● काय जिज्जी..तुम्हें भी मुक्का घलो है का..
● कागजों में कुत्तों की नसबंधी.. सड़कों पर मचा रही धमाल..
● मामा जी..जबलपुर को जंगल सफारी घोषित कर दो..
मामा जी..जबलपुर को जंगल सफारी घोषित कर दो..
जबलपुर कहने को तो शहर है लेकिन इसके हालात किसी गाँव से कम नहीं है। आलम तो यह है कि यहां की अव्यवस्था और अधिकारियों की उदासीनता के चलते कुछ ऐसा माहौल बनता है कि जानवर इसे शहर नहीं बल्कि जंगल समझ लेते है। यही कारण है कि यहां कभी सड़कों पर मगरमच्छ..तो कभी तेंदुआ चहलकदमी करता दिख जाता है।इन जानवरों को ऊबड़ खाबड़ रास्ते और बजबजाती नालियां बिल्कुल जंगल का अहसास कराती है। वन विभाग के कर्मठ कर्मियों की वजह से जबलपुर के बाशिंदों को मुफ्त में जंगल सफारी का एहसास होता रहता है। और वे भी किसी जंगल में रहने वाले आदिवासी समूह की भांति निर्भीक होकर विचरण करते है।कहने को तो करोड़ों की एलईडी लाइट लगवाई गई है।लेकिन शहर को जंगल का अहसास हो सके इसलिए भृस्टाचार की स्पेशल भठ्ठी में बनी इन लाइटों को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये अंधेरा होते ही बंद हो जाती है। वहीं स्मार्ट सिटी विभाग भी गुफाएं और नाले खोद कर कुछ ऐसे हालात बना रहा है जिन्हें इंसान तो कम लेकिन जानवर ज्यादा पसंद करते है। जानबूझकर वर्षों से प्रोजेक्टों को अधूरा रखा गया है।ताकि आसपास पड़ा मलबा जंगली जानवरों को पहाड़ और टीलों का अहसास कराता रहे।
थकी हारी जनता अब यही गुहार लगा रही है कि...
जब सारा नज़ारा यहीं दिखाना है तो इंसान न सही कम से कम जानवरों की ही मुराद पूरी कर दो..
अधिकारी तो सुधरने से रहे।
बेहतर तो यही होगा कि..
मामा जी..जबलपुर को जंगल सफारी घोषित कर दो..
काय जिज्जी..तुम्हें भी मुक्का घलो है का..
आज तक आपने मोटर साइकिल सवार लुटेरों,चेन स्नेचरों या फब्तियां कसने वालों को ही सुना होगा।लेकिन आज हम आपको जिसके बारे में बताने जा रहे है वह अपराधी पहले तो आपको हंसने पर मजबूर करेगा।बाद में उसकी सनक आपके दिमाग को भी सनका देगी। दरअसल जबलपुर के संजीवनी नगर थाना क्षेत्र में इन दिनों एक साइको बाइक सवार का गहरा आतंक फैला है। कहाज बात यह है कि यह बाइकर रोजाना राह चलती औरतों को पीछे से मुक्का मार के भाग जाता है। यह सनकी बाइकर क्षेत्र की कई कॉलोनियों में घूम घूम कर महिलाओं की धुनाई कर रहा है। बीते एक सप्ताह के अंदर अब तक दो दर्जन से अधिक महिलाएं इस सनकी बाइकर का मुक्का खा चुकी है।भड़की महिलाओं ने बाकायदा इसकी शिकायत भी दर्ज कराई है। चूंकि सनकी बाइकर हेलमेट पहना रहता है लिहाजा उसकी पहचान नहीं हो पाई। हालांकि मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए पुलिस सरगर्मी से सिरफिरे बाइकर की तलाश कर रही है। लेकिन इस अजीबोगरीब मामले को लेकर क्षेत्र की महिलाएं काफी घबराई हुई है। इसी बीच चौराहे पे सब्जी के ठेले में खड़ी कुछ महिलाएं आपस में फुसफुसाते हुए बोली..दीदी आजकल तो सड़कों पर निकलना भी खतरे से खाली नहीं है। का पता कौन पीछे से मुक्का पहना दे..तभी दूसरी महिला तपाक से बोली
काय जिज्जी..तुम्हें भी मुक्का घलो है का..
कागजों में कुत्तों की नसबंधी.. सड़कों पर मचा रही धमाल..
जबलपुर शहर में इन दिनों सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों का आतंक चरम सीमा पर पहुंच गया है। जो आये दिन राहगीरों को खदेड़ने से बाज नहीं आ रहे है। वहीं इन सबके बीच कागजों पर नज़र डाली जाए तो निगम प्रशासन अब तक 3 करोड़ रुपए कुत्तों के बधियाकरण (नसबंधी ) पर खर्च कर चुका है। वहीं आंकड़े बताते है कि शहर को आवारा कुत्तोँ से निजात दिलाने सालाना 30 से 40 लाख रुपए खर्च किए जाते है। जहां 705 रु प्रति मादा के बधियाकरण एवं 678 रुपये नर कुत्ते के बधियाकरण पर खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत की बात करें तो इस कागजी नसबंधी के बाद सड़कों पर आवारा कुत्तों की तादात पहले से दोगुनी हो गई है। रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला शहर की हर सड़क पर आवारा कुत्तों का आतंक इन दिनों आम हैं. वहीं शहर के रांझी, गोहलपुर, मदार टेकरी, गढ़ा, भरती पुर, ओमती, गुरंदी , विजय नगर आदि क्षेत्र में आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। यहां अब लोग रात में सड़कों पर गुजरने से डरते हैं। आलम तो यह है कि..शहर की जनता आवारा कुत्तों के आतंक से है बेहाल...
कागजों में कुत्तों की नसबंधी.. सड़कों पर मचा रही धमाल..
Tags
EDITORIAL