एमपी में नहीं होंगे पंचायत चुनाव..
वापिस होगी 1.37 लाख उम्मीदवारों की फीस
भोपाल-मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के घमासान में आखिरकार वह फैसला आ ही गया जिसे लेकर 1 सप्ताह से मध्यप्रदेश में सुगबुगाहट मची हुई थी। दरअसल निर्वाचन आयोग ने मंगलवार की शाम एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया निरस्त करने का एलान कर दिया है। याने अब मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं होगें। मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कानूनी सलाह के बाद यह घोषणा की।
लाखों उम्मीदवारों की फीस होगी वापस
पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से ही लाखों की संख्या में उम्मीदवारों ने ना केवल हार जीत का दाव लगा दिया था। बल्कि अपने अपने क्षेत्रों में गुपचुप प्रचार के माध्यम से अपनी उम्मीदवारी भी तय कर ली थी। लेकिन मतदान से ठीक 9 दिन पहले आए इस फैसले ने सभी को चौंका कर रख दिया।आपको बता दें कि पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में अब तक 1.37 लाख उम्मीदवार नामांकन दर्ज करा चुके हैं अब आयोग के फैसले के बाद इस चरण के लिए नामांकन में दाखिल कर चुके करीब 1.37 लाख उम्मीदवारों की फीस वापस होगी। गौरतलब हो कि बीते रविवार को राज्य सरकार ने उस अध्यादेश को रद्द कर दिया था, जिसके आधार पर ये चुनाव कराए जा रहे थे। इसलिए आयोग को भी चुनाव निरस्त करने का कदम उठाना पड़ा।
लंबी चली चर्चा के बाद आखिरकार आया फैसला
आयोग के लिए पंचायत चुनाव को निरस्त करने का फैसला देना इतना आसान नहीं था। क्योंकि बात सुप्रीम कोर्ट तक जा चुकी थी लिहाजा अब आयोग इसका हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में देगा। फैसला आने से पहले पहले बसंत प्रताप सिंह ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ सहित दो अन्य वकीलों से चर्चा की। फिर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। फिर चुनाव निरस्ती का फैसला लिया। उल्लेखनीय है कि आयोग में सोमवार को तीन बार बैठकें हुई थीं। इस दौरान आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ का लीगल ओपिनियन अफसरों को मिला था, लेकिन दो अन्य वकीलों की कानूनी सलाह नहीं मिल पाई थी। इसकी वजह से मंगलवार तक के लिए फैसला टाल दिया गया था।
आयोग ने पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश-2021 के आधार पर 4 दिसंबर को पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया था। इसमें वर्ष 2019 में पंचायतों के परिसीमन को निरस्त करके पुराने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराए जा रहे थे, जिसे विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा न्यायालयों में चुनौती दी गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों के चुनाव पर रोक लगाते हुए शेष प्रक्रिया को जारी रखने के आदेश दिए थे।