निर्देशक अयान मुखर्जी ने हिंदी सिनेमा में सिर्फ दो फिल्में बनाई हैं। लेकिन, उनकी ये दोनों फिल्में ही उनके सिनेमा की पहचान भी हैं। वह परंपराओं को आधुनिकता से मिलाने वाले फिल्मकार रहे हैं और उनकी अगली फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' भी इसी कड़ी को आगे बढ़ाने वाली फिल्म है, बस इस बार कहानी का स्तर अलौकिक भी है और पारलौकिक भी। मुंबई के एक सिनेमाघर में सोमवार को देश भर के चुनिंदा पत्रकारों के बीच फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की जिस पहली झलक से अयान ने फिल्म की हीरोइन आलिया भट्ट की मौजूदगी में परदा उठाया, वह विस्मयकारी है। हजारों साल पुरानी पौराणिक कथाओं में तलाशे बीज पर अयान ने अपनी कल्पना से अतीत और वर्तमान का पुल बनाया है। इसकी पहली कहानी फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की पहली कड़ी है, जिसमें रणबीर दिखेंगे शिव के अंश के रूप में और आलिया धरेंगी रूप इहा का।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की पहली झलक का आखिरी फ्रेम इसकी कहानी का असली सूत्र समझाने की कोशिश करता है। इसमें शिव की एक विशालकाय प्रतिमा के सामने ठीक उन्हीं की देह भंगिमा लिए रणबीर कपूर दिखते हैं। दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बायां हाथ की हथेली शिव की प्रतिमा से अलग है। शिव की मुट्ठी खुली है। शिवा की बंद है। जी हां, रणबीर कपूर फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की इस कहानी के शिवा है। उनकी बंद मुट्ठी में ही इस कहानी के राज हैं। वह तमाम समय विस्तार में फैली आकाशगंगा का वह अंश है जिसे पौराणिक काल से चली आ रही परंपराओं ने तलाश है। ये परंपरा है मानवता के विकास की, उसके पोषण की और उसके पालन की। ये अंश किसे चुनेगा, किसी को नहीं पता, लेकिन जिसे चुनेगा, उसी को मिलेगा अस्त्रों का देवता, ब्रह्मास्त्र।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की पहली झलक दिखाने के साथ अयान मुखर्जी ने इस फिल्म को लेकर अपनी और अपनी टीम की मेहनत के बारे में भी बात की। फिल्म की पहली झलक दिखाती है कि ये फिल्म हिंदी सिनेमा में स्पेशल इफेक्ट्स की एक नई बयार बनकर आने वाली है। अयान की इस फिल्म के बारे में लोग अक्सर यही कहते रहे हैं कि ये फिल्म साल 2014 में घोषित हुई और तब से बन ही रही है। अयान कहते हैं कि ये फिल्म साल 2014 से नहीं बल्कि 2011 से बन रही है। तब से जब वह पहली बार हिमालय की चोटियों के सामने थे। वहीं से उनके मन में एक दैवीय कथा ने जन्म लिया।
अयान का मानना है कि बचपन से उनका अपने घर में देवी, देवताओं की कहानियों से जो साक्षात्कार होना शुरू हुआ, उसने उनकी इस फिल्म के लिए नींव के पत्थरों का काम किया है। वह मानते हैं कि फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की कहानी काल्पनिक है लेकिन वह ये भी बताते हैं कि पौराणिक कथाओं में कल्पना की उनकी ये उड़ान कुछ कुछ वैसी ही है जैसी ‘हैरी पॉटर’ सीरीज की फिल्में या फिर ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ सीरीज की फिल्में रही हैं। अयान की फिल्म की पहली झलक उनकी इस बात को पक्का भी करती है। इसमें शिवा और इहा के बीच के संवादों से पता चलता है कि प्रकृति में बदलाव हो रहा है और शिवा को अपने भीतर आ रही इस अनोखी ऊर्जा की अनुभूति होने लगी है।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की जब पहली बार परिकल्पना हुई थी और भारत में इसकी निर्माता कंपनी फॉक्स स्टार स्टूडियोज ने इसमें पैसा लगाने की बात मानी थी तो तब कंपनी के सर्वेसर्वा रहे उदय शंकर ने फिल्म की लागत 300 करोड़ रुपये बताई थी। उदय शंकर को अपनी इस कल्पना पर काफी भरोसा रहा। अयान ने इस कल्पना को साकार करने के लिए लगातार मेहनत की है। उन्होंने फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स के लिए दुनिया के बेहतरीन कलाकारों की मदद ली है और ये भी वादा किया है कि फिल्म का पोस्टर वह हिंदी में भी जरूर रिलीज करेंगे।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र’ की ये खास झलक बुधवार को दुनिया के सामने आ रही है। इसे अपने फैंस के साथ साझा करने फिल्म के अभिनेता रणबीर कपूर अपने निर्देशक अयान मुखर्जी के साथ दिल्ली पहुंच रहे हैं। त्यागराज स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में 'ब्रह्मास्त्र’ के बारे में दुनिया को पहली बार पता चलने वाला है। अयान इस दौरान फिल्म को बनाने में लगे अपने जीवन के 10 साल की मेहनत पर भी प्रकाश डालने वाले हैं।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की पहली झलक का आखिरी फ्रेम इसकी कहानी का असली सूत्र समझाने की कोशिश करता है। इसमें शिव की एक विशालकाय प्रतिमा के सामने ठीक उन्हीं की देह भंगिमा लिए रणबीर कपूर दिखते हैं। दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बायां हाथ की हथेली शिव की प्रतिमा से अलग है। शिव की मुट्ठी खुली है। शिवा की बंद है। जी हां, रणबीर कपूर फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की इस कहानी के शिवा है। उनकी बंद मुट्ठी में ही इस कहानी के राज हैं। वह तमाम समय विस्तार में फैली आकाशगंगा का वह अंश है जिसे पौराणिक काल से चली आ रही परंपराओं ने तलाश है। ये परंपरा है मानवता के विकास की, उसके पोषण की और उसके पालन की। ये अंश किसे चुनेगा, किसी को नहीं पता, लेकिन जिसे चुनेगा, उसी को मिलेगा अस्त्रों का देवता, ब्रह्मास्त्र।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की पहली झलक दिखाने के साथ अयान मुखर्जी ने इस फिल्म को लेकर अपनी और अपनी टीम की मेहनत के बारे में भी बात की। फिल्म की पहली झलक दिखाती है कि ये फिल्म हिंदी सिनेमा में स्पेशल इफेक्ट्स की एक नई बयार बनकर आने वाली है। अयान की इस फिल्म के बारे में लोग अक्सर यही कहते रहे हैं कि ये फिल्म साल 2014 में घोषित हुई और तब से बन ही रही है। अयान कहते हैं कि ये फिल्म साल 2014 से नहीं बल्कि 2011 से बन रही है। तब से जब वह पहली बार हिमालय की चोटियों के सामने थे। वहीं से उनके मन में एक दैवीय कथा ने जन्म लिया।
अयान का मानना है कि बचपन से उनका अपने घर में देवी, देवताओं की कहानियों से जो साक्षात्कार होना शुरू हुआ, उसने उनकी इस फिल्म के लिए नींव के पत्थरों का काम किया है। वह मानते हैं कि फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की कहानी काल्पनिक है लेकिन वह ये भी बताते हैं कि पौराणिक कथाओं में कल्पना की उनकी ये उड़ान कुछ कुछ वैसी ही है जैसी ‘हैरी पॉटर’ सीरीज की फिल्में या फिर ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ सीरीज की फिल्में रही हैं। अयान की फिल्म की पहली झलक उनकी इस बात को पक्का भी करती है। इसमें शिवा और इहा के बीच के संवादों से पता चलता है कि प्रकृति में बदलाव हो रहा है और शिवा को अपने भीतर आ रही इस अनोखी ऊर्जा की अनुभूति होने लगी है।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की जब पहली बार परिकल्पना हुई थी और भारत में इसकी निर्माता कंपनी फॉक्स स्टार स्टूडियोज ने इसमें पैसा लगाने की बात मानी थी तो तब कंपनी के सर्वेसर्वा रहे उदय शंकर ने फिल्म की लागत 300 करोड़ रुपये बताई थी। उदय शंकर को अपनी इस कल्पना पर काफी भरोसा रहा। अयान ने इस कल्पना को साकार करने के लिए लगातार मेहनत की है। उन्होंने फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स के लिए दुनिया के बेहतरीन कलाकारों की मदद ली है और ये भी वादा किया है कि फिल्म का पोस्टर वह हिंदी में भी जरूर रिलीज करेंगे।
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र’ की ये खास झलक बुधवार को दुनिया के सामने आ रही है। इसे अपने फैंस के साथ साझा करने फिल्म के अभिनेता रणबीर कपूर अपने निर्देशक अयान मुखर्जी के साथ दिल्ली पहुंच रहे हैं। त्यागराज स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में 'ब्रह्मास्त्र’ के बारे में दुनिया को पहली बार पता चलने वाला है। अयान इस दौरान फिल्म को बनाने में लगे अपने जीवन के 10 साल की मेहनत पर भी प्रकाश डालने वाले हैं।
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