प्लास्टिक पॉल्युशन की वजह से हो रही ग्रीन सी टर्टल की मौत ,हकीकत जानकर चिंतित हो उठे विशेषज्ञ
लंदन । ग्रीन सी टर्टल की मौत प्लास्टिक पॉल्युशन की वजह से होने के बारे में जब पता चला तो विशेषज्ञ चिंतित हो उठे। बीते रोज भूमध्यसागर के एक बीच के किनारे ग्रीन सी टर्टल मरा हुआ पाया गया। इस ग्रीन सी टर्टल की मौत प्लास्टिक पॉल्युशन की वजह से हुई थी। अडाना सिटी से करीब 430 मील दूर कराटास बीच पर इस टर्टल को मरा हुआ पाया गया है। ये टर्टल बॉटल के ढक्कनों, प्लास्टिक बैग्स के टुकड़ों और माइक्रोप्लास्टिक्स से ढँका हुआ था।
माइक्रोप्लास्टिक्स से मतलब 5 एमएम व्यास से छोटे पार्टिकल्स से है जो फूड और ड्रिंक पैकेज और फिशिंग नेट्स वगैरह से निकलते हैं। यहाँ चारों तरफ बहुत छोटे आकार के प्लास्टिक्स बिखरे पड़े थे।दरअसल ये टर्टल जेलीफिश और क्रस्टैशिन्स समझकर प्लास्टिक के टुकड़े खा लेते हैं। इसी वजह से इन समुद्री जीवों की बड़ी संख्या में मौत हो रही है। सीबर्ड्स की तरह टर्टल प्लास्टिक को पूरी तरह निगल नहीं पाते और उनके गट्स ब्लॉक हो जाते हैं। इसके बाद ये टर्टल भूख से मर जाते हैं, क्योंकि ये कुछ खा नहीं पाते। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में करीब 52 प्रतिशत सी टर्टल्स प्लास्टिक खा चुके हैं।इसके साथ ही प्लास्टिक प्रदूषण की वजह से टर्टल्स की एग लाईंग यानी अंडे देने के प्रोसेस में भी डिस्टर्बेंस आती है। एक स्टडी के मुताबिक बीच के किनारे प्लास्टिक की भरमार से नेस्टिंग और हैचलिंग्स करने वाली फीमेल टर्टल्स के व्यवहार पर निगेटिव इम्पैक्ट आता है। अडाना के कुकुरोवा यूनिवर्सिटी के माइक्रोप्लास्टिक एक्सपर्ट प्रोफेसर सेदात गुंडोडू के मुताबिक फीमेल टर्टल्स कई बार प्लास्टिक पॉल्युशन की वजह से बिना अंडे दिये ही समुद्र में वापस लौट जाती हैं। यहाँ तो ये ध्यान रखना चाहिए दुनिया में टर्टल की ज्यादातर प्रजातियाँ इंडेंजर्ड कैटेगरी में हैं। मतलब इन्हें बचा कर रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।
प्रोफेसर की मानें तो भूमध्यसागर के तटों में सबसे ज्यादा प्रदूषण तुर्की के बीचेज़ पर है। समानडॉग बीच पर भूमध्यसागर के बाकी बीचेज़ की तुलना में प्लास्टिक पॉल्युशन सबसे ज्यादा है। इसकी वजह फॉरेन वेस्ट यानी विदेशी कचरों को बताया जाता है, खास तौर से यूनाइटेड किंगडम का कचरा। दरअसल तुर्की के पास वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम ऐसा नहीं है कि डम्प किए प्लास्टिक कचरे को निपटाया जा सके। इस घटना ने इन्वॉयरमेंटलिस्ट्स को चिंता में डाल दिया है। सवाल सिर्फ एक टर्टल की मौत का नहीं है बल्कि पूरे मरीन इकोसिस्टम या यूँ कहें कि पूरे इकोसिस्टम के लिए ऐसी घटनाएँ बहुत ज्यादा चिंताजनक हैं।