मुराद,मनोकामना और जीवंत चमत्कार का गढ़ है.. गढ़ाफाटक का महाकाली धाम
सौ सालों से भी पुराना है श्रद्धा का संसार
विकास सोनी
संस्कारधानी अपने आँचल में कई बेशकीमती नगीने संजोए बैठी है।वैसे तो माँ नर्मदा के आशीर्वाद से फलीभूत यह पूरा क्षेत्र चमत्कारों से भरा पड़ा है। लेकिन इन सबके बीच गढ़ाफाटक क्षेत्र का वृहद महाकाली धाम अपने आप में एक स्वयं सिद्ध स्थान है केवल नवरात्र ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन लोग यहां हाजिरी लगाते है। और ।कहते है कि इस दरबार में भले ही कोई खाली हाँथ ही क्यों न आए.. लेकिन खाली हाँथ जाता नहीं है। मातारानी उसकी झोली भरती ही है।
सन 1899 से शुरू हुआ सिलसिला 122 साल बाद आज भी जारी..
आज से 122 साल पहले वर्ष 1899 में स्व. रामनाथ यादव, स्व.हुब्बीलाल राठौर, स्व.बाबूलाल गुप्ता, स्व. सुदामा गुरु, स्व. ओंकार प्रसाद साहू, स्व. चंद्रभान यादव, स्व. मुन्नीलाल मेवादी, श्यामलाल दारोगा, स्व. रामसेवक यादव और रामनारायण केसरी ने माता महाकाली की प्रतिमा स्थापना की शुरुआत की थी। कहते है कि सिद्ध स्थल खुद ब खुद प्रेरणा प्रदान करता है। बताया जाता है कि वर्तमान में गढ़ाफाटक में रखी जाने वाली वृहद महाकाली अपने शुरुआती दौर में चरहाई में रखी गई और इसके बाद एक साल प्रतिमा स्व.रामनाथ यादव के निवास स्थान पर रखी गई। इसके बाद उनके घर के ही सामने माताजी का स्थान निर्धारित हो गया। श्री वृहत महाकाली उत्सव समिति के बैनर तले नवरात्र का उत्सव पूरी धूमधाम के साथ मनाया जाने लगा। उस वक्त पण्डा की भूमिका में स्व. लक्ष्मण ठाकुर ने महत्वपूर्ण दायित्व को पूरी आस्था और निष्ठा के साथ संपादित किया। उनके सहायक के रूप में स्व.वृंदावन सेन और स्व. मुन्ना नायक सदैव सेवा के लिए तत्पर रहते थे।
क्षेत्र से प्रदेश होते हुए विदेशों तक फैली चमत्कारों की रोशनी..
जबलपुर की महामाई के नाम से प्रसिद्ध गढ़ाफाटक कालीधाम की महाकाली, देश प्रदेश ही नहीं विदेशों में भी काफी मशहूर है। लोकप्रियता का आलम यह है कि अब यह पूरा क्षेत्र ही गढ़ाफाटक की काली के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि जिले भर में सिर्फ यह क्षेत्र ही ऐसा है जहां चारों ओर महाकाली की प्रतिमाएं सर्वाधिक संख्या में स्थापित की जाती हैं।
माता महाकाली की कृपा से जो लोग वर्तमान में विदेशों में रहकर अपनी आजीविका चला रहे हैं वे भी नौ दिनों में किसी न किसी तरीके से ऑनलाइन दर्शन करते हैं बल्कि अपनी भेंट भी भेजते हैं।
आगामी 2030 तक के लिए पहले से बुक है प्रतिमा की न्यौछावर..
श्री वृहद महाकाली दरबार गढ़ाफाटक में श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर नौ दिन माता जी की अखण्ड ज्योत जलवाते है। कोई भंडारा तो कोई सुहागलें करवाता है। वहीं कुछ श्रद्धालु प्रतिमा की न्यौछावर के लिए अपनी बुकिंग करा लेते है। यह माता महाकाली के चमत्कारों का ही असर है कि आगामी वर्ष २०३० तक के लिए प्रतिमा की न्यौछावर अभी से बुक हो चुकी है और इससाल के नौ दिनों यह संख्या और भी बढ़ सकती है जैसा की हर साल होता है।
चल समारोह में अलग ही जलवा बिखेरता है महाकाली का वैभव..
जबलपुर के दशहरा चल समारोह
में माता जी को बीच के क्रम में रखा जाता है ताकि शुरु से लेकर आखिरी तक माई के दर्शनों की लालसा में दशहरा चल समारोह की भीड़ एक सी बनी रहे और कोई अव्यवस्था न हो।