गीदड़भभकी देने वाले पाकिस्तान की एक चौथाई आबादी के पास बिजली नहीं
लौहार । आर्थिक मंदी के बीच बिजली संकट की मार झेल रहे पाकिस्तान को लेकर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपने मध्य एशिया क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (सीएआरईसी) एनर्जी आउटलुक 2030 में एक बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट का हवाला देकर कहा है कि पाकिस्तान की आबादी 2 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रही है जिससे उद्योग पर दबाव बढ़ गया है। वहीं एक चौथाई आबादी के पास अभी भी बिजली की पहुंच नहीं है। हालात हैं कि देश में बिजली संकट को देखकर सरकार ने हाल ही में बाजार और रेस्टोरेंट्स को रात 8 बजे तक बंद करने का फैसला लिया है। वहीं जबकि शादियों के हॉल रात 10 बजे तक ही खुल सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर देश निजी क्षेत्र के लिए अपने ऊर्जा बाजार को खोलना चाहता है तब कुछ इसतरह के मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। देश को अपने ऊर्जा संसाधनों को ठीक से वर्गीकृत करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए जलविद्युत को आम तौर पर दुनिया भर में एक नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन माना जाता है लेकिन वैकल्पिक और नवीकरणीय ऊर्जा नीति ने जलविद्युत स्रोतों को गैर-नवीकरणीय के रूप में वर्गीकृत किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 में 30 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए केवल पवन और सौर स्रोतों के माध्यम से इस स्तर तक पहुंचना शायद ही संभव होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के कई हिस्सों में लंबी अवधि के लिए अत्यधिक बिजली कटौती देखी गई जिससे दैनिक जीवन और व्यवसाय बाधित हुआ है। जहां शहरी केंद्रों में 6 से 10 घंटे तक बिजली की कटौती हुई वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन लगभग 18 घंटे तक बिजली कटौती हुई है। मांग और आपूर्ति में असंतुलन के कारण ताप संयंत्रों द्वारा बिजली उत्पादन में गिरावट के साथ-साथ ईंधन और गैस की कमी ने इस आपदा को जन्म दिया है। लगभग 6000 से 7000 मेगावाट की कमी है।