ई-कचरा प्रबंधन के नए नियम सरकार द्वारा अधिसूचित किये E-Waste Management Rules 2022
नई दिल्ली ।
सरकार ने ई-कचरा प्रबंधन E-Waste Management Rules के नए नियम अधिसूचित कर दिए हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 को जारी कर जून अंत तक इस पर आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। इसमें सबसे बड़ी मुश्किल ये हैं कि रिसाइकलिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सिर्फ पंजीकृत रिसाइकलर्स को ही अधिकृत किया है। इससे ई वेस्ट कलेक्शन की पूरी वैल्यू चेन में शामिल असंगठित क्षेत्र के हजारों लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
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जबकि ये केंद्र औऱ राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ई-वेस्ट के बेहतर प्रबंधन-निस्तारण के अलावा आवासीय कालोनियो, डीलर, रिटेलर्स, बड़े ग्राहकों, ऑफिस क्लस्टर्स से से इसे इकट्ठा करने में मजबूत कड़ी हैं। ई-वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों में बार-बार और इतने बड़े बदलावों से संगठित बाजार खड़ा करने में दिक्कतें आएंगी।
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दरअसल, ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत ई-कचरे के निस्तारण में शामिल पूरी वैल्यू चैन की भूमिका और जिम्मेदारी परिभाषित थी। इसके तहत देश भर में 75 से ज्यादा पीआरओ और 400 से ज्यादा डिस्मैंटलर्स ने देश भर में अपने प्रतिष्ठान स्थापित किए थे। ये इलेक्ट्रानिक कंपनियों औऱ रिसाइकलिंग करने वालों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं, जो ई-वेस्ट के बेहतर संग्रहण और गुणवत्तापूर्ण ढंग से औऱ स्वास्थ्य मानकों का ध्यान रखते हुए उससे जरूरी खनिजों को अलग करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। पुराने नियमों के तहत देश में रिसाइकलिंग क्षमता 1 से बढ़कर 4-5 फीसदी तक पहुंच गई है।
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इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक ने निराशा जताते हुए कहा है कि सरकार की ओऱ से नए प्रस्तावित ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 पूरी तरह से प्रोड्यूसर रिस्पांसबिलिटी आर्गेनाइजेशन या ई वेस्ट प्रोडक्ट को अलग-अलग करने वालों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है।
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संगठन के मुताबिक, सप्लाई चेन में उन्हें एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसबिलिटी के तहत उन्हें मान्यता दी जानी चाहिए ताकि उनका कारोबार और आजीविका पर कोई खतरा नहीं आए। संगठन ने मांग रखी है कि देश भऱ में ऐसी ग्रीन सप्लाई चेन बनाई जानी चाहिए जो ई-वेस्ट के संग्रह, उनके निस्तारण और उनके दोबारा इस्तेमाल की सर्कुलर इकोनॉमी को विकसित करना जरूरी है।