भारत में फंसे छात्रों की वापसी के लिए चीन तैयार
पर नहीं चला रहा सीधी उड़ान
दिल्ली से बीजिंग का किराया 2 लाख के पार
बीजिंग । कोरोना महामारी के कारण विदेशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे कुछ विद्यार्थी भारत में फंसे हैं। चीन इन छात्रों की वापसी के लिए तैयार तो हो गया है, पर सीधी उड़ान नहीं चला रहा। इस कारण दिल्ली से बीजिंग का हवाई टिकट 2 लाख रुपये से अधिक कीमत में बिक रहा है। चंद घंटों की दूरी को तय करने में यात्रियों को 45 घंटे से 60 घंटे का समय लग रहा है। ऐसे में चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान हजारों भारतीय छात्रों की वापसी तथा कोरोना वायरस महामारी से बाधित सीधी उड़ानें बहाल करने के विषय पर चर्चा हुई। वांग यी ने इस साल मार्च में नई दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी मुलाकात को याद किया। भारतीय दूतावास के प्रेस वक्तव्य में वांग के हवाले से कहा गया कि चीनी पक्ष ने भारतीय छात्रों की वापसी के संबंध में भारतीय पक्ष की चिंताओं को महत्व दिया और इस पर जल्द प्रगति होने की उम्मीद जताई।
विज्ञप्ति में कहा गया कि वांग ने दोनों देशों के बीच सीधे उड़ान संपर्क को बहाल करने पर हुई बातचीत का भी जिक्र किया। उसने कहा, ‘राजदूत रावत ने बताया कि भारत में संबंधित एजेंसी इस मामले को देख रही हैं और हम जल्द मामले में प्रगति देख सकते हैं। चीन ने हालिया महीनों में ‘कुछ’ विदेशी छात्रों को अपने देश लौटने की अनुमति देना शुरू किया है। पाकिस्तान के 90 छात्रों का पहला बैच 20 जून को चीन के जियान शहर पहुंचा। ये छात्र चीन के सख्त वीजा संबंधी प्रतिबंधों के कारण करीब दो साल तक घरों में ही रहे। इसी तरह रूस और श्रीलंका समेत कुछ अन्य देशों के फंसे हुए छात्रों को धीरे-धीरे लौटने की अनुमति दी जा रही है। भारत की ओर से बार-बार संदेशों के बाद अप्रैल में चीन ने ‘कुछ’ भारतीय छात्रों की वापसी की अनुमति देने पर सहमति जताई थी और यहां भारतीय दूतावास से वापस आना चाह रहे छात्रों की जानकारी एकत्रित करने को कहा था। चीन की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के कॉलेजों में 23,000 से अधिक भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। 12,000 से अधिक भारतीय छात्रों ने वापसी की इच्छा प्रकट की है और उनकी जानकारी आगे की प्रक्रिया के लिए चीन की सरकार को भेज दी गई है।