● साहब अलाव जलवा देते तो अर्थी जलाने की नौबत न आती
● लाडली के पथ पर लड़खड़ाते घूम रहे लाडले..
● मिशनरी स्कूल के मिशन पर गुरुजी ने फेरा पानी..
साहब अलाव जलवा देते तो अर्थी जलाने की नौबत न आती
शहर में अचानक मौसम में आए बदलाव के चलते सड़कों पर गुजर-बसर करने वाले लोगों की शामत आ चुकी है। मौजूदा हालातों की बात करें तो ठंड अपने तेवर पूरे जोश के साथ दिखा रही है । लेकिन लाल बिल्डिंग के मौसमी कैलेंडर में अभी तक ठंड की दस्तक नहीं हुई । यही कारण है कि सड़कों पर जलने वाले अलाव की सारी व्यवस्थाएं नदारद है। बीते माह के आंकड़ों की बात करें तो ठंड की शुरुआत से लेकर अब तक कइयों लोग ठंड लगने की वजह से मारे जा चुके हैं। अलाव की व्यवस्था को लेकर निगम के जिम्मेदार अभी तक अलाव के टेंडर की राह देख रहे है।हालांकि ये बात और है कि निगम मुख्यालय के बाहर अधिकारी अक्सर धूप तापते हुए बढ़ी हुई ठंड की चर्चा करते है। लेकिन विभागीय कागज फिलहाल ठंड से दूर है।इन सबके बीच ठंड से मरे एक व्यकित का दाह संस्कार करने में जुटी समाजिक संस्था से जब निचले स्तर के अधिकारी ने पूछा किये हिन्दू है या मुस्लिम..आखिर क्या है इसकी जाति..
तो गुस्साए समाजसेवी ने जबाब देते हुए कहा कि..
साहब अलाव जलवा देते तो,अर्थी जलाने की नौबत न आती..
लाडली के पथ पर लड़खड़ाते घूम रहे लाडले
लड़कियों को सुरक्षित माहौल देने के उद्देश्य से शिवराज सरकार ने लाडली लक्ष्मी पथ की घोषणा कर दी। चूंकि फरमान आला कमान का था।लिहाजा अनान फानन में उसे अमलीजामा पहनाने के रस्मअदायगी भी कर दी गई। लेकिन इस पथ पर खड़े रोड़ों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। शहर का एक लाडली लक्ष्मी पथ ऐसा भी है। जहां दिन के उजाले में भी लाडलियाँ जाने से कतराती है। दरअसल लाडली पथ मार्ग में ही एक शराब की दुकान आबाद है। साथ ही शराब दुकान के सामने पान के टपरे भी आवारा गर्दी करने वालों से सजे रहते है ।ऐसे में जब कभी भी कोई लड़की यहां से गुजरती है तो उसे शोहदों के संगीतमय ताने सुनने पड़ते है। शराब दुकान कितनी सेटिंग के साथ सेट की गई है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनता,जिला और निगम प्रशासन की आपत्ति के बावजूद भी शराब दुकान टस से मस नहीं हुई। सुना है अब सेटिंग का नया सिलसिला चालू हो गया है। जहां शराब व्यापारी को नुकसान पहुंचने से बचाने की जुगत भिड़े जा रही है। खैर सरकारी विभाग इस अव्यवस्था पर कितना ही पर्दा डाल ले..लेकिन हकीकत तो यही है कि..
लाडली के पथ पर लड़खड़ाते घूम रहे लाडले
मिशनरी स्कूल के मिशन पर गुरुजी ने फेरा पानी
शिक्षा के धंधे की आड़ में धर्म को प्रभावित करने का खेल लंबे समय से चला आ रहा है। जहाँ गुरुकुल की परंपरा को कॉन्वेंट का ग्रहण लगातार लीलने का प्रयास कर रहा है। पहले स्कूलों से सरस्वती वंदना नदारत हुई और अब रोजाना प्रेयर के नाम पर किसी और का गुणगान रटाया जा रहा है। हालांकि हिंदी दिवस की पैरवी करने वाले सारे हिमायती यही चाहते है कि उनकी संतान फर्राटे दार अंग्रेजी बोलने वाले मिशनरी स्कूल में ही पढ़ें। वहीं अंग्रेजी कल्चर के इस भूत को हौआ बनाते हुए मिशनरी स्कूल अपने कुछ और ही मंसूबे साकार करने में लगे दिखाई दे रहे है। जहां कच्ची मिट्टी के घड़ों को शुरुवाती दौर से ही मिशनरी रंगों से सजाने की साजिश लगातार बुनी जा रही है।हाल ही में एक मिशनरी स्कूल के गुरुजी ने अपने ही प्राचार्य के खिलाफ धर्मांतरण का दबाब बनाने की शिकायत कलेक्टर को की है। गुरुजी की माने तो उसे धर्म विशेष के धार्मिक स्थल जाने एवं उनकी परंपरा के अनुरूप उपासना करने का दबाब दिया जा रहा है। उसे ऐसा करने पर जमीन का एक टुकड़ा और स्थाई नौकरी तक दिए जाने की बात कही गई है। वहीं जब गुरुजी ने मिशनरी परंपरा का संधान करने से मना किया तो उन्हें नाना प्रकार की परेशानियों से सराबोर कर दिया। बच्चों को देश धर्म और संस्कृति का पाठ पढ़ाने वाले गुरुजी का सनातन जैसे ही जागा मिशनरी के मिशन के खंबे उखड़ने शुरू हो गए। सूत्र बताते है कि गुरु जी को इस हरकत की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।हो सकता है कि सेटिंग से शिकायत को पचाने के बाद गुरु जी को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया जाए। बात एक दम साफ है..बौखलाई मिशनरी को पसंद नहीं आयी गुरुजी की नाफरमानी..क्योंकि
मिशनरी स्कूल के मिशन पर गुरुजी ने फेरा पानी..
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