'Samaghat' Unarmed Combat Exercise - सेना के जवान अब बिना हथियारों के भी दुश्मन पर करेंगे घातक वार
नई दिल्ली । गलवान घाटी की हिंसा के दो साल बाद पूर्वी लद्दाख में इन दिनों भारतीय सेना एक खास एक्सरसाइज कर रही है. 'समघट' नाम की ये एक्सरसाइज बिना हथियारों के की जा रही है. भारत की चार मार्शल-आर्ट्स को मिलाकर इस अनआर्म्ड कॉम्बेट एक्सरसाइज को भारतीय सैनिक कर रहे हैं. यहां मार्शल आर्ट और बिना हथियार के लड़ने की कला सिखाई जा रही है. भारतीय सेना की उधमपुर (जम्मू कश्मीर) स्थित उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्वी लद्दाख के दौरे के दौरान समघट युद्धाभ्यास में भारतीय सैनिकों की अनआर्म्ड कॉम्बेट का जायजा लिया. इस एक्सरसाइज में सैनिक बिना किसी बंदूक, बम-गोले या फिर किसी दूसरे तरह के हथियार के दुश्मन से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. किस तरह कूंगफु कराटे से बचाव से लेकर मुकाबला करना इस युद्धाभ्यास में भारतीय सैनिक सीख रहे हैं. ट्रैनिंग में उन्हें दुश्मन के खिलाफ उग्र बर्ताव अपनाने की कला सिखाई जा रही है. बुधवार को ही पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय सेना की अक्साई-चिन ब्रिगेड के सैनिक ऑल-टेरेन व्हीकल यानि एटीवी में सवार होते हुए दिखाई पड़े. इस दौरान हाई ऑल्टिट्यूड यानि बेहद उंचाई और उबड़ खाबड़ इलाकों में इनपर सवार होकर सैनिकों ने इन एटीवी की परफॉर्मेंस को तो परखा ही साथ ही सेना के मूवमेंट की भी समीक्षा की.
पूर्वी लद्दाख के दौरे पर गए लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने 1962 के युद्ध में परमवीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल थनसिंह थापा की पोर्टर का काम करने वाली 82 वर्षीय एक स्थानीय महिला, तेस्तेन नमग्याल को सम्मानित किया. धनसिंह थापा के नाम से ही पैंगोंग-त्सो झील के उत्तर में स्थित फिंगर एरिया में भारतीय सेना की आखिरी फॉरवर्ड पोस्ट है. इसी फिंगर एरिया में भी वर्ष 2020 में भारतीय सेना की चीनी सैनिकों से झड़प हुई थी.