जानिए क्या हुआ जब कोर्ट ने..??
भगवान को पेश होने का दिया आदेश..???
चेन्नई,
क्या भगवान को वेरिफिकेशन के लिए तलब किया जा सकता है..?? वैसे तो ये संभव नहीं है लेकिन एक अदालती फरमान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां पर न केवल बागवान को हाजिर होने का फरमान सुनाया गया। बल्कि उनसे वेरिफिकेशन करवाने को भी कहा गया।
आइए जानते है कि क्या है ये दिलचस्प मामला...????
मद्रास की निचली अदालत ने जारी किया फरमान
यह अजीबोगरीब फरमान मद्रास की कुंभकोणम की निचली अदालत पर यह टिप्पणी की जिसने अधिकारियों को तिरुपुर जिले के सिविरिपलयम में परमशिवन स्वामी मंदिर से संबंधित उक्त मूर्ति को पेश करने का आदेश दिया था। इस फरमान के जारी होने के बाद से ही पूरा मामला सुर्खियों में आने लगा।
जानिए आखिर क्या है पूरा मामला...???
दरअसल तिरुपुर जिले में स्थित सिविरिपलयम में परमशिवन स्वामी मंदिर से मूलवर (अधिष्ठातृ /मुख्य देवता) की मूर्ति चोरी हो गयी थी। बाद में उसका-
पता लगाकर अनुष्ठानों और अगम नियमों का पालन कर उसे पुनः स्थापित किया गया था। लेकिन मूर्ति चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए कुंभकोणम की निचली अदालत में न्यायाधीश ने मंदिर के अधिकारियों को मूलवर (अधिष्ठातृ / मुख्य देवता) की मूर्ति को सत्यापन के लिये पेश करने का आदेश दे दिया। जिसके बाद से ही मामला तूल पकड़ने लगा।
मामले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
मंदिर के मुख्य देवता की मूर्ति को पेश होने आवर सत्यापन करने वाले इस अनोखे फरमान को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने कुंभकोणम की निचली अदालत की खिंचाई की है। न्यायालय ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या अदालत भगवान को निरीक्षण के लिए पेश करने का आदेश दे सकती है।
न्यायमूर्ति आर सुरेश कुमार ने कहा कि ऐसा करने की बजाए निचली अदालत के न्यायाधीश इस मूर्ति की सत्यता का निरीक्षण/सत्यापन करने के लिए एक अधिवक्ता-आयुक्त नियुक्त कर सकते थे और अपने निष्कर्ष/रिपोर्ट दर्ज कर सकते थे।