त्रासदी के 37 वर्ष बाद भी
न्याय के लिए भटक रहे गैस पीड़ित
भोपाल में हुए यूनियन कार्बाइड हादसे की 37 वीं बरसी के मोके पर गैस पीड़ित संगठनों के नेताओं ने राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा 37 साल बाद भी पीड़ितों को इंसाफ और इज्जत की जिंदगी मुहैया ना करा पाने की कड़ी निंदा की हैं। संगठनों ने राज्य और केंद्र सरकार पर केंद्रित अपनी 37 दिवसीय मुहिम '37 साल 37 सवाल ' पर भी जानकारी साझा की।
भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने कहा कि हम चाहते हैं कि दुनिया को पता चले कि विश्व के सबसे भीषण औद्योगिक हादसे के 37 साल बाद भी भोपाल गैस पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा गया है।उन्होनो कहा कि" हमें यह बताते हुए खेद हो रहा है कि किसी भोपाली को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है और आज तक कोई भी अपराधी एक मिनट के लिए भी जेल नहीं गया है। इसका कारण यह है कि हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारें और अमरीकी कंपनियों के बीच सांठगांठ आज भी जारी है।
उन्होंने बताया " अस्पतालों में भीड़ , संभावित हानिकारक दवाओं का बेहिसाब और अंधांधुंध इस्तेमाल और मरीजों की लाचारी वैसी ही बनी हुई है जैसी हादसे की सुबह थी। रचना ने कहा कि आज यूनियन कार्बाइड की गैसों के कारण फेफड़े, हृदय, गुर्दे,तंत्रिका तंत्र और रोग प्रतिरोधक तंत्र की पुरानी बीमारियों के लिए इलाज की कोई प्रमाणिक विधि विकसित नहीं हो पाई है क्योंकि सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए हैं और यूनियन कार्बाइड कम्पनी ही है जिसके पास स्वास्थ्य संबंधी सारी जानकारी है और आज तक कम्पनी ने इस जानकारी को दबा कर रखा है।
रचना ढिंगरा,भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन