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एक किलो गेहू के दाम पर मिल रहा जानवरों का भूसा



महंगाई की मार से आम जन का बुरा हाल है भले ही सरकार कई जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से यह दावा करें कि आमजन को राहत पहुंचाने का काम किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है हम बात कर रहे हैं हरदोई जिले के ताजा हालातों की जहां हरदोई जिले के भरावन इलाके में सड़क के किनारे बैठे ग्रामीणों से जब सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं के विषय में जानकारी एकत्र की गई तो  कुछ इसी तरह से लोगों की नाराजगी सामने आई। हालांकि इलाके के कुछ लोगों ने सरकार के सकारात्मक प्रयासों की तारीफ भी की...

यू बताओ...का फिरी (फ्री) मिलइ वाले राशन का कच्चा चबाइ लेई...

नोन, तेल, गैस लागी कि नाई लागी...

ड्याखि लेउ... आगि लागि है आगि महंगाई मा... 

और आप पूछि रहे हौ कि चुनाव क्यार माहौल का है...

बदलब ऊ भैया अबकी बार सरकार।

 राम गणेश की हां में हां मिलाते हुए किशन बोले..औ भैया...उ संडवा (सांड़) क्यार (का) बताओ...जो हमार ख्यात (खेत) चर डारिस (चर लिया) है। एक्कउ दाना नाई भवा अबकी ख्यात मा। हरदोई जिले के भरावन इलाके में सड़क के किनारे बैठे ग्रामीणों से जब अमर उजाला डॉट कॉम ने बात की तो कुछ इसी तरह से लोगों की नाराजगी सामने आई। हालांकि इलाके के कुछ लोगों ने सरकार के सकारात्मक प्रयासों की तारीफ भी की।

सरकार का महंगाई पर कोई कंट्रोल नहीं...

गांव गलियारों में सरकार से मिल रही सुविधाओं और योजनाओं की चर्चा अक्सर चौराहों और चौपालों में देखने को मिलती ही है और यहीं से आमजन की पीड़ा पूरी सच्चाई के साथ सामने आती है ऐसी ही चर्चा आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं जहां पर सरकार से निकलकर अधिकारियों से होते हुए योजनाओं का कितना लाभ आम जन तक पहुंच पाता है इस मामले को आप भी भली-भांति समझ पाएंगे। साथ ही आमजन के दिलों दिमाग पर मौजूदा सरकार और पूर्व सरकार के बीच क्या समीकरण है इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं

गांव के राम गणेश कहते हैं कि इस सरकार में महंगाई बहुत चरम पर पहुंच गई है। उनका कहना है कि दस रुपये किलो जानवरों को खिलाने वाला भूसा मिल रहा है। जबकि एक वक्त में इतने रुपये में ही खाने वाला गेहूं मिल जाता था। उनका कहना है कि सरकार गरीबों को राशन तो दे रही है, लेकिन उस राशन से क्या होने वाला है। क्योंकि उस राशन से बनने वाली सब्जी और बनने वाले भोजन में भी तो चीजें इस्तेमाल होती हैं। दो सौ रुपये से ज्यादा महंगा तेल हो गया है। गांव में भी अब सब्जियां महंगी हो गई हैं। सरकार का महंगाई पर कोई कंट्रोल नहीं है। पेट्रोल-डीजल सब महंगे हुए जा रहे हैं। इसी वजह से किसानों सब चीजें महंगी हो रही है।


गैस सिलेंडर मिला लेकिन दोबारा भरवाया नहीं

रेलवे से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी दिनेश कुमार कहते हैं कि महंगाई इतनी ज्यादा है कि पूछिए मत। वे कहते हैं उन्हें पेंशन तो मिल रही है, लेकिन उससे घर का खर्चा नहीं चल रहा है। उन्होंने बताया कि अपने गांव में दस बिस्वा खेत में उन्होंने सरसों उगाई है। अगर छुट्टा जानवरों से उनका खेत बच गया, तो शायद अपनी फसल से सरसों का तेल निकलवा सकें और दो सौ रुपये लीटर से ज्यादा महंगे बिक रहे सरसों के तेल से निजात पा सकेंगे। दिनेश कुमार कहते हैं, उनके घर में जानवर भी पले हैं। लेकिन उन्हें खिलाने वाला चारा भी इतना महंगा हो गया है, कई बार जब वह स्थानीय बाजार में चारा खरीदने जाते हैं तो वह भी नहीं मिलता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को गौशाला में रहने वाले जानवर और वहां के जानवरों के अनुपात में खरीदे जाने वाले चारे की खरीद की जांच भी करानी चाहिए। क्योंकि जरूरतमंद को चारा नहीं मिल रहा है। गांव के रामाधीन बताते हैं कि उन्हें गैस सिलेंडर तो मिल गया था, लेकिन वह उसे दोबारा भरवा नहीं सके। वजह बताते हुए वह कहते हैं कि इसकी कीमत में इतना ज्यादा इजाफा हुआ कि मजबूरी में अभी भी उनके घर में चूल्हे पर ही खाना बनता है।


खराब गुणवत्ता के हैं शौचालय

छुट्टा जानवरों को लेकर गांव के ही ओम प्रकाश कहते हैं कि जानवर न सिर्फ फसलों को खा रहे हैं, बल्कि उसकी वजह से लोगों की मौत भी हो रही है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले छुट्टा जानवर ने उनके गांव के ही एक आदमी को सड़क पर पटक कर मार डाला था। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जानवरों के डर से अब गांव की महिलाएं खेतों में शौच के लिए भी नहीं जा पा रही हैं और लोग भी सड़कों पर निकलते हुए डरते हैं। खेतों में शौच जाने के सवाल पर उनका कहना है कि गांव में जो शौचालय बने हैं उनकी क्वॉलिटी इतनी खराब है कि वह किसी काम के नहीं रहे। यही वजह है कि गांव के लोग अभी भी खेतों में शौच के लिए जा रहे हैं।


इसी गांव के रहने वाले उमेश चंद्र कहते हैं कि ऐसा नहीं है इस सरकार ने विकास नहीं किया। वे कहते हैं इस सरकार में हुआ विकास दिख भी रहा है। चाहे गांवों में सड़कों की बात हो या बिजली की। उन्होंने कहा कि लोगों को राशन मिल रहा है, उज्जवला योजना के तहत गैस भी मिली। उनका कहना है कि वर्षों से इंतजार मंदिर निर्माण का हो रहा था, वह भी तो बन रहा है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार में जो विकास हो रहा है, वह दिखाई दे रहा है।


साभार अमर उजाला डॉट कॉम



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