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इन्दौर पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पहली बार हुआ वास्तविक विवाह, बारात भी निकली - छोटा बांगड़दा स्थित लीड्स एनक्लेव में नया इतिहास बन गया : मुनि आदित्य सागर

 इन्दौर पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पहली बार हुआ वास्तविक विवाह, बारात भी निकली - 
 छोटा बांगड़दा स्थित लीड्स एनक्लेव में नया इतिहास बन गया : मुनि आदित्य सागर 



इन्दौर। छोटा बांगड़दा स्थित लीड्स एनक्लेव पर चल रहे पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में तीसरे दिन चक्रवर्ती विवाह का दिव्य उत्सव सैकड़ों बंधुओं की मौजूदगी में सौल्लास मनाया गया। दोपहर में विवाह की सभी मांगलिक क्रियाएं पं. नितिन झांजरी के निर्देशन में संपन्न हुई। शहर में पंचकल्याणक में विवाह की बारात का यह संभवतः पहला प्रसंग था, जब प्रियंक एवं पूर्वी शाह के युगल ने इस उत्सव में अपना वास्तविक ब्याह पूरे रस्मो रिवाज के साथ संपन्न किया। सैकड़ों समाजबंधु इस उत्सव एवं विवाह के साक्षी बने। मुनिश्री आदित्य सागर म.सा. ने भी इस विवाह को इन्दौर में नया इतिहास रचने वाला प्रसंग बताया।

संयोजक ऋषभ पाटनी, चिराग गोधा एवं लोकेन्द्र गंगवाल ने बताया कि लीड्स एनक्लेव में नवनिर्मित आदिनाथ जिन मंदिर के पंच कल्याणक एवं प्रतिष्ठा महोत्सव का आज तृतीय सौपान था। पहले अभिषेक एवं शांति धारा, नित्य अर्चना के बाद मुनिश्री आदित्य सागर म.सा. के प्रवचन हुए। मुनिश्री आदित्य सागर म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि ज्ञानवान मनुष्य ही तप और त्याग से अपना जीवन सुधार सकता है। तप और संयम जीवन के दो प्रमुख आभूषण है। मोक्ष का मार्ग इन्हीं आभूषणों के माध्यम से प्रशस्त होगा। उन्होंने इस उत्सव में वास्तविक विवाह के आयोजन हेतु समिति को बधाई देते हुए कहा कि इस उत्सव में विवाह करने वाले प्रियंक एवं पूर्वी शाह ने इन्दौर में एक नए इतिहास की रचना की है। अन्य विवाह करने वाले भी इस विवाह से प्रेरणा ले सकते हैं। दूल्हे प्रियंक ने आदिकुमार और दूल्हन पूर्वी ने नंदासुनंदा के रूप में इस विवाह में नवयुगल की भूमिका निर्वाह की। विवाह की बारात बैंडबाजों सहित धूमधाम से निकाली गई और जगह-जगह समाज बंधुओं ने बारात का स्वागत भी किया। वर-वधू के आगे-आगे भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को मस्तक पर धारण किए परिजन चल रहे थे। विवाह की सभी मांगलिक रस्में भी संपन्न हुई। शाम की आरती में प्रियंक एवं पूर्वी शाह लाभार्थी बने।

:: आज ज्ञान कल्याणक :: 

महोत्सव के चौथे दिन बुधवार 16 नवम्बर को सुबह अभिषेक एवं नित्य पूजा-अर्चना के बाद 9.30 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन, 9.45 बजे तीर्थंकर महामुनि की आहारचर्या, मध्यान्ह 1 बजे केवलज्ञान संस्कार, दोपहर 3 बजे पट्टोदघाटन, समवशरण दर्शन, केवल्य पूजा एवं दिव्यदेशना लाभ के आयोजन होंगे। सायं 6.30 बजे गुरू भक्ति एवं आरती तथा रात 8.30 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। गुरुवार 17 नवम्बर को मोक्ष कल्याणक का मुख्य महोत्सव होगा।

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