कृषि आदानों की जीएसटी समाप्त करने सहित अन्य मांगे
दिल्ली के रामलीला मैदान में गरजेंगे किसान
जबलपुर। देश में खाद्यान्न की सुरक्षा के साथ किसानों की सुरक्षा भी अति आवश्यक है। किसानों ने भरपूर उत्पादन कर देश की खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की है। किन्तु अभी तक किसान की हालत जस की तस है। भारतीय किसान संघ का नारा रहा है कि ‘‘देश के हम भंडार भरेंगे लेकिन कीमत पूरी लेंगे’’ आज देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बन चुका है हम विदेशों में खाद्यान्न निर्यात कर रहे है लेकिन किसान जो फसल उगाता है कड़ी मेहन के बावजूद उसका अपनी उपज का लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य अभी तक नहीं मिल रहा है। इसलिए किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ १९ दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली आयोजित की जा रही है। भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने कल यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देशभर में भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ता सभी प्रांतों में ग्राम संपर्क धरना सभा पदयात्रा जैसे कार्यक्रमों को करते हुए १९ दिसंबर को दिल्ली में लाखों की संख्या में ‘‘किसान गर्जना रैली’’ में शामिल होंगे।
आंदोलन की मांगे है लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए। कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त किया जाए। किसान सम्मान निधि की राशि में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की जाए। जीएम सरसों को अनुमति न दी जाए।
लागत अधारित लाभकारी मूल्य की अवधारणा...........
सरकार द्वारा घोषित एमएसपी में खेती के लिए खाद बीज सिंचाई समेत अन्य खर्च की लागत के साथ अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित दैनिक आय को जोड़ा जाता है। भारतीय किसान संघ एमएसपी में कुशल प्रबंधक की आ जोडने की मांग कर रहा है। आमतौर पर धान की फसल तैयार होने में १४० दिन लगते हैं लेकिन लागत निकालते समय सिर्फ ४० दिन की मजदूरी जोड़ी जाती है। किसान की कृषि भूमि की लागत का भी समावेश नहीं है। आधी अधूरी गणना कर फसल का लागत मूल्य निकाला जाता है जो कि तर्कसंगत नहीं है। किसान संघ की लाभकारी मूल्य की अवधारणा में कृषि खर्च में स्थाई संसाधन (जैसे ट्यूबेल पंप सिंचाई बुवाई उपकरण हार्वेस्टिंग मशीनरी सहित विभिन्न संशाधनों) का ह्रास मूल्य खेत के किराए लागत के ब्याज को जोड़कर उसमें ५० फीसदी लाभांश जोड़कर लाभकारी मूल्य की मांग करता है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल कृषक नेता मौजूद थे।