चुटका से उत्पादित बिजली दर को सार्वजनिक किया जाए
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ की मांग
जबलपुर । परमाणु उर्जा स्वच्छ नहीं है। इसके विकिरण के खतरे सर्वविदित है। वहीं परमाणु संयंत्र से निकलने वाली रेडियोधर्मी कचरा का निस्तारण करने की सुरक्षित विधि विज्ञान के पास भी नहीं है।ऐसी दशा में २.४ लाख वर्ष तक रेडियोधर्मी कचरा जैवविविधता को नुकसान पहुंचाता रहेगा। अध्ययन में यह बात भी सामने आया है कि परियोजना के आसपास निवास करने वाले लोंगों के बीच विकलांगता, कैंसर और महिलाओ में गर्भपात एवं बांझपन की मात्रा बढ गई है। परमाणु उर्जा संयत्रों के इतिहास की तीन भीषण दुर्घटनाओं थ्री माइल आइस लैंड (अमेरिका), चेर्नोबिल (युक्रेन) और फुकुशिमा (जापान) ने बार-बार हमें यह चेताया है कि यह एक ऐसी तकनीक है जिस पर इंसानी नियंत्रण नहीं है। इस परिस्थित में इस परियोजना के निर्माण पर पुनर्विचार करना चाहिए। अगर इन खतरों के बाद भी सरकार इस परियोजना को बनाना चाहती है तो प्रदेश की जनता परमाणु संयंत्र से बनने वाली बिजली का दर जानना चाहती है।जो नहीं बताया जा रहा है, जबकि उत्पादित बिजली का ५० प्रतिशत मध्यप्रदेश सरकार को खरीदना है। ज्ञात हो कि रीवा सोलर प्लांट से मिलने वाली बिजली का अधिकतम दर रूपये २.९७ है। जो दिल्ली मेट्रो को बेचा जा रहा है। वर्ष २०२० के सरकारी आंकङे अनुसार प्रदेश में नवीकरणीय उर्जा की क्षमता ३९६५ मेगावाट है। जबकि प्रदेश के विभिन्न अंचलो में ५ हजार मेगावाट की सोलर पावर प्लांट निर्माणाधीन है। रिसर्च फाउंडेशन दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार परमाणु बिजली की लागत ९ से १२ रूपये प्रति यूनिट आएगी। लगभग चालीस वर्ष तक चलने वाली परमाणु उर्जा संयत्र का डी-कमिशनिंग (संयंत्र को बंद करना) आवश्यक होगा। जिसका खर्च स्थापना खर्च के बराबर होगा। अगर इस खर्च को भी जोड़ा जाएगा तो बिजली उत्पादन की लागत २० रुपए प्रति यूनिट आएगी। अब इस हालत में मध्यप्रदेश सरकार बिजली खरीदी अनुबंध कैसे करेगी? ज्ञात हो कि प्रदेश में मांग से ५० फीसदी बिजली ज्यादा उपलब्ध है। वर्ष २०१९- २० में कुल २८२९३.९७ मिलियन यूनिट यानि २ अरब ८२ करोड़ ९३ लाख ९७ हजार ७२६ यूनिट बिजली सरेंडर की गई थी। मध्यप्रदेश पावर मेनेजमेन्ट कम्पनी ने पिछले पांच साल में बिना बिजली खरीदे विद्युत कम्पनियों को १२८३४ करोड रुपए का भुगतान बतौर फिक्स चार्ज कर दिया है। वर्ष २०१४ से २०२० तक विद्युत कम्पनियों का घाटा ३६८१२ करोड़ रुपए और कर्ज ५० हजार करोड़ रुपए पार हो गया है। इस कारण प्रदेश के हर बिजली उपभोक्ता पर २५ हजार का कर्ज है। अगर विद्युत कम्पनिया चुटका परमाणु संयंत्र से महंगी बिजली खरीदी अनुबंध करती है तो प्रदेश की १.३० करोड बिजली उपभोक्ताओ को ही आर्थिक बोझ उठाने के लिए तैयार रहना होगा। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा ने मांग की है कि चुटका परमाणु संयंत्र से उत्पादित बिजली का दर को सार्वजनिक किया जाए।