फिर गरमाया कृषि कानूनों का मुद्दा
तोमर के बयान पर बवाल
क्या फिर से शुरू होगा किसान आंदोलन
नई दिल्ली।
अक्सर राजनेताओं का बड़बोला पन एक बड़े आंदोलन को जन्म देने के लिए काफी होता है बीते दिनों किसानों के आंदोलन को लेकर पूरे विश्व में प्रदर्शन किए गए लंबे चले विरोध प्रदर्शन के बाद आखिरकार सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही गई लेकिन एक बार फिर से कैसी कानूनों को लेकर देश में विरोध का माहौल खड़ा होने के आसार दिख रहे हैं। दरअसल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों पर एक विवादित बयान दिया है और अब इस बयान को लेकर चारों से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान पर माहौल गर्म
केंद्र सरकार के लिए किसानों का विरोध गले में अटकी फांस के समान हो गया था जिसे अगस्त समय पर ना निकाला गया होता तो शायद सांस ही रुक जाती। जैसे तैसे जुगत लगाकर मोदी सरकार ने माहौल को ठंडा किया था। लेकिन भाजपा सरकार के ही केंद्रीय मंत्री ने जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर दिया। आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि कानूनों को लेकर एक विवादित बयान दिया है। जिसमें उन्होंने सरकार की मंशा जाहिर करते हुए बताया है कि आने वाले समय में कृषि कानूनों को फिर से लाया जाएगा और अब इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों से लेकर सड़कों तक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं।
यहां जानिए क्या है पूरा मामला..??
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि..
कृषि कानून 70 साल की आजादी के बाद लाया गया सबसे बड़ा रिफॉर्म था। लेकिन कुछ लोगों के विरोध के बाद उसे वापस लेना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा कि हम एक कदम पीछे जरूर हटे हैं। लेकिन दोबारा आगे बढ़ेंगे। सरकार आगे के बारे में सोच रही है, हम निराश नहीं हैं।किसान भारत की रीढ़ हैं।
टिकैत की चेतावनी फिर से शुरू हो जाएगा किसान आंदोलन
केंद्रीय मंत्री के इस बयान के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चेतावनी दी कि किसान आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है। टिकैत आगरा से जयपुर जाते समय दौसा में मीडिया से बात की। टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार ने सिर्फ तीन कृषि कानून ही रद्द किए हैं, लेकिन किसान संगठनों की अन्य मांगें अभी नहीं मानी गई हैं।
पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का किया ऐलान
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर 19 नवंबर 2021 को अपने संबोधन में तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था। संसद में कानून वापस लेने के बाद 1 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस पर अंतिम मुहर लगाई। इसे पंजाब और उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है। 17 सितंबर 2020 को लागू किए गए तीन नएकृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर देश के इतिहास का सबसे लंबा किसान आंदोलन शुरू हुआ था।
पंजाब से सुलगी आंदोलन की चिंगारी पूरे देश में फैल गई थी। हजारों किसानों ने दिल्ली चलो अभियान के हिस्से के रूप में कानून को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की और दिल्ली कूच किया था। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों के किसानों ने 378 दिन तक दिल्ली की घेराबंदी की हुई थी।