हम तो भेड़ाघाट की भी रजिस्ट्री कर देंगे..कोई आए तो सही..
निराश मन से रिटर्न टिकट लेकर, घर पहुंचा शेखू..
सड़े चने का पाप मढ़ने, बैठक में तलाश रहे बलि का बकरा..
हम तो भेड़ाघाट की भी रजिस्ट्री कर देंगे..कोई आए तो सही..
जबलपुर जिले में इन दिनों रजिस्ट्री जैसे दस्तावेजों को लेकर हद दर्जे की लापरवाही की जा रही है। कोई भी मुंह उठाकर कहीं की भी रजिस्ट्री करवा लेता है। सुबह से शाम तक रजिस्ट्री कार्यालय में थोक के भाव में धड़ाधड़ रजिस्ट्रियां हो रही है। लेकिन इस महत्वपूर्ण दस्तावेज के निर्माण के समय जरूरी कागजातों की कोई पूछपरख नहीं कि जाती। जमीन किसकी है कौन बेच रहा है और खरीददार कौन है इसकी सत्यता से रजिस्ट्री करने वालों को कोई मतलब नहीं होता। बल्कि खोपचे में खड़े दलाल तो ऐसे ग्राहकों को प्रथम प्राथमिकता के साथ निपटाते है। शहर में जमकर हो रही फर्जी रजिस्ट्री की पड़ताल करने हम भी कार्यालय पहुंच गए। थोड़ी देर नज़रें दौड़ाने के बाद एक अधेड़ सा आदमी हमारे पास आया और पूरे कांफिडेंस के साथ हर तरह का काम करने की बात कहने लगा। इस दौरान उसने पूरा टैरिफ समझाया और सौदा तय होने पर अंदर बैठे एक बाबू से हमारी मुलाकात करवा दी। हम यह जानकर बेहद हैरान थे कि महज कुछ रुपयों में ये लोग इतना महत्वपूर्ण लेकिन फर्जी दस्तावेज पूरे नियम कानून के साथ तैयार कर देते है। हमने भी उत्सुकता वश पूछ लिया।हम जहां की रजिस्ट्री करवा रहे है उसके लिए कोई कुछ पूछेगा तो नहीं..
तो मुंह से गुटखा थूंकते हुए बाबू बोला..
हम तो भेड़ाघाट की भी रजिस्ट्री कर देंगे..कोई आए तो सही..
निराश मन से रिटर्न टिकट लेकर, घर पहुंचा शेखू..
पेशे से पंचर घिसने वाला शहर का शेखू शाहरुख खान का बहुतई जबरा फैन है। जेब से जकड़े शेखू को जैसई पता चला कि शाहरुख खान जबलपुर आ रहा है।वैसई उसने जुगाड़ मेल दौड़ाई और भेड़ाघाट पहुंच गया। पता चला कि पंचवटी में फ़िल्म की शूटिंग है। लिहाजा पुलिसिया पहरे से छुपते छुपाते शेखू भी बन्दर-कूदनी की चट्टान पर जा पहुंचा।चार इंच की चट्टान पर पैर जमाए , जान हथेली में लेकर शेखू सिर्फ शाहरुख खान को ढूंढ रहा था। तभी "लाइट-कैमरा-एक्शन" वाली जानी पहचानी आवाज गूंजी और शूटिंग शुरू हो गई। लेकिन फ़िल्म यूनिट की भीड़ के बीच शेखू का उस्ताद गायब था। दरअसल शाहरुख खान और तापसी पन्नू की एक फ़िल्म के कुछ दृश्य पंचवटी में शूट हो रहे है।लेकिन इस बार इनके डुप्लीकेट अर्टिस्टों ने फ़िल्म की शूटिंग पूरी कराई। घंटो तक संकरी चट्टान में एक पैर से खड़े होकर तपस्या कर रहे शेखू को ये बात काफी नागवार गुजरी। अंततः मुंह लटकाए शेखू ने चुपचाप घर की ओर जाने में ही भलाई समझी। रास्ते भर वह हिसाब करता रहा कि घर जाकर नए कपड़े ,चश्मा और घड़ी का पैसा कैसे चुकाएगा। और आज की दिहाड़ी के नुकसान को कैसे भर पाएगा। मन में सपना संजोए निकला था कि आमने सामने शाहरुख खान को देखूं..लेकिन निराश मन से रिटर्न टिकट लेकर घर पहुंचा शेखू..
सड़े चने का पाप मढ़ने, बैठक में तलाश रहे बलि का बकरा..
गरीबों को बंटने वाला चना अधिकारियों की लापरवाही से सड़ गया।लेकिन अधिकारी अब इस सड़े चने का पाप दूसरे के सर मढ़ने लगातार बैठक कर रहे है। चूंकि मामला मीडिया में आ चुका है।लिहाजा किसी न किसी के सर पाप तो मढ़ना पड़ेगा। सूत्र बताते है कि पहले जिम्मेदारों ने इस कारनामे का ठीकरा सेल्समेनों के सर फोड़ने की साजिश तैयार की थी। वहीं कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ने तो बाकायदा आधिकारिक बयान देते हुए सेल्समेनों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया था।लेकिन इसके बाद सेल्समेन बगावत पर उतर आए। समिति प्रबंधक और सेल्समेनों ने एकजुट होकर जिम्मेदारों की करतूत उजागर कर देने की भी बात कह डाली। इधर जिम्मेदार अधिकारियों के लिए सड़ा हुआ चना, सांप के गले में फंसे छछुंदर जैसा हो गया है। जिसे वे न तो निगल पा रहे है और न ही उगल पा रहे है। इसी बीच यह ख़बर भी सुनने में आई है कि सेल्समेनों को मनाने और नया बलि का बकरा ढूंढने के लिए गुपचुप बैठकों का दौर तय किया गया है। खास बात यह है कि उक्त चने को बांटे जाने से संबंधित कोई आदेश दिए ही नहीं गए थे, यही कारण है कि लावारिस चना मौसम की मार पाकर सड़ गया। नाम उजागर न करने की बात पर एक सेल्समेन ने बताया कि अंदर चल रही बैठक में यह बात सामने आई है कि उक्त चने को या तो वापस कर दिया जाए या फिर चने को गरीब लोगों में बांट दिया जाए, और अगर बात न बने तो फिर इसका दोष ट्रांसपोर्टर पर मढ़कर सुरक्षित हुआ जाए। लंबी चली रायशुमारी के बाद फिलहाल सड़े चने को जांच के लिए भेजना उचित समझा गया। अब जांच अधिकारी लंबी जांच के बाद यह फैसला करेंगे कि चना सड़ा है या नहीं..इन सबके बीच राशन दुकान के आगे नज़र गड़ाए गरीब का परिवार इन्तजार कर रहा है कि कब आएगा चने का चकरा..तो वहीं जिम्मेदार अब..
सड़े चने का पाप मढ़ने, बैठक में तलाश रहे बलि का बकरा..
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