राष्ट्रपति उम्मीदवार आदिवासी महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के विषय में कुछ रोचक जानकारी
रांची-विकास की कलम।
देश में पहली महिला आदिवासी राज्यपाल के रूप में 18 मई 2015 को शपथ लेने वाली द्रौपदी मुर्मू अब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी। एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को साझा उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा की गयी हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में अपने कार्यकाल के दौरान आदिवासी समाज समेत हर वर्ग के लिए किये गये कार्याें से एक ऐसी पहचान बनायी, जिसके कारण बीजेपी की ओर से आज उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया है। द्रौपदी मुर्मू के नाम देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल बनने का गौरव था, वहीं यदि वह राष्ट्रपति चुनाव में विजयी होती होती है, तो देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलेगा। द्रौपदी मुर्मू ना सिर्फ आदिवासी समाज से आती है, बल्कि महिला होने के नाते वह आधी आबादी का भी प्रतिनिधित्व करती है, इसका चुनाव में बीजेपी और एनडीए को फायदा मिलने की संभावना है।
दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुकी है द्रौपदी मुर्मू
झारखंड की पहली आदिवासी राज्यपाल रही द्रौपदी मुर्मू मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली है और वह दो बार रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। वह भाजपा-बीजद की ओडिशा में बनी गठबंधन सरकार में एक बार मंत्री भी रह चुकी है। द्रौपदी मुर्मू को 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक ओडिशा में बीजद-बीजेपी सरकार में वाणिज्य और परिवहन विभाग में स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री तथा 6 अगस्त से 16 अगस्त 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्यमंत्री के रूप में काम करने का अनुभव प्राप्त है।
18मई 2015 से 6जुलाई 2021 तक राज्यपाल रही
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रही द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 से 6 जुलाई 2021 तक पद पर रही। इस दौरान वह राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा करती रही और समस्याओं के समाधान को लेकर सतत प्रयासरत रही। यही कारण है कि पिछली बार भी बीजेपी के अंदर द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा चली थी, लेकिन उस वक्त रामनाथ कोविंद के नाम पर बीजेपी नेतृत्व ने सहमति जतायी थी।
दोनों उम्मीदवारों का झारखंड से है गहरा नाता
राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी गठबंधन यूपीए की ओर से घोषित उम्मीदवार का झारखंड से गहरा नाता है। द्रौपदी मुर्मू ने जहां राज्यपाल के रूप में छह साल से अधिक संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्य में अपनी जिम्मेवारियों का निवर्हन किया, वहीं यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व करने के अलावा रांची विधानसभा क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व किया।