आखिर कौन लाया जबलपुर कांग्रेस के लिए संजीवनी,
कैसे किया गया बागियों का उपचार
जबलपुर-विकास की कलम
बीते दिनों चुनावी टिकट की तिकड़म को लेकर हुई खींचतान ने कांग्रेस पार्टी की नींद उड़ा कर रख दी थी। एक तो सभी को खुश करने का दायित्व और फिर रूठों को सहेजने की चिंता।इन सबके बीच पार्टी के कुछ तेज तर्रार युवा बाहरी बहकावे में आकर बगावत की राह पकड़ने लगे थे।अब ऐसे में हरकिसी को खुश कर पाना एक बेहद बड़ी चुनौती बना हुआ था। पार्टी जानती थी कि नाराज कार्यकर्ता चुनावों में काफी नुकसानदेह साबित हो सकते थे। लिहाजा उन्हें एकजुट करने का दायित्व राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तंखा के जिम्मे आया। जिसे बखूबी निभाते हुए पार्टी के तत्कालीन संकट को दूर कर दिया गया है।
तन्खा निवास में हुई रूठों को मनाने की कवायद
प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल होने के बाद से ही कुछ लोग मुंह फुलाये बैठे थे। जिन्होंने बहकावे में आकर बाकायदा निर्दलीय नामांकन भी दाखिल करा दिया था। पार्टी के अंदरूनी सर्वे से सकते में आई कांग्रेस के सामने बागी प्रत्याशियों की घर बापसी होना बेहद जरूरी हो गया था। क्योंकि अब पार्टी को अन्य राजनीतिक दलों से ज्यादा खुद के ही कार्यकर्ताओ से नुकसान होने की अंदेशा होने लगी थी। लिहाजा डैमेज कंट्रोल की कमान विवेक तंखा जी के हाथ में सौपते हुए संकट से उबारने की अपील की गई। पार्टी सूत्रों की माने तो विवेक तंखा ने अपनी सूझबूझ से बिखरे कार्यकर्ताओ को एक बार फिर से एक धारा में पिरो कर रख दिया है। मंगलवार की देर रात तंखा निवास में महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू के साथ एकजुट बैठक करते हुए रूठे कार्यकर्ताओ से खुलकर संवाद किया गया। बताया जा रहा है कि रूठों को मनाने संजीवनी बनकर आये विवेक तंखा ने कुछ ऐसी मोहनी छोड़ी की कार्यकर्ताओ के सारे गीले शिकवे दूर हो गए।
चर्चा के बाद उठा पर्चा,90 प्रतिशत बागी फिर खेमे में
मंगलवार की देर रात राजसभा सदस्य, विवेक तंखा, और महापौर पद के प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू ने तंखा के निवास पर टिकिट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में फार्म भरने वालें या कांग्रेस से ही पर्चा भरने के बाद जिनकी नाम वापिस न होने पर वह निर्दलीय घोषित हो जाते ऐसे सभी प्रत्याशियों से चर्चा की। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए। करीब-करीब ९० फीसदी बागियों ने अपने नाम वापस ले लिए। नाम वापस लेने वालों में पूर्व पार्षद ताहिर अली, छविकरण टीकाराम कोष्टा, संजय शर्मा, आनंद चौहान, अंशिता सोनी, अभिषेक यादव सहित करीब २५ नाराज नेताओं ने श्री तन्खा के समझाने पर अपना नाम वापस ले लिया।
जानकारी के मुताबिक की श्री तन्खा ने मंगलवार देर रात तक और बुधवार दोपहर तक बागियों से बंद कमरे में मुलाकात कर समझाने का प्रयास किया. तन्खा के प्रयास काफी हद तक सफल भी हुये। जिसके बाद वार्ड कांग्रेस प्रत्याशियो, विधायकों एवं संगठन ने राहत की सांस ली। राज्यसभा सांसद ने कहा कि कांग्रेस में किसी भी तरह के बगावत नहीं है, सभी कांग्रेस कार्यकर्ता एकजुट होकर जबलपुर महापौर सहित पार्षदों को जिताने में जुट गए हैं।