Shankaracharya Swami Swaroopanand Death: द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया. उन्होंने नरसिंहपुर (Narsinghpur) के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में साढ़े तीन बजे 99 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार कल झोतेश्वर में ही साढ़े तीन बजे होगा. आज रात और कल अंतिम दर्शन के लिये देह को रखा जायेगा.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे. कल आश्रम में ही समाधि दिलवाई जायेगी. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अपना 99वां जन्मदिवस मनाया था. दिग्विजय सिंह उनके दीक्षांत शिष्य हैं. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आजादी की लड़ाई में भाग लेकर जेल भी गए थे. उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए भी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी.
सोमवार शाम 5 बजे आश्रम में दी जाएगी समाधि
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। कुछ ही दिन पहले वह आश्रम लौटे थे। उनके निधन पर शोक की लहर है। उनके शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया कि सोमवार शाम 5 बजे उन्हें आश्रम में ही समाधि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने 98 की उम्र में अंतिम सांस ली।
गंगा कुंड स्थल ले जाई गई पार्थिव देह
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज को मणिदीप आश्रम से गंगा कुंड स्थल तक पालकी से ले जाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे। भक्त जय गुरुदेव के जयघोष लगा रहे थे। गंगा कुंड पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। सोमवार शाम करीब 4 बजे उन्हें समाधि दी जाएगी। भारी संख्या में पुलिस बल भी यहां तैनात किया गया है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए कई वीआईपी लोगों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
तीज पर मनाया था जन्मदिन
जगतगुरु शंकराचार्य का 98वां जन्मदिन हरियाली तीज के दिन मनाया था। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जताया दुख
पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा- द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!
सीएम योगी ने ट्वीट कर जताया दुख
उनके निधन पर यूपी के सीएम योगी ने दुख जताया है. सीएम ने ट्वीट किया कि, "श्री द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य श्रद्धेय स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का ब्रह्मलीन होना संत समाज की अपूरणीय क्षति है. प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने परमधाम में स्थान व शोकाकुल हिंदू समाज को यह दुःख सहने की शक्ति दें. ॐ शांति."
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने स्वामी के निधन पर ट्वीट कर लिखा कि,
"पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार दुःखद है. उन्होंने हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाया. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे. सादर श्रद्धांजलि."
प्रियंका गांधी वाड्रा ने जताया शोक
स्वामी के निधन पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शोक जताया है. प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि, "जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा. स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. साल 2021 में प्रयागराज में गंगा स्नान के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर देश व धर्म की उदारता व सद्भावना पर उनके साथ चर्चा करने का मौका मिला."
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने आगे लिखा कि, "स्वामी जी ने मेरे पिता के रहते हुए 1990 में हमारी गृहप्रवेश की पूजा कराई थी. ये पूरे समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कठिन समय में स्वामी जी (Shankaracharya Swami Swaroopanand) के अनुयायियों को कष्ट सहने का साहस दें, ॐ शांति."
दिग्विजय सिंह ने ऐसे किया था जन्मदिन पर याद
उनके जन्मदिन पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि हमारे पूज्य गुरुदेव सनातन धर्म के ध्वजवाहक, अनन्त श्री विभूषित जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्राकट्य दिवस पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं. हम सबके प्रेरणा स्रोत महाराजश्री स्वस्थ्य रहें व दीर्घायु हों यही माता राज राजेश्वरी से प्रार्थना है.
माने जाते थे हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु
हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था. स्वामी स्वरुपानंद के पास बद्री आश्रम और द्वारकापीठ की जिम्मेदारी थी.
क्रांतिकारी साधू के नाम से हुए मशहूर
गौरतलब है कि स्वानी स्वरूपानंद का जन्म मध्य प्रदेश में सिवनी के दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका नाम पोथी राम उपाध्याय रखा गया. हिन्दुओं के सबसे बड़े गुरु माने जाने वाले स्वरूपानंद सरस्वती ने मात्र 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की यात्रा का सफर शुरू कर दिया था. अपनी धर्म यात्रा के दौरान वो काशी पहुंचे और स्वामी करपात्री महाराज से वेद और शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की. अंग्रेजों के दौर में मात्र 19 साल की उम्र में उन्हें क्रांतिकारी साधू कहा गया. वो इसी नाम से पहचाने जाने लगे.