जबलपुर मेडिकल हॉस्पिटल में दो मरीजों की हुई सर्जरी। आयुष्मान योजना बनी सहारा दो मरीजों का मेडिकल कॉलेज में घुटने और कुल्हे का निःशुल्क प्रत्यारोपण
जबलपुर/विकास की कलम।
पांच लाख रुपये तक का सरकारी और निजी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराने की आयुष्मान निरामयम योजना गम्भीर बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिये वरदान बन गई है । इसका एक उदाहरण घुटने और कूल्हे की बीमारी से त्रस्त दो व्यक्तियों में देखने मिला जो इनके उपचार पर लगने वाले लाखों रुपये का खर्च वहन नहीं कर सकते थे । इन दोनों का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में सर्जरी की गई । इस पर एक रुपया भी इन मरीजों का खर्च नहीं हुआ ।
इन मरीजों में से रामपुर जबलपुर की 72 वर्षीय विमला पटेल घुटने की अर्थराइटिस से पीड़ित थी, वहीं सिहोरा जबलपुर के 29 वर्षीय अजय कुशवाहा कूल्हे के एवैस्कुलर नेकरोसिस से ग्रसित थे । नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ सचिन उपाध्याय ने बताया कि दर्द से बेहद परेशान इन दोनों मरीजों को इनके परिजनों द्वारा उपचार के लिये मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था । परीक्षण के दौरान मरीजों को दर्द से छुटकारा दिलाने जोड़ प्रत्यारोपण की जरूरत महसूस की गई ।
दोनों मरीजों को कल मंगलवार को अलग-अलग ऑपरेशन थियेटर में करीब सवा घण्टे तक चली सर्जरी में एमएमआरटी तकनीक (मिनिमल मोरबिडिटी रिप्लेसमेंट टेकनीक) से सफल जोड़ प्रत्यारोपण किया गया । डॉ सचिन उपाध्याय ने बताया यह एमएमआरटी तकनीक को उन्होंने खुद विकसित किया है । सर्जरी के बाद दोनों मरीज अब स्वस्थ हैं और सर्जरी के दूसरे दिन आज बुधवार से चलने भी लगे हैं । विमला पटेल के दूसरे घुटने का प्रत्यारोपण भी जल्दी किया जाएगा ।
डॉ उपाध्याय के मुताबिक दोनों मरीजों के जोड़ प्रत्यारोपण के लिये सर्जरी एक ही समय अलग-अलग ऑपरेशन थियेटर में की गई और इसके लिये एक ही टीम गठित की गई थी । उन्होंने बताया कि सभवतः यह प्रदेश का पहला ऐसा प्रकरण हैं जिसमें एक ही टीम द्वारा दो अलग-अलग ऑपरेशन थियेटर में दो जोड़ प्रत्यारोपण किये गये । उन्होंने बताया कि विमला पटेल के दूसरे घुटने का प्रत्यारोपण भी जल्दी ही किया जायेगा ।
मेडिकल कॉलेज के अस्थि और निश्चेतना विशेषज्ञों के सहयोग से किये गये ऑपरेशन में दोनों मरीजों को आयुष्मान योजना के तहत अच्छी गुणवत्ता के इम्प्लांट लगाये गये हैं । नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक विद्यार्थी, अधीक्षक डॉ अरविन्द शर्मा एवं डीन डॉ गीता गुइन ने अत्याधुनिक तकनीक से किये गये जोड़ प्रत्यारोपण को एक बड़ी उपलब्धि बताया है ।