हर दूसरी महिला खून की कमी की शिकार है.
वहीं देश का हर तीसरा बच्चा अविकसित या छोटे कद का है. इसके अलावा भारत का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार देश में 9.3 लाख से अधिक 'गंभीर कुपोषित' बच्चों की पहचान की गई है।
वैसे तो मप्र सरकार का कुपोषण से लडने के लिए पूरा एक विभाग महिला बाल विकास विभाग बना हुआ है। लेकिन इस लक्षमी की तस्वीर देखकर लगता है कि यह विभाग कुपोषण से कैसे लड रहा हैं। लक्ष्मी के पिता का कहना था कि वह कोलारस स्वस्थ केंद्र तीन दिन से चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी किसी ने नही सुनी। अब 3 दिन बाद उसे शिवपुरी भेजा गया। स्वास्थ्य सेवाओं की हालत किसी से छुपी नही है और महिला बाल विकास के किस्से भी आये दिन सुनने को मिल जाते हैं। कोलारस में पदस्थ बीएमओ अलका त्रिवेदी तो क्षेत्र में कभी कभी ही दर्शन देती है। अब जब जिम्मेदार ही काम नही करेंगे तो हालात कैसे सुधरेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुुुसार शनिवार की शाम लक्ष्मी की मां गीता आदिवासी उसे लेकर कोलारस के समुदायक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी। जहां डॉक्टर ने उसकी गंभीर हालत को देखकर शिवुपरी रैफर कर दिया। शिवपुरी में उसे पीआईसीयू में भर्ती किया गया, बताया गया है कि लक्ष्मी का पिता शिवपुरी में इलाज से संतुष्ट नही था। इस कारण वह बच्ची को वापस अपने घर ले आया। और घर पर ही कुपोषित बच्ची ने दम तोड़ दिया।
क्या कहते है आंकड़े...
भारत में कुपोषण अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है. कोविड महामारी ने भी देश में कुपोषण की स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 27.2 के स्कोर के साथ 107 देशों की लिस्ट में 94वें नंबर पर है, जिसे बेहद गंभीर माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और प्रसिद्ध स्वास्थ्य मैगजीन लांसेट के मुताबिक देश में हर दूसरी महिला खून की कमी की शिकार है.
वहीं देश का हर तीसरा बच्चा अविकसित या छोटे कद का है. इसके अलावा भारत का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार देश में 9.3 लाख से अधिक 'गंभीर कुपोषित' बच्चों की पहचान की गई है।
वैसे तो मप्र सरकार का कुपोषण से लडने के लिए पूरा एक विभाग महिला बाल विकास विभाग बना हुआ है। लेकिन इस लक्षमी की तस्वीर देखकर लगता है कि यह विभाग कुपोषण से कैसे लड रहा हैं। लक्ष्मी के पिता का कहना था कि वह कोलारस स्वस्थ केंद्र तीन दिन से चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी किसी ने नही सुनी। अब 3 दिन बाद उसे शिवपुरी भेजा गया। स्वास्थ्य सेवाओं की हालत किसी से छुपी नही है और महिला बाल विकास के किस्से भी आये दिन सुनने को मिल जाते हैं। कोलारस में पदस्थ बीएमओ अलका त्रिवेदी तो क्षेत्र में कभी कभी ही दर्शन देती है। अब जब जिम्मेदार ही काम नही करेंगे तो हालात कैसे सुधरेंगे।
₹5000 रख लो और मुंह बंद कर लो
अधिकारियों की लापरवाही और इलाज समय पर ना मिलने के चलते मासूम बच्ची ने अपना दम तोड़ दिया बताया जा रहा है कि बच्ची अति कुपोषित श्रेणी की थी।
जिस के उपचार के लिए पीड़ित के माता पिता को दर-दर भटकाया जा रहा था। अंततः पीड़ित माता-पिता का हार कर अपने घर आ गए और बच्ची ने अपने घर पर ही दम तोड़ दिया।
बच्ची की मौत की खबर लगते ही गहरी नींद में सो रहे विभागीय अधिकारियों की अचानक नींद खुली और अपनी पोल खोल ना जाए इस डर से आनन-फानन में अधिकारियों की टीम पीड़ित माता पिता के पास पहुंची सबसे ताज्जुब की बात यह है की मृतक बच्ची के माता-पिता को ₹5000 की स्वांतना राशि देते हुए अपना मुंह बंद रखने और इस घटना का किसी से जिक्र ना करने की समझाइश भी दी गई। बच्ची के पिता चंद्रभान आदिवासी ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके पास कुछ अधिकारी पहुंचे थे जिन्होंने पहले तो बच्ची के पिता को ही दोषी करार देना शुरू कर दिया उसके बाद ₹5000 देते हुए यह कहा कि तुम्हारी बच्ची बहुत बीमार थी लिहाजा उसकी जान बच ना सकी यह ₹5000 रख लो और इस बात का जिक्र किसी से भी मत करना वरना परेशानी में आ जाओगे।
कलेक्टर ने जांच उपरांत दोषियों पर कार्यवाही करने की कहीं बात
इस पूरे मामले में जब शिवपुरी के कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह से बात की गई तो कलेक्टर साहब ने जानकारी देते हुए बताया कि आपके माध्यम से यह पूरी घटना हमारे संज्ञान में आई है। जिसके लिए एक विशेष जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच की जाएगी और निश्चित ही
दोषी व्यक्ति पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।