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Pegasus case: चोरी-छुपे जांच जारी रखने पर SC की नाराजगी जस्टिस लोकुर आयोग को नोटिस जारी



Pegasus case:
चोरी-छुपे जांच जारी रखने पर SC की नाराजगी
जस्टिस लोकुर आयोग को नोटिस जारी



नई दिल्ली

जासूसी के मामले सर्वाधिक सुर्खियां बटोरने वाले पेगासस मामले में नया मोड़ आ गया है। दरअसल पेगासस स्पाईवेयर से लोगों की जासूसी के आरोपों की जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार द्वारा गठित जस्टिस एमबी लोकुर आयोग की ओर से पेगासस मामले की जांच जारी रखने पर नाराजगी जताते हुए इसकी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट SC ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।



आपको बता दें कि ये आदेश प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को जारी किए। सुप्रीम कोर्ट गत 27 अक्टूबर को पेगासस जासूसी कांड में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की निगरानी में जांच पैनल गठित कर चुका है। उस वक्त बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि फिलहाल उसके द्वारा गठित जस्टिस लोकुर आयोग पेगासस मामले की जांच नहीं करेगा।


राज्य सरकार द्वारा भरोसा दिए जाने के बावजूद आयोग की ओर से जांच जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने एक याचिका दायर कर आयोग पर रोक लगाने की मांग की थी।


शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई की और बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु ¨सघवी से सवाल पूछा। पिछली बार बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि आयोग जांच नहीं करेगा। तब भी आयोग ने जांच शुरू कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात को आदेश में दर्ज करना चाहता था, परंतु आपने कहा था कि इसे आदेश में दर्ज करने की जरूरत नहीं है। फिर भी जांच शुरू कर दी गई। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने पहले राज्य सरकार को संदेश भेजा था कि लोकुर आयोग सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कुछ न करे और आयोग तब तक रुका रहा।



सिंघवी ने कहा कि वह आयोग को निर्देश नहीं दे सकते। कोर्ट आयोग के वकील को बुला कर आदेश दे दे। कोर्ट ने मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और लोकुर आयोग की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को पेगासस जासूसी कांड में निजता के अधिकार का मुद्दा उठाते हुए जांच की मांग करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर आदेश दिया था। इसने पेगासस मामले में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की निगरानी में जांच पैनल गठित किया था। इस जांच पैनल में तीन सदस्यीय एक्सपर्ट पैनल भी शामिल था।

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