विवादित पेपर रद्द कर डैमेज कंट्रोल में जुटा एमयू प्रबंधन, छात्र संगठनों ने खोला मोर्चा, कर्मचारियों-अधिकारियों से दोहरे व्यवहार का आरोप
-परीक्षा नियंत्रक, सहायक कुलसचिव, मॉडरेटर के निलंबन की उठी माँग
जबलपुर। रतलाम के एक परीक्षा केंद्र में बीएएमएस एनॉटॉमी का पेपर निर्धारित समय से 4 घंटे देरी से लेने और देरी के बावजूद सुबह की पाली का पर्चा रीपिट करने के मामले में प्रदेश भर में अपनी साख पर बट्टा लगवा चुका मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) प्रबंधन की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई है। परीक्षाओं, परिणामों से लेकर प्रमाण पत्रों को जारी करने के बड़े-बड़े दावे कर प्रबंधन की शीर्ष कुर्सियों पर कुंडली जमाए अधिकारियों की स्थिति उगलत निगलत पीर घनेरी जैसी हो गई है। एमयू के अकुशल, अदूरदर्शी, अनुभवहीन, बड़बोले और अकर्मण्य प्रबंधन ने अपनी कुर्सी के साथ ही एमयू की गिरती साख बचाने आनन फानन में विवादित पेपर रद्द करने और आयुर्वेदिक कॉलेज में छुट्टी लगाकर मॉडरेटर के साथ ऑब्सर्वर की डबल ड्यूटी कर रहीं महिला प्रोफेसर के विषय में आयुर्वेदिक कॉलेज प्रबंधन से पूछताछ तो की है लेकिन प्रबंधन के खिलाफ छात्र संगठनों और श्रमिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। मप्र छात्र संगठन ने उक्त प्रश्न पत्र के मामले में एमयू प्रबंधन पर निजी आयुर्वेदिक कॉलेज से सांठ गांठ कर शातिराना तरीके से योजना बनाकर पेपर आउट कर आपराधिक कृत्य करने का आरोप लगाते हुए कथित तौर पर आरोपी परीक्षा नियंत्रक डॉ. सचिन कुचया, सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज बुधौलिया और पेपर मॉडरेटर एवं ऑब्सर्वर डॉ. निधि श्रीवास्तव को तत्काल निलंबित कर इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की हैं। संगठन ने प्रदेश के राज्यपाल, सीएम, गृह मंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आयुष मंत्री, मुख्य सचिव से लेकर कुलपति तक शिकायत प्रेषित की हैं। वहीं अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ सहित अन्य श्रमिक संगठनों ने हाल ही में एमयू प्रबंधन द्वारा कुछ मामलों में अकारण की गई कर्मचारी कल्लू प्रसाद झरिया, नीलेश जायसवाल और नितिन मिश्रा सहित अन्य संविदा कर्मियों के निलंबन की कार्यवाई का हवाला देते हुए कर्मचारियों और अधिकारियों के मामले में एमयू प्रबंधन पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए उक्त अधिकारियों के निलंबन और एफ़आईआर की मांग को लेकर मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली हैं।
-लगाए गंभीर आरोप
संगठन ने एमयू के कथित तौर पर भ्रष्ट उक्त अधिकारियों पर मॉडरेटर के जरिए निजी आयुर्वेद कॉलेज से सांठगंाठ कर १० जून को हुए बीएएमएस प्रथम वर्ष के एनॉटॉमी के षणयंत्र पूर्वक आउट करने का आरोप लगाया। ११:३० बजे प्रारंभ होने वाली परीक्षा रतलाम के केंद्र में पुन: उसी प्रश्न पत्र को दोपहर २:३० बजे कराने को कथित तौर पर धोखाधड़ी अपराधिक कृत्य भी बताया गया। इस संबंध में दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि रतलाम के केंद्र को छोड़ शेष केंद्रों में प्रश्नपत्र ११:३० बजे प्रारंभ होकर २:३० पर संपन्न हो चुका था। नियमानुसार परीक्षा केंद्र में २ घंटे बाद यानि डेढ़ बजे से परीक्षार्थी परीक्षा केंद्र पर कॉपी जमा कर प्रश्न पत्र साथ लेकर बाहर जा सकता है, यानि परीक्षा प्रारंभ होने के दो घंटे बाद प्रश्न पत्र गोपनीय नहीं रह जाता। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि रतलाम स्थित केंद्र में परीक्षा ३ घंटे विलंब से कराने के पीछे यदि कोई तकनीकी खामी नहीं थी तो एमयू को दूसरे प्रश्नपत्र का सेट भेजना था, क्योंकि एक प्रश्नपत्र के कम से कम ३ सेट तैयार होते हैं लेकिन ऐसा उक्त अधिकारियों ने जानबूझकर नहीं किया।
-आईएएस कुलपति के नाक के नीचे कृत्य
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि एमयू की पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. तृप्ति गुप्ता का ईओडब्ल्यु के छापे में अनुपातहीन संपत्ति उजागर होने के बाद आईएएस कुलपति की नाक के नीचे कथित तौर पर जिस दिलेरी से एक बार षणयंत्र रचा जा चुका था उसकी रतलाम की परीक्षा में पुनरावृत्ति हुई, जिससे प्रबंधन पर सवालिया निशान ही नहीं लगा बल्कि एमयू की साख पर काला धब्बा भी लगा।
-संदेह के घेरे में परीक्षा नियंत्रक, मॉडरेटर
संगठन ने आरोप लगाया कि रतलाम की तरह प्रदेश के अन्य कॉलेजों में भी सांठगांठ कर पेपर आउट कराए गए। इस पूरे मामले में शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज से अवकाश लेकर एमयू में मॉडरेटर और ऑब्सर्वर की भूमिका निभाने वाली प्रोफेसर डॉ निधि श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाए गए। संगठन का आरोप है कि डॉ. श्रीवास्तव अवकाश की अवधि में परीक्षा और मॉडरेशन जैसा गोपनीय कार्य कर संदेह के घेरे में हैं। परीक्षा नियंत्रक सचिन कुचया ने स्पष्ट कहा है कि डॉ. श्रीवास्तव को १०:३० बजे मॉडरेशन कार्य से मुक्त कर ऑब्सर्वर का कार्य लिया जाता था। बताते हैं मॉडरेटर प्रश्न पत्र लीक न करें इसके लिए उन्हें मोबाइल लेकर आने की अनुमति नहीं होती। यही मॉडरेटर एमयू के ३ प्रश्नपत्र के सेट में से एक प्रश्न पत्र चुन कर मॉडरेशन का कार्य करते हैं, प्रश्न पत्र परीक्षा केंद्रों में परीक्षा के १५ मिनट पूर्व ऑनलाइन भेजा जाता है। नियमानुसार मॉडरेटर को मॉडरेटर को परीक्षा प्रारंभ होने के बाद १२ बजे तक रोककर मोबाइल से वंचित किया जाना चाहिए था जबकि समय से पूर्व उन्हें १०:३० बजे मुक्त किए जाने के चलते परीक्षा नियंत्रक की भूमिका भी संदेह के घेरे में हैं।
-गलती तो हुई
इस मामले मे मॉडरेटशन की भूमिका निभाने वाली डॉ निधि श्रीवास्तव ने स्वीकारा की उनसे पेपर सेट करने में त्रुटि हुई क्योंकि उन्हें सुबह 9 बजे बुलाया गया वे 10 मिनट पहले एमयू पहुँच गई लेकिन कम्प्युटर ओपरेटर के पौने 10 बजे देरी से आने की वजह से उन्हे सिर्फ 45 मीनट का समय मिला जिसकी वजह से पेपर में प्रश्नो की पुनरावृत्ति की त्रुटि हुई। उन्हे 10:30 बजे ऑब्सर्वर की ड्यूटि के लिए रवाना होना था। उनका कहना है कि उन्होने पेपर लीक नहीं कराया। डॉ श्रीवास्तव का कहना है कि कॉलेज से अवकाश लिया था लेकिन इस दौरान भी वे एमयू की ड्यूटी कर सकती थी।
(इस मामले में कुलपति बी चन्द्रशेखर से संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो पाई)