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समिति ने किया सभी का आभार व्यक्त ,हवन-भंडारा के साथ गोविंदगंज रामलीला का विश्राम

  समिति ने किया सभी का आभार व्यक्त ,हवन-भंडारा के साथ गोविंदगंज रामलीला का विश्राम 



जबलपुर । मध्य भारत की सर्वाधिक प्राचीन रामलीलाओं में से एक श्री गोविंदगंज रामलीला समिति द्वारा मंचित की जाने वाली रामलीला का समापन हवन शांति के साथ हुआ। रामलीला मंच पर दोपहर को भंडारे का आयोजन किया गया है। अगले वर्ष रामलीला समिति १५९ वें वर्ष के साथ पुन: प्रभु की लीला मंचित करेगी। हवन शांति का विधि-विधान पं. वासुदेव शास्त्री सहित अन्य विद्वान आचार्यों द्वारा संपन्न कराया गया। रामसमिति के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस मौके पर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, प्रिंट-इलेक्ट्रानिक मीडिया, विद्युत मंडल सहित समस्त दर्शकों, अभिनय कर्ताओं, सदस्यों, पात्रों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि प्रभु की लीला में इसी तरह सभी का सहयोग मिलता रहेगा।

राम भारत की आत्मा हैं...............

इससे पूर्व रामलीला मंच पर राज्याभिषेक महोत्सव पर स्वामी राघव देवाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीराम भारत की आत्मा हैं। उनके बिना भारत देश कुछ भी नहीं है। मंच पर सजे राम दरबार की झांकी देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। इसके बाद वानरों की विदाई की लीला संपन्न हुई। श्री हनुमान के हृदय पर विराजे राम-लक्ष्मण की मनोहारी छवि भी देखने लायक थी। हनुमानजी ने जयश्रीराम के उद्घोष के साथ अपना सीना चीर दिया, उनके सीने में श्रीराम-सीता की झलक देख श्रद्धालु श्रद्धा से नमित हो गए।

सभी ने किया तिलक-वंदन.................

राज्याभिषेक समारोह में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश यादव, विधायक विनय सक्सेना, पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष विनोद गोटिया, पार्षद अदिति वाजपेयी, वर्षा सेन सहित अन्य गणमान्य जनों ने प्रभु का तिलक वंदन किया।

रामराज्य अब भी सबकी चाह..........

इस अवसर पर अतिथि वक्ताओं ने कहा कि राम राज्य आज भी आदर्श राज्य है। इस राज के बारे में कहा गया है कि ‘दैहिक-दैविक-भौतिक तापा, रामराज्य काहू न व्यापा’। अर्थात राजा राम के राज्य में प्रजा के किसी भी सदस्य को दैहिक-दैविक-भौतिक ताप नहीं था। इसके साथ ही मानस में ये भी वर्णन है कि ‘राम राज्य बैठे त्रैलोका’, अर्थात न सिर्फ धरती बल्कि सारे ब्रम्हांड और तीनों लोकों में राज राज्य के सुख व्याप्त थे। वक्ताओं ने कहा कि हमें अपने जीवन और समाज में राम के आदर्श के लिए पुरुषार्थ करने चाहिए।  

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