जिम्मेदारों की उदासीनता ने बनाई नरक से बदतर जिंदगी..
घरों के अंदर लबलबा रहा..मलमूत्र का पानी
जबलपुर एमपी
जबलपुर जिले के सुभाष नगर मढ़फ़ैया क्षेत्र के सैकड़ों परिवार इन दिनों निगम अधिकारियों की उदासीनता के चलते नर्क से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है।आलम तो यह है की यहां रहने वाले लोगों के घरों के अंदर नाले और मलमूत्र का पानी घुस जाता है।जिससे क्षेत्र में गंभीर संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा मंडरा रहा है।
गौरतलब हो कि करोड़ों रुपयों के टेक्स डकार जाने वाली नगर पालिका निगम जबलपुर कागजों में तो सारी सड़कें और नालियां दुरुस्त कर देती है। लेकिन जमीनी हकीकत का खामियाजा क्षेत्रीयजनों को भोगना पड रहा है। ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान केंद्रित नहीं कराया गया हो। लेकिन हर बार सिर्फ अस्वाशनों की चाशनी चटा कर जल्द ही समस्या दूर करने का सपना दिखा दिया जाता है। और समस्या जस की तस रहती है।
अधिकारियों की उदासीनता का खामियाजा उठा रहे क्षेत्रीयजन
क्षेत्रीयजनों की मानें तो उनकी समस्याओं को लेकर नगर निगम विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग दोनों ही असंवेदनशील कर्महीन साबित हुए है।यहां किसी को भी गरीबों की समस्याओं को सुनने की फुर्सत नहीं है। नगर निगम में कई बार शिकायतों को लेकर निजी मुलाकात एवं पत्राचार भी किया जा चुका है। लेकिन शिकायतें करने के बाद भी निराकरण नहीं हो रहा है।
सीएम हेल्पलाइन से भी नहीं मिली राहत
अधिकारियों के लापरवाह रवैये से तंग आकर क्षेत्रवासियों ने सीएम हेल्पलाइन में भी अपनी समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिस पर जल्द से जल्द उनकी समस्या के निराकरण करवा दिए जाने की बात कही गयी थी। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद कुछ निगम कर्मी मौके पर भी पहुंचे थे। लेकिन उनके द्वारा अस्थायी कार्यवाही कर लीपा पोती कर दी गयी।
बस्ती वालों की समस्याओं को लेकर जिम्मेदारों का रुझान
इन सबके बीच बड़ी उम्मीद लगाकर रहवासियों के एक समूह ने संभागीय आयुक्त कृष्णा रावत जी से मुलाकात कर उन्हें पूरी स्तिथि से अवगत कराया। जानकारी मिलने के बाद संभागीय आयुक्त का कहना है की जल्द ही इस अव्यवस्था को दुरुस्त करवा दिया जाएगा। लेकिन हफ्तों बीत जाने के बाद भी कोई निराकरण नहीं किया गया।
इस पूरे मामले को लेकर पीडब्ल्यूडी इंजीनियर आशीष पाटकर का कहना है कि अवैध बस्ती होने के कारण हम कुछ नहीं कर सकते प्रपोजल बनाकर भेजा हुआ था लेकिन वह निरस्त हो गया।
खास बात तो यह है कि नारकीय जीवन जीने को मजबूर क्षेत्रवासियों की समस्याओं से पश्चिम विधानसभा वर्तमान विधायक तरुण भनोट जी को भी कोई सरोकार नहीं है। अब ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्षेत्रीय जन जाएं तो कहां जाएं..??
पूर्व पार्षद की निष्क्रियता आज यहां के लोगों का जी का जंजाल बन चुकी है। सुभाष नगर मढ़फ़ैया धनवंतरी नगर के लोग घरों में ताला लगाकर दूसरी जगह पलायन करने मजबूर है ।जीवन भर की पूंजी फसाकर भी अपने आशियानों में नही रह पा रहे हैं और किराए के घरों में रह रहे हैं ।
अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे सभी लोग घरों में पलंग में जाने के लिए भी ईटों का रास्ता बनाया जा रहा है सड़क चलने लायक नहीं है सफाई व्यवस्था चौपट नगर निगम सीएसआई की अकड़ के क्या कहने ...
झूठ तो ऐसा की बड़े बड़े झूठे भी हो जाए शर्मिंदा
कहने को तो मशीनें लगा दी गयी है। और तो और 6 दिन से काम लगा कर नालियां दुरुस्त कर दिए जाने का दावा भी है। लेकिन औपचारिक कार्यवाही के बीच ज नालियां अभी भी पूरी लबालब भरीं हैं ।
जब जब मामला मचता है खाना पूर्ति के लिए एकाद निगम कर्मी कुछ सफाई कर्मियों को लेकर पहुंच जाता है। लेकिन सवाल ये है कि नगर निगम सफाई कर्मचारी हाथों से कब तक इस विकराल समस्या के निराकरण का दिखावा करेंगे।
जबकि क्षेत्रीयजनों की माने तो बड़ी जेसीबी मशीन लगाकर महज एक दिन में समस्या दूर की जा सकती है।
लेकिन साहब अधिकारी एक बार भी मशीन नहीं पहुंचा सके।वहीं सीएसआई संभागीय अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी को तो मिलने का भी समय नहीं है ।
समाज सेवी जीतू कटारे ने उठाया जिम्मा
समाजसेवी जीतू कटारे का कहना है कि यह लापरवाही की पराकाष्ठा है सुभाष नगर मढ़फ़ैया धनवंतरी नगर के हालात बहुत ही दयनीय है। संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है और दिन रात बढ़ता जा रहा है। लेकिन मामले से जुड़े जिम्मेदार अभी भी नींद में है। और शिकायतें अनसुनी कर रहे है। 2 महीने से नालियां चोक हैं सड़कों पर लबालब पानी भरा है । रहवासियों का घरों से निकलना मुश्किल है। ईंटों का सहारा लेकर रास्ता बना कर महिला, बच्चे एवं पुरुष वर्ग निकलते हैं। जिससे कई बार तो लोग गिरकर घायल हो चुके हैं।
बेअसर हो चुकी शिकायतें ....
अपनी ही मस्ती में मस्त जिम्मेदार...
नगर निगम मुख्यालय में क्षेत्रीय जनों के साथ मटको में कीचड़ भरकर फोड़े जाएंगे शायद इसके बाद नगर निगम प्रशासन एवं संभागीय प्रभारी कमिश्नर संभागीय आयुक्त स्वास्थ्य अधिकारी सीएसआई वगैरा नींद से जागृत हो पाए। तीन दिनों से समाज सेवी जीतू कटारे खुद ही समस्याओं को लेकर नगर निगम में भटक रहे है।