शराब का भोग लेकर पहुंचे कलेक्टर एसपी
महामाई को खुश करने
और महामारी से निजात दिलाने
कलेक्टर एसपी ने माता मंदिर पर
चढ़ाई शराब...
उज्जैन-मध्यप्रदेश..
नवरात्र का यह पावन पर्व शक्ति की उपासना का पर्व माना जाता है इन 9 दिनों तक विशेष रुप से मां आदिशक्ति की साधना करते हुए भक्त अष्टमी और नवमी पर विशेष पूजा कर मां भगवती से मनचाहा वर मांगते हैं। इन 9 दिनों के दौरान महा अष्टमी की पूजा बेहद विशेष मानी जाती है कहा जाता है कि इस दिन भगवती को मनचाहा भोग लगाकर उसे प्रसन्न करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वैसे तो मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में अलग-अलग नियमों के आधार पर भोग प्रसाद की व्यवस्था होती है लेकिन कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां मां भगवती को मदिरापान करा कर प्रसन्न किया जाता है ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में है जहां आज भी पौराणिक परंपराओं के अनुसार महा अष्टमी के दिन मदिरा (शराब) का भोग लगाकर मां को प्रसन्न किया जाता है।मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित चौबीस खंबा माता मंदिर बेहद सिद्ध स्थान के नाम से जाना जाता है इसके साथ साथ यहां की एक और विशेषता है जिसमें नवरात्रि के दौरान महा अष्टमी पर मां भगवती को शराब का भोग चढ़ाकर प्रसन्न किया जाता है। लंबे समय से चली आ रही यह परंपरा आज भी अनवरत जारी है इसी कड़ी में आज बुधवार की सुबह उज्जैन के कलेक्टर और एसपी 24 खंबा इस्थित माता मंदिर में महा अष्टमी पर्व पर अपनी हाजिरी लगाने पहुंचे इस दौरान उन्होंने परंपरागत तरीके से मंदिर में माता की आरती की और फिर महाभोग के रूप में मदिरा शराब का भोग अर्पण किया।
महामारी से निजात दिलाने महामाई को शराब का भोग
उज्जैन के सिद्ध चौबीस खंबा माता मंदिर में बुधवार महा अष्टमी पर कोरोना महामारी से निजात दिलाने की प्रार्थना लेकर जिले के कलेक्टर और एसपी ने मां भगवती के दरबार पर अपनी हाजिरी दी इस दौरान उज्जैन कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक के साथ परंपरागत तरीके से माता रानी का पूजन अर्चन किया और उसके बाद भोग प्रसाद स्वरूप मदिरा पिला कर माता रानी से महामारी से निजात दिलाने की प्रार्थना की।
मान्यता है की यहाँ माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे। इसी परंपरा का निर्वाह जिलाधीश और एसपी द्वारा किया गया हें।
माता के साथ-साथ भैरव को भी चढ़ता है शराब का प्याला
आपको बता दें कि उज्जैन के जिला कलेक्टर आशीष से हैं और पुलिस कप्तान सत्येंद्र शुक्ला ने महा अष्टमी के पर्व पर माता को मदिरा का भोग लगाया और इसके बाद 27 किलोमीटर तक शहर में शराब की धार चढ़ाकर अलग-अलग भैरव मंदिरों में शराब का भोग चढ़ाने की पौराणिक परंपरा का निर्वहन भी किया उज्जैन कलेक्टर एसपी बकायदा कुछ दूर तक स्वयं शराब की हांडी लेकर पैदल भी चले।कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा की मान्यता है की देवी के पूजन से महामारी खत्म होती है। इसी के चलते उज्जैन शहर की ओर से देवी से प्रार्थना की गयी की दुनिया में महामारी का दौर ख़त्म हो।
जानिए क्या है पौराणिक मान्यता आखिर क्यों चढ़ता है माता को शराब का भोग
उज्जैन में कई जगह प्राचीन देवी मन्दिर है, जहां नवरात्रि में पाठ-पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि में यहां काफी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। इन्हीं में से एक है चौबीस खंबा माता मन्दिर। कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भगवान महाकालेश्वर के मन्दिर में प्रवेश करने और वहां से बाहर की ओर जाने का मार्ग चौबीस खंबों से बनाया गया था। इस द्वार के दोनों किनारों पर देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाएं स्थापित है। सम्राट विक्रमादित्य ही इन देवियों की आराधना किया करते थे। उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर यहां शासकीय पूजन किये जाने की परम्परा चली आ रही है।
ज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार है। नगर रक्षा के लिये यहां चौबीस खंबे लगे हुए थे, इसलिये इसे चौबीस खंबा द्वार कहते हैं। यहां महाअष्टमी पर शासकीय पूजा तथा इसके पश्चात पैदल नगर पूजा इसीलिये की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सके और महामारी से बचाये ।
चोबीस खम्बा माता के यंहा महालया और महामाया के मंदिरों में उज्जैन कलेक्टर ने मदिरा चडाकर माता की अराधना की। राजा विक्रमादित्य के समय से प्रारंभ हुई यह परंपरा को जिला प्रशासन उज्जैन आज भी उसी प्रकार से निर्वाहन कर रहा है। मान्यता है की इन मंदिरो में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है।
27 किलोमीटर की लंबी पूजा में 40 मंदिरों में लगता है मदिरा का भोग
आपको बता दें कि उज्जैन जिले के अंतर्गत आने वाले इन विशेष मंदिरों में नवरात्र पर्व पर शक्ति की उपासना के लिए विशेष पूजा का विधान है महाष्टमी की इस विशेष पूजा के दौरान लगभग 27 किमी लम्बी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाता है ।सुबह से प्रारंभ होकर यह यात्रा शाम तक खत्म होती है। यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर 24 खंबामाता मंदिर से प्रारंभ होकर ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है। इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है। जिसमें नीचे छेद होता है। जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है। महामारी से बचने के लिए माता को खुश कर कलेक्टर ने माता को शराब का भोग लगाया और शहर को महामारी से बचाने का आशीर्वाद लिया।