लोक अदालत का आयोजन 11 दिसम्बर को
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं मुख्य न्यायाधिपति म.प्र. उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति श्री रवि मलिमथ तथा माननीय न्यायमूर्ति श्री शील नागू, कार्यपालक अध्यक्ष म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के मार्गदर्शन में प्रदेश में 11 दिसंबर को उच्च न्यायालय स्तर से लेकर जिला न्यायालयों/तालुका न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, कुटुम्ब न्यायालयों तथा अन्य न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा हैं। जिसमें न्यायालयीन लंबित दीवानी एवं आपराधिक शमनीय मामलों एवं बैंक, विद्युत, श्रम, जलकर, संपत्तिकर आदि प्री-लिटिगेशन प्रकरणों सहित सभी प्रकार के मामले निराकरण हेतु रखे जायेगें।
11 दिसंबर को आयोजित नेशनल लोक अदालत में संपूर्ण मध्यप्रदेश में लगभग 1350 से अधिक खण्डपीठों का गठन किया जाकर लगभग 1 लाख 85 हजार से अधिक लंबित प्रकरणों तथा 3 लाख 52 हजार से अधिक प्री-लिटिगेशन प्रकरणों को लोक अदालत हेतु रैफर्ड किया गया हैं।
नेशनल लोक अदालत में विद्युत अधिनियम के लंबित एवं प्री-लिटिगेशन प्रकरणों तथा म.प्र. नगर पालिका अधिनियम के अंतर्गत अधिरोपित संपत्ति कर एवं जलकर के प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को नियमानुसार विभिन्न छूट प्रदान की जा रही है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार सिंह ने पक्षकारों से अधिक से अधिक संख्या में लाभ प्राप्त करने का अनुरोध है।
नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण पर कोर्ट फीस पक्षकार को वापसी योग्य होती है। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों की जीत होती है, किसी भी पक्ष की हार नहीं होती है। लोक अदालत में दोनों पक्षों की सहमति से मामला रखा जाकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में विवाद का निराकरण किया जाता है, जिससे पक्षकारों के अमूल्य समय तथा व्यय होने वाले धन की बचत होती है तथा पक्षकारों में परस्पर स्नेह भी बना रहता है। लोक अदालत में मामला अंतिम रूप से निराकृत होता है, इसके आदेश की कोई अपील अथवा रिवीजन नहीं होती है।
अतः श्री राजीव कर्महे, सदस्य सचिव, मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सभी से आव्हान किया गया है कि ऐसे इच्छुक पक्षकारगण जो न्यायालय में लंबित एवं मुकदमेबाजी के पूर्व (प्रिलिटिगेशन प्रकरण) उपरोक्त प्रकार के चिन्हित किये गये प्रकरणों/विवादों का उचित समाधान कर आपसी सहमति से लोक अदालत में निराकरण कराना चाहते है, वे संबंधित न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्पर्क कर अपना मामला. लोक अदालत में रखे जाने हेतु, अपनी सहमति व आवश्यक कार्यवाही 11 दिसम्बर के पूर्व पूर्ण कराये, ताकि मामला नेशनल लोक अदालत, 11 दिसंबर को विचार में लेकर निराकृत किया जा सके।