भोपाल । पुलिस और जेल विभाग के कर्मचारियों की तरह वन विभाग में भी कर्मचारियों को वरिष्ठ पद का प्रभार देने पर मंथन शुरू हो गया है। इस संबंध में अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (एपीसीसीएफ) प्रशासन-दो महेंद्र सिंह धाकड़ ने सभी मुख्य वनसंरक्षक (सीसीएफ) से राय मांगी है। उन्होंने पत्र लिखकर कहा है कि इस संबंध में कर्मचारी संगठनों से भी बात करें। जरूरत पड़े, तो जिला स्तरीय बैठक बुलाएं और निर्णय लेकर एक महीने में सूचना दें। यह व्यवस्था लागू होती है, तो वरिष्ठता रखने वाले वनरक्षक को वनपाल, वनपाल को डिप्टी रेंजर एवं डिप्टी रेंजर को रेंजर का कार्यवाहक प्रभार मिल जाएगा। हालांकि उन्हें जिम्मेदारी का निर्वहन पूर्व की तरह ही करना होगा। इसकी उन्हें सहमति भी देनी होगी।पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों की मांग पर सरकार ने पदोन्नति के विकल्प के तौर पर यह रास्ता चुना है। इसके तहत पुलिस और जेल विभाग के वरिष्ठ कर्मचारियों को अक्टूबर-नवंबर 2021 में वरिष्ठ पदों का प्रभार दिया जा चुका है। अब वन विभाग ने इसके प्रयास शुरू किए हैं।
बड़ी संख्या में पद खाली
मैदानी पदस्थापना में रेंजर (वन क्षेत्रपाल), डिप्टी रेंजर (उप वन क्षेत्रपाल) और फारेस्टर (वनपाल) की बड़ी संख्या में पद खाली हैं। ऐसे में यह व्यवस्था लागू करना मजबूरी हो गया है। विभाग ने साफ कर दिया है कि नई व्यवस्था में कर्मचारी को पात्रता अनुसार वरिष्ठ पद का कार्यवाहक प्रभार दिया जाएगा। वे वर्दी और बैच लगा सकेंगे। किसी जिले में रेंजर और डिप्टी रेंजर का पद रिक्त न होने पर उन्हें दूसरे जिले या वनमंडल में रिक्त पद पर प्रभार दिया जा सकेगा। जबकि वनपाल का पद जिला स्तरीय है, इसलिए उन्हें जिले के किसी भी वन परिक्षेत्र में पदस्थ किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, डिप्टी रेंजर का कार्यवाहक प्रभार मिलने के बाद वनपाल बीट से पदस्थ करने से इंकार नहीं कर सकेंगे। उन्हें वर्तमान की तरह बीट का भी प्रभार देखना पड़ेगा। पदोन्नति के अवसर खुलने पर इन कर्मचारियों का कार्यवाहक प्रभार के पद पर कार्य करने के लिए वरीयता नहीं दी जाएगी।
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