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जय भीम सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि एक भावना है: निर्देशक था से ग्नानवेल

  जय भीम सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि एक भावना है: निर्देशक था से ग्नानवेल



नई दिल्ली। किसे परम्परा से अलग हटकर कुछ नया करना कहा जा सकता है आईएफएफआई 53 के प्रतिनिधियों को एक फिल्म के बजाय एक भावना की स्क्रीनिंग से प्रेरित होने का एक अनूठा अवसर मिला। हम पर विश्वास नहीं है? कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली की कमियों को सामने रखने वाले और सबसे साहसी निर्देशकों में से एक था से ग्नानवेल के शब्दों में “लेकिन आपको हमारी बात पर विश्वास करना होगा।“ तमिल फिल्म के बारे में निर्देशक का कहना है “जय भीम सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि एक भावना है। इस फिल्म ने निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतिनिधियों के रोंगटे खड़े कर दिए हैं तथा उनके जीवन में परिवर्तन ला दिया है - जो सही है उसके लिए बोलना और उसके पक्ष में खड़ा होना परिणाम चाहे जो भी हो। ग्नानवेल ने फिल्म महोत्सव के दौरान पीआईबी द्वारा आयोजित ‘टेबल टॉक्स’ सत्र में मीडिया और इस महोत्सव में शामिल प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए  इस फिल्म का शीर्षक जय भीम रखने के पीछे के विचार को साझा किया। उन्होंने कहा “मेरे लिए जय भीम शब्द शोषित और हाशिये पर रहने वाले लोगों का पर्याय है जिनके हितों के लिए डॉ. बी. आर. अम्बेडकर हमेशा खड़े रहे।”

इस फिल्म को हर तरफ से मिली अकल्पनीय प्रशंसा पर अपनी अपार खुशी व्यक्त करते हुए ज्ञानवेल ने कहा कि यह फिल्म इसलिए सभी से जुड़ सकी क्योंकि इसने एक ऐसे विषय को उठाया है जो सार्वभौमिक है। उन्होंने कहा “जय भीम के बाद मैंने जातिगत भेदभाव कानून के कार्यान्वन और न्याय प्रणाली की खामियों के बारे में ऐसी सैकड़ों कहानियां सुनीं।” उन्होंने कहा कि वह अपनी फिल्म के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में संविधान ही असली हथियार है। 

जय भीम ज्वलंत मुद्दों पर खरे और पैने तेवरों वाली फिल्म है जिसमें जनजातीय दम्पती राजाकुन्नू और सेनगनी के जीवन व संघर्षों को दर्शाया गया है। यह दम्पती ऊंची जाति वाले लोगों की मनमानी और इच्छा के अनुसार जीने पर बाध्य हैं। ये उनके यहां घरेलू कामकाज करते हैं। फिल्म बनाने की कड़वी शैली उस समय नजर आती है जब राजाकुन्नू को ऐसे अपराध के लिये गिरफ्तार कर लिया जाता है जो उसने किया ही नहीं। इसके बाद फिल्म प्रतिरोध के भयंकर क्षणों को दर्शाती है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह ताकतवर लोग कमजोर वर्ग के लोगों को अपमानित करते हैं उन पर जुल्म करते हैं।

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