सीएम शिवराज ,बीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह पर 10 करोड़ की मानहानि का नोटिस
जबलपुर मध्यप्रदेश
राजनीति के गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर आम बात होती है लेकिन इन सबके बीच सुर्खियां तब बनती हैं जब मानहानि के दावे जैसी कोई बात खुलकर सामने आती है। मध्यप्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश के भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की आपसी खींचतान प्रदेश की जनता से छुपी नहीं है। एक और प्रदेश में काबिज भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द पंचायत चुनाव का निपटारा हो जाए तो वही विपक्ष में बैठे कॉन्ग्रेस ने पंचायत चुनाव को ही मुद्दा बनाते हुए विरोध का दौर शुरू कर दिया है। जिसे लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका लगाई गई। इस दौरान रविवार की शाम राजनीतिक गलियारों में उस समय हलचल मच गई जब वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तंखा ने मध्यप्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के चलते ओबीसी आरक्षण मामले में आरोप लगाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और नगरी आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह को ₹10 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेज दिया है। राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तंखा ने तर्क रखा है कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री एवं अन्य लोगों द्वारा बेबुनियाद आरोप लगाने से उनकी छवि धूमिल हुई है। उपरोक्त नोटिस में आगामी 3 दिनों के अंदर माफी मांगने की बात का जिक्र भी किया गया है यह नोटिस मध्य प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तंखा की ओर से भिजवाया है।
गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने रविवार की दोपहर बीजेपी के ओबीसी नेताओं की एक बैठक बुलाई थी बैठक के खत्म होने के बाद बाकायदा एक पत्रकार वार्ता बुलाकर नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा था कि मामला विवेक तंखा कोर्ट लेकर गए यहां विवेक तंखा ने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया था उसके आधार पर फैसला आया है। वही वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तंखा को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का भी बयान आया था। हालांकि इन सब बयानबाजी के दौरान प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का इस विषय को लेकर कोई भी बयान सामने नहीं आया है
आपको बता दें कि पंचायत चुनाव को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तंखा कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र फैसले की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के निर्देश दिए हैं। इस पूरे मामले में राज्य स्तरीय आयोग के गठन की स्थापना किए जाने का निर्देश भी दिया गया है जहां आयोग वर्ग की आबादी की गणना कर सिफारिश सरकार को देगा और इसी सिफारिश की आधार पर आरक्षण तय किया जाएगा।
बहरहाल यह 10 करोड़ का मानहानि का नोटिस राजनैतिक गलियारों से लेकर समाचार कार्यालयों तक जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। चुनाव के ठीक पहले इस नोटिस का आना आम जनता से लेकर राजनीतिक गुरुओ तक सभी के बीच एक विचित्र पहेली बना हुआ है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर बैठे शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्री गण इस मानहानि के नोटिस और 3 दिन के अंदर माफी मांगने के अल्टीमेटम को किस तरह लेते हैं......