त्योहारों में रात्री कालीन बाजार खोलने शहरवासी और व्यापारी कर रहे मांग
जबलपुर। कोरोना चला गया, स्वूâल कालेज कार्यालय सब खुल गया. जलसे जुलूस से लेकर चुनाव तक सब प्रतिबंधों से आजाद हो गये. लेकिन कोरोना काल से रात्री बाजारों पर लगा अंकुश हटने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब जब शहर नवरात्र एवं दशहरे का त्योहार पूरे उत्साह से मनाने की तैयारी में जुटा है, तब शहरवासी और व्यापारी प्रशासन से एक ही बात कह रहे हैं. कलेक्टर साहब अब तो खोल दो बाजार. व्यापारी संघ अनेक बार ज्ञापन दे चुके हैं. विधायक स्वयं मांग उठा चुके हैं. प्रभारी मंत्री आश्वासन दे चुके हैं. तो गृहमंत्री के जबलपुर प्रवास के दौरान भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ ने खुद ज्ञापन सौंपकर मांग की थी इसके बाद भी शासन प्रशासन जिला प्रशासन रात्री कालीन बाजार पर लगा अंकुश हटाने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब त्योहार सिर पर है तो बाजारों पर लगा प्रतिबंध हटाने की मांग की जा रही है.
खान पान के भटक रहे लोग.......
दुर्गा पंडाल, समितियां, आयोजक, शृध्दालू रोज रात को ११ के बाज खाने पीने के लिये भटकते नजर आ रहे हैं. सभी प्रमुख स्थानों पर पुलिस कर्मी खाने पीने की दुकानें बंद करवा रहे हैं. सवाल सबसे बड़ा यही है त्योहारों पर लोग निकलेंगे तो भूक प्यास भी लगेगी. मांग की जा रही है की प्रशासन कम से कम त्योहार समाप्ति तक रात्री कालीन बाजारों से प्रतिबंध हटाए. जिससे लोगों को खाने पीने की दिक्कत न हो.
त्योहार से लगी होती है आस.......
जहां त्योहारों से आमजन की आस्था जुड़ी होती है. वहीं ठेले, टपरे, छोटे दुकानदारों की आस भी जुड़ी होती है. बेहतर खरीददारी की उम्मीद में कर्ज लेकर इन छोटे दुकानदारों ने माल तो खरीद लिया है. लेकिन प्रशासनिक सख्ति इन्हें मायूस कर रही है. तर्वâ है की त्योहारों के दौरान यदि आवश्यक छूट मिलती है तो इससे जहां त्योहारों का उत्साह बढ़ेगा. वहीं गरीबों को रोजगार भी मिलेगा.
गृहमंत्री दे चुके हैं निर्देश...
बीते दिनों पूर्व में हुई प्रशासनिक बैठकों में विधायक लखन घनघोरिया, विनय सक्सेना व्यापारी की पीड़ा व्यक्त की थी और रात्री कालीन बाजार में छूट की मांग रखी थी. लेकिन प्रशासनिक रवैया किसी को समझ नहीं आ रहा है.