बलराम जयंती और हरछठ आज
पुत्रों के दीर्घायु की कामना हेतु माताएं रखेंगी व्रत
जबलपुर।
भगवान श्री कृष्ण के अग्रज बलराम ताऊ की जयंती १७ अगस्त बुधवार को है। उनके जन्मदिवस को हलषष्ठी (हरछठ) के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन माताएं घरों में हरछठ की पूजा करती हैं और अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना को लेकर व्रत रखती हैं, वहीं कृषि प्रधान भारत देश में यहां के किसान बलदाऊ की जयंती पर हल की पूजा भी करते हैं। हलषष्ठी का पर्व पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा।
हलषष्ठी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपद की कृष्ण षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन सुबह से महिलाएं स्नान ध्यान कर उपवास रखती हैं और हलछठ की पूजा कर अपने पुत्र की दीर्घायु होने की कामना करती हैं। महुआ और पसई का चावल भैंस के दूध में पकाकर, पंचमेवा, मके की लाई को नई दुनिया (बांस की चुनकी) में भरकर पूजन में रखती हैं। शुद्ध आटे के पुआ भी बनाये जाते हैं, जिन्हे दही के साथ पूजा जाता है। व्रतधारी महिलाएं घर में मूसल और हरछठ की बौर रखकर हरछठ महारानी की कहानी सुनती हैं। कथा वाचन के उपरांत व्रतधारी महिलाएं पूजन में अर्पित सामग्री का सेवन कर अपना व्रत खोलती हैं।
पं.पी.एल.गौतमाचार्य का कहना है कि कृषि प्रधान भारत देश में हलषष्ठी का पर्व मनाया जाता है, इस दिन किसान अपने खेतों में हल की पूजा करते हैं और बलराम की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं। भादों के महीने में खेतों में हरियाली रहती है। किसान बलदाऊ भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमेशा उनके खेतों में हरियाली बनी रहे और वे धन धान्य से परिपूर्ण रहे।
हलषष्ठी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपद की कृष्ण षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन सुबह से महिलाएं स्नान ध्यान कर उपवास रखती हैं और हलछठ की पूजा कर अपने पुत्र की दीर्घायु होने की कामना करती हैं। महुआ और पसई का चावल भैंस के दूध में पकाकर, पंचमेवा, मके की लाई को नई दुनिया (बांस की चुनकी) में भरकर पूजन में रखती हैं। शुद्ध आटे के पुआ भी बनाये जाते हैं, जिन्हे दही के साथ पूजा जाता है। व्रतधारी महिलाएं घर में मूसल और हरछठ की बौर रखकर हरछठ महारानी की कहानी सुनती हैं। कथा वाचन के उपरांत व्रतधारी महिलाएं पूजन में अर्पित सामग्री का सेवन कर अपना व्रत खोलती हैं।
पं.पी.एल.गौतमाचार्य का कहना है कि कृषि प्रधान भारत देश में हलषष्ठी का पर्व मनाया जाता है, इस दिन किसान अपने खेतों में हल की पूजा करते हैं और बलराम की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं। भादों के महीने में खेतों में हरियाली रहती है। किसान बलदाऊ भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमेशा उनके खेतों में हरियाली बनी रहे और वे धन धान्य से परिपूर्ण रहे।