सौभाग्य योजना बनी
विद्युत ठेकेदारों का दुर्भाग्य.
खुद के भुकतान के लिए अनशन पर बैठे विद्युत ठेकेदार..
जबलपुर मध्यप्रदेश
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए सहज बिजली हर घर योजना का शुभारंभ 25 सितम्बर 2017 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर किया था। यह योजना विशेष रूप से गरीब लोगों को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी। लेकिन मध्यप्रदेश के सरकारी अफसरों और बाबुओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सौभाग्य योजना को भी भ्रष्टाचार के अखाड़े में चारों खाने चित कर दिया। अपनी आदत से मजबूर भ्रष्ट अधिकारियों की जमात ने को कोरे कागजों पर ही बिजली के खंभे खड़े करके हर गांव हर घर तक बिजली पहुंचा दी । योजना के शुरुआती दौर से ही भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर था लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद जब जांच हुई तो विभाग के ऊपर से लेकर नीचे तक कुल 80 बागड़ बिल्लों की लिस्ट सामने आई है। जिन्होंने गरीबों का घर रोशन करने की आड़ में अपनी जेबे गुलजार कर ली।
सौभाग्य योजना बनी विद्युत ठेकेदारों के लिए दुर्भाग्य योजना
सौभाग्य योजना को मध्यप्रदेश में सुचारू करने के लिए बड़े स्तर पर विद्युत ठेकेदारों का साथ लेना पड़ा । इस दौरान पहले से ही घात जमाए बैठे अधिकारी और उनके बाबुओं ने चक्रव्यू की संरचना पहले ही तैयार कर ली थी लेकिन विद्युत ठेकेदारों को क्या पता था की उनके लिए यह योजना दुर्भाग्य लेकर आने वाली है योजना के दौरान पूरी लगन के साथ विद्युत ठेकेदारों ने अपना काम किया लेकिन जब भुगतान की बारी आई तब तक स्थिति और परिस्थिति काफी उलट हो चुकी थी क्योंकि अधिकारी और बाबू आपस की बंदरबांट कर पूरा फायदा पचा चुके थे लिहाजा विद्युत ठेकेदारों के हाथ सिर्फ आश्वासन ही आया और इसी आश्वासन की चासनी को चाट कर विद्युत ठेकेदार पिछले 3 साल से अपने ही बिलों के भुगतान के लिए भीख मांगने को मजबूर है।
16 दिन से लगातार अनशन पर बैठे हैं 150 विद्युत ठेकेदार
मध्य भारत विद्युत ठेकेदार संगठन का आंदोलन शक्ति भवन के प्रांगण स्थल पर लगातार 16 वे दिन भी जारी है। इस श्रमिक आंदोलन एवं अनशन में लगभग डेढ़ सौ ठेकेदार लगातार भाग ले रहे हैं। ठेकेदारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी स्थिति अत्यधिक दयनीय हो चुकी है।जिसका मुख्य कारण मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी हैं। उन्होंने उचित समय पर हमारा भुगतान नहीं किया एवं बिना किसी आदेश के इस भुगतान को लगातार तीन वर्षों से रोक कर बैठे हैं एवं यह पूर्ण हुए कार्यों का मापन करने से भी कतरा रहे हैं ।
यह तो डकैती वाली स्थिति बन चुकी है कि कार्य भी करवा लो एवं पैसा भी ना दो
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी मध्य प्रदेश शासन की ही एक इकाई है जो विद्युत संचालन , संधारण एवं नवीन कार्यों की स्थापना अपना में लगी रहती है। परंतु कंपनी से मध्यप्रदेश शासन का होने के कारण ठेकेदारों का लगाव था एवं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास करते हुए सौभाग्य योजना का कार्य सही समय पर पूर्ण किया था। बाद में अचानक उनका फंड रोक दिया गया एवं उन्हें किसी प्रकार की सूचना भी नहीं दी गई ।जब भी वह इस संबंध में बात करते थे । तो यह कहा जाता था कि बस आने वाले 5 दिनों में आप का भुगतान कर दिया जाएगा।
3 सालों से लगातार कर रहे हैं आंदोलन
आज 3 वर्ष व्यतीत होने को है यह तीसरा आंदोलन है एवं यह आंदोलन लगातार सन 2019 से जारी था। 1 साल व्यतीत होने के पश्चात भी इस भुगतान में कोई समस्या ना होने के बाद में भी इन्हें रोक कर रखा गया इसके पीछे कंपनी की क्या मंशा थी यह तो कंपनी ही जाने , परंतु स्थितियां ऐसी निर्मित हो गई कि आदिवासी मजदूरों का भुगतान ठेकेदारों को भुगतान न होने के कारण रोक दिया गया एवं आज हजारों आदिवासी मजदूर अपना वेतन न मिल पाने के कारण दर-दर भटक रहे हैं। इस संबंध में जब ठेकेदार से चर्चा की गई तो ठेकेदारों ने बतलाया कि क्योंकि उनका भुगतान लगातार 3 वर्षों से रोक कर रखा गया है इसलिए ऐसी स्थिति निर्मित हुई है, जैसे ही हमारा भुगतान होगा हम मजदूरों का भुगतान तत्काल कर देंगे।