मध्य प्रदेश सौभाग्य योजना के नाम बिजली विभाग का बड़ा घोटाला सामने आया है। तीन-चार गांवों में बिजली के खंबे-तार नहीं पहुंचे, पर आदिवासियों को बिजली के बिल मिल रहे हैं।
मध्य प्रदेश में सरकार आदिवासियों को खुश करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। जनजातीय वर्ग के लिए कई योजनाएं शुरू की गई है। अब इन्हीं गरीब आदिवासियों के साथ छल का मामला सामने आया है। सौभाग्य योजना के नाम पर बिजली विभाग के अफसरों और ठेकेदारों ने घोटाला किया। गोपालपुर से लगे सरई टोला में आदिवासियों को बिजली के बिल मिल रहे हैं। इन लोगों को कागजों पर सौभाग्य योजना का लाभार्थी बना दिया और बिल भी पहुंचा दिए। हकीकत तो यह है कि गांव में बिजली के तार और मीटर तो क्या, खंबे तक नहीं पहुंचे हैं। यह ग्रामीण आज भी चिमनी की रोशनी में जीवनयापन कर रहे हैं।जरूर पढ़ें :- जबलपुर केंद्रीय जेल से पेरोल पर छूटे 20 कैदी फरार..
सरई टोला में रहने वाले जयसिंह को एक साल से हर महीने बिजली का बिल मिल रहा है। सितंबर 2021 का बिजली बिल 2,123 रुपये तक पहुंच चुका है। हकीकत यह है कि घर तक बिजली पहुंची ही नहीं है। जय सिंह की बेटी दीपा का कहना है कि वे लोग कैरोसीन की लालटेन के सहारे अंधेरे में गुजर-बसर कर रहे हैं। बिजली विभाग का कर्मचारी उप-सरपंच के घर उनका बिजली बिल छोड़कर जाता है। खुर्री टोला के कई ग्रामीण भी ऐसी ही शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिजली का कनेक्शन तो पहुंचा नहीं, हर महीने बिल जरूर भेजा जा रहा है। खुर्री टोला में रहने वाले झनक लाल नेटी का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने संबंधित विभाग तथा जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क भी किया था, पर कोई फायदा नहीं हुआ।
सरई टोला में रहने वाले जयसिंह को एक साल से हर महीने बिजली का बिल मिल रहा है। सितंबर 2021 का बिजली बिल 2,123 रुपये तक पहुंच चुका है। हकीकत यह है कि घर तक बिजली पहुंची ही नहीं है। जय सिंह की बेटी दीपा का कहना है कि वे लोग कैरोसीन की लालटेन के सहारे अंधेरे में गुजर-बसर कर रहे हैं। बिजली विभाग का कर्मचारी उप-सरपंच के घर उनका बिजली बिल छोड़कर जाता है। खुर्री टोला के कई ग्रामीण भी ऐसी ही शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिजली का कनेक्शन तो पहुंचा नहीं, हर महीने बिल जरूर भेजा जा रहा है। खुर्री टोला में रहने वाले झनक लाल नेटी का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने संबंधित विभाग तथा जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क भी किया था, पर कोई फायदा नहीं हुआ।
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तीन साल पहले तीन खंबे गाड़े और बिना तार आ गई बिजली!
देवकरा गांव से लगे वनग्राम टिकरा टोला में बिजली विभाग ने तीन साल पहले तीन खंबे गाड़े थे। खंबों पर बिजली के तार नहीं टांगे है। इसके बाद भी इलाके के 25 घरों में एक साल से हर महीने बिजली बिल भेजा जा रहा है। गांव के बुजुर्ग गुलाब सिंह धुर्वे ने बताता कि तीन साल पहले पोस्ट ऑफिस का कर्मचारी उनके गांव आया था। बिजली लगाने के नाम पर ग्रामीणों से कुछ दस्तावेज ले गया था। बिजली के नाम पर उनके मोहल्ले में सिर्फ तीन खंबे ही लगे हैं।
तीन साल पहले तीन खंबे गाड़े और बिना तार आ गई बिजली!
देवकरा गांव से लगे वनग्राम टिकरा टोला में बिजली विभाग ने तीन साल पहले तीन खंबे गाड़े थे। खंबों पर बिजली के तार नहीं टांगे है। इसके बाद भी इलाके के 25 घरों में एक साल से हर महीने बिजली बिल भेजा जा रहा है। गांव के बुजुर्ग गुलाब सिंह धुर्वे ने बताता कि तीन साल पहले पोस्ट ऑफिस का कर्मचारी उनके गांव आया था। बिजली लगाने के नाम पर ग्रामीणों से कुछ दस्तावेज ले गया था। बिजली के नाम पर उनके मोहल्ले में सिर्फ तीन खंबे ही लगे हैं।
बिजली अधिकारियों ने दिलाया भरोसा- जल्द करेंगे निराकरण
इलाके के कार्यपालन अभियंता एसडी सिंह ने कहा कि सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीणों को बिजली कनेक्शन देना था। कागजों में इन्हें लाभार्थी बना दिया, परंतु उन्हें कनेक्शन नहीं मिला है। उनके पास फरवरी और मार्च में भी ऐसी शिकायतें आई थी, जिनका निराकरण कर दिया है। तीन-चार छोटे गांवों से शिकायतें मिल रही है, जिनका जल्द ही निराकरण जल्द कर दिया जाएगा।
डिंडौरी में 9 करोड़ रुपये का घोटाला
आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले में सौभाग्य योजना के नाम पर बिजली विभाग के अफसरों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर करीब 9 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। दो साल पहले यह मामला सामने आया था। तब सूबे में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। दोषी अधिकारीयों को सस्पेंड कर जांच के आदेश दिए गए थे। दो साल बाद भी इस चर्चित घोटाले की जांच पूरी नहीं हो पाई है। और तो और, सौभाग्य योजना के तहत कागजों पर बने लाभार्थियों को अब तक घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं हो पाया है।