प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पित होने वाले श्री काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का काम शुक्रवार को पूरा हो गया। 33 महीने बाद धाम से मशीनें बाहर निकाल दी गईं। हालांकि कार्यदायी संस्था पीएसपी ने धाम की फिनिशिंग के लिए 12 घंटे का अतिरिक्त समय मांगा है। मंदिर प्रशासन धाम को 12 दिसंबर को हैंडओवर कर लेगा।
13 दिसंबर को पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण अलौकिक, अद्भुत और अकल्पनीय होगा। शुक्रवार को मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम के कार्यों का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान कई जगहों पर प्रकाश व्यवस्था कम रही।
मंडलायुक्त ने अधिकारियों को लाइट बढ़ाने के निर्देश दिए। जिन भवनों में प्रधानमंत्री जाएंगे उन्हें सजाया संवारा जा रहा है। सफाई का काम शुरू हो चुका है। मंडलायुक्त ने बताया कि धाम का कार्य पूर्ण हो चुका है। 12 दिसंबर को मंदिर प्रशासन इसे कार्यदायी संस्था से हैंडओवर कर लेगा।
औरंगजेब के फरमान के बाद 1669 में मुगल सेना ने विशेश्वर का मंदिर ध्वस्त कर दिया था। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे। हमले के दौरान मुगल सेना मंदिर के बाहर स्थापित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन सेना के तमाम प्रयासों के बाद भी वे नंदी की प्रतिमा को नहीं तोड़ सके।
तब से आज तक विश्वनाथ मंदिर परिसर से दूर रहे ज्ञानवापी कूप और विशाल नंदी को एक बार फिर विश्वनाथ मंदिर परिसर में शामिल कर लिया गया है। यह संभव हुआ है विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद। 352 साल पहले अलग हुआ यह ज्ञानवापी कूप एक बार फिर विश्वनाथ धाम परिसर में आ गया है।
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण महोत्सव में शंकराचार्य समेत देश भर के 251 संत शामिल होंगे। ‘न भूतो न भविष्यति’ की तर्ज पर काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह को भव्य रूप देने के लिए सनातन धर्म के सभी संप्रदायों की जुटान होगी। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद फोन करके देश के सभी शीर्ष संतों आमंत्रित कर रहे हैं।
शनिवार से संतों के आगमन शुरू हो जाएगा। आयोजन में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती, महंत नृत्यगोपाल दास, अवधेशानंद महाराज, रामभद्राचार्य महाराज, महंत कमलनयन दास, रामकमल दास वेदांती महाराज, साध्वी ऋतंभरा, साध्वी प्रज्ञा समेत 181 संत देश भर से आ रहे हैं।
इसके अलावा अयोध्या से 23 और काशी से संन्यासी और वैरागी समाज के 47 संतों को आमंत्रित किया गया है। संत समाज के संयोजन की संपूर्ण जिम्मेदारी अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती को सौंपी गई है।